एलबर्ट आइंस्टाइन हमेशा कहते थे कि पता नहीं तीसरा विश्व युद्ध किन औज़ारों से से लड़ा जायेगा पर चौथा विश्व युद्ध डंडे एवं पत्थरों से लड़ा जायेगा। टेक्नॉलजी की रफ़्तार और औज़ारों की होड़ को देखते हुये लोगों का अनुमान था कि तीसरे विश्व युद्ध में न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल औज़ारों का प्रयोग हो सकता है जिससे फ़ौज नहीं बल्कि साधारण मनुष्य लड़ेगा। अत: जिस प्रकार की तबाही इस समय दुनिया में मची है उसे देखकर यह स्पष्ट है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है।
कोरोना वाइरस एक साधारण फ़्लू वायरस था जिसे वुहान की लैब में प्रशिक्षित कर ख़तरनाक बनाया गया। इसकी तैयारियाँ कई दशकों से चल रही थीं और इसमें दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश और धनाढ्य लोग शामिल हैं। पूरी मीडिया उनके चंगुल में है और जो नहीं है उसे वहीं समाप्त कर दिया जाता है। समूचे सोशल मीडिया पर उनका क़ब्ज़ा है इसलिये सच्चाई और इंसानियत के मार्ग पर चलने वालों को भी समाप्त किया जा रहा है।
शुरुआत में विश्व विख्यात धनवान व्यक्ति ने उदारता और मानवता कि बहुत बड़ी मिसाल देते हुये सिरम इंस्टीट्यूट में कोरोना वैक्सीन के लिये फ़ंडिंग कर स्वयं को मानवता का मसीहा बताया परन्तु आज ऐसी संकट की घड़ी में भारत को वैक्सीन देने से मना कर दिया। यहाँ तक कि हमारे देश में डेवलप एवं ट्रायल की हुई वैक्सीन का निर्माण इंग्लैंड में किया जा रहा है जिससे भारत को अपनी शर्तों पर वैक्सीन दे सकें।
कोरोना या किसी अन्य बायोलॉजिकल युद्ध में सबसे कारगर स्वयं की इम्यूनिटी होती है। दवा, थिरैपी और वैक्सीन भी तो इम्यूनिटी ही बढ़ाने का दावा करती हैं परन्तु दुर्भाग्य यह है कि दवा इम्यूनिटी को कमजोर बनाती है, प्लाज्मा थिरैपी तात्कालिक इम्यूनिटी बढ़ाती है और वैक्सीन लगाने पर इम्यूनिटी शुरूआत में कमजोर होती है और पूरी तरह असरकारक होने पर सिर्फ़ उसी वाइरस के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है जिसके लिये वैक्सीन बनी थी अत: बदलते स्ट्रेन पर वैक्सीन पूरी तरह निष्क्रिय होती है।
कठपुतली बने मीडिया के माध्यम से लोगों को बहुत अधिक भयभीत बना दिया गया है। साधारण मनुष्य अपनी सोच-शक्ति खो चुका है जिससे उसे वैक्सीन की ज़ंजीरों ने जकड़ लिया है और अब वह बिना सोचे समझे वैक्सीन लगवाकर कोरोना का शिकार होता जा रहा है।
वैक्सीन को लेकर दो ख़तरनाक भ्राँतियाँ मीडिया के ज़रिये जन साधारण में समाहित कर दी गईं हैं जिनसे लोगों को मुक्त कर पाना बहुत कठिन है। पहली भ्रांति यह कि कोरोना की एन्टीबॉडी ज़्यादा समय तक खून में मौजूद नहीं रहती। इससे कुछ अंतराल में लोगों को निरंतर वैक्सीन लेना होगा। इस प्रकार वैक्सीन बेंचने का सिलसिला बन जायेगा और पूरी मानवजाति वैक्सीन एवं वैक्सीन निर्माताओं की गुलाम हो जायेगी।
वास्तविकता यह है कि कोई भी एन्टीबॉडी खून में तभी तक मौजूद रहती है जब तक शरीर में इनफ़ेक्शन रहता है और इनफ़ेक्शन ख़त्म होने पर धीरे-धीरे विलुप्त हो जाती हैं। दूसरी भ्राँति थी कि जो लोग वैक्सीन ले रहें हैं उनमें इनफ़ेक्शन की इनटेन्सिटी कम होती है, परन्तु यह महज़ साज़िश के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि वैक्सीन के किसी भी नियम के तहत यह संभव नहीं है। ऐसा सिर्फ़ इस उदेश्य से मीडिया द्वारा फैलाया जा रहा है जिससे मौत के भय से लोग जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवाकर वैक्सीन के जाल में फँस जायें।
जब से देश पर वैक्सीन का संकट गहराया तब से हमारे चोटी के नेता आयुर्वेद व अन्य स्वास्थ्य प्रणाली की बात करने लगे हैं यह देशहित और कोरोना को जड़ से समाप्त करने का पहला सराहनीय कदम है।
कोरोना युद्ध में विजयी होने के लिये हमें सभी देशवासियों की इम्यूनिटी को बढ़ाना होगा, उसके बाद सभी को नार्मल तरीक़े से बिना मास्क के काम करने की अनुमति देना होगा। चूँकि सभी की इम्यूनिटी स्ट्रॉंग हो चुकी होगी तो ऐसा करने से सभी में इन्फेक्शन फैलेगा जिसमें से लगभग 70% से 80% लोग स्वतः बिना किसी लक्षण के स्वस्थ हो जायेंगे, बचे हुये लोगों में हल्का इनफ़ेक्शन होगा और वे भी स्वत: ठीक हो जायेंगे।
अन्य लोगों में जिनकी इम्यूनिटी बहुत कमजोर है उनमें अधिक इनफ़ेक्शन होगा परन्तु यदि उन्हें ज़ायरोपैथी का इनफ़ेक्शन प्रोटोकॉल दिया गया तो अधिकांश लोग बच जायेंगे और कुछ ही लोगों की मृत्यु होगी। इस प्रकार से हम पूरे देशवासियों को बचा सकते हैं, देश में हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हो जायेगी और पूरा देश आगे आने वाले सभी स्ट्रेन से सुरक्षित हो जायेगा क्योंकि सभी को इम्यूनिटी मज़बूत रखने के तरीक़े पता होंगे और इम्यूनिटी मज़बूत रखने से होने वाले लाभ का भी अनुभव हो चुका होगा।
मेरा सरकार से आग्रह है कि कोरोना को कंट्रोल करने के लिये किसी भी प्रकार की दवायें बाँटने और वैक्सीन लगाने के कार्यक्रम को तत्काल स्थगित कर ऊपर सुझाये हुये कार्यक्रम को लागू कर देश को तीसरे विश्व युद्ध से बचाने का प्रयास करें। उपरोक्त उपाय के अलावा अन्य कोई भी उपाय ना ही कारगर हुआ है और ना ही आगे कारगर सिद्ध होगा। अत: बिना समय गँवायें शीघ्रातिशीघ्र देश को बचाने का अभियान शुरू करें।
कोरोना युद्ध की शुरुआत से आज तक हज़ारों लोगों को ज़ायरोपैथी ने कोरोना से प्रीवेन्शन तथा उपचार दिया है। ज़ायरोपैथी के प्रीवेन्शन प्रोटोकॉल आज तक हज़ारों लोगों को कोरोना के दुष्प्रभाव से बचाये हुये हैं और हज़ारों कोरोना से इनफेक्टेड लोगों को अस्पताल जाने एवं ऑक्सीजन लगने से बचाया गया और घरों में ही इलाज कर पूर्णरूप से स्वस्थ किया। आज दुनिया के 17 देशों में लाखों लोग ज़ायरोपैथी को अपनाकर स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
कमान्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
टॉल फ़्री – 1800-102-1357
फोन- +91-888-222-1817
Email: zyropathy@gmail.com
Website: www.Zyropathy.com
www.Zyropathy.in, www.2ndopinion.live
I extend my best wishes to Shri Naresh Mishraji for his tireless efforts to cure humanity from so many ailments ..Sarabjeet, Port Blair