सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के विवादों में रहे मेयर चुनाव को लेकर सोमवार को अहम आदेश दिया. कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई के दौरान चुनाव के पीठासीन अधिकारी रहे अनिल मसीह से कड़े सवाल पूछे.
अदालत ने मंगलवार को होने वाली सुनवाई के दौरान सारे बैलट पेपर पेश करने का आदेश दिया है. अनिल मसीह ने कोर्ट में माना कि उन्होंने बैलेट पेपर क्रॉस (‘X’) का निशान बना दिया था. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने पांच फरवरी को हुई सुनवाई में रिटर्निंग ऑफ़िसर (अनिल मसीह) को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी कोर्ट ने कहा था कि ये साफ़ है कि उन्होंने बैलेट पेपर के साथ छेड़छाड़ की और उनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
उन्होंने जो किया, कोर्ट ने उसे लोकतंत्र की ‘हत्या और मज़ाक’ बताया. कोर्ट ने बैलेट पेपर और चुनाव प्रक्रिया के वीडियो को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था.

चीफ़ जस्टिस ने मसीह से क्या पूछा?
कोर्ट के आदेश पर मसीह सोमवार की सुनवाई के दौरान पेश हुए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गई कि मसीह चंडीगढ़ महापालिका के नामित सदस्य हैं और वो बीजेपी से जुड़े हुए हैं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मसीह से सवाल पूछे.
लाइव लॉ के मुताबिक, चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मिस्टर मसीह, मैं आपसे एक सवाल पूछता हूं. अगर आपने सच नहीं बताया तो आपके ख़िलाफ़ केस चलाया जाएगा. ये एक गंभीर मामला है. आप कैमरे की तरफ देखते हुए क्या कर रहे थे, (जब) आप बैलेट पेपर पर क्रॉस (X) बना रहे थे? आप निशान क्यों बना रहे थे ?”
इस पर मसीह ने कहा, “वोटिंग के बाद मुझे बैलेट पेपर पर दस्तख़्त करने थे. जो बैलेट पेपर रद्द हो गए थे, उन्हें अलग करना था.”
चीफ़ जस्टिस ने पूछा, “वीडियो में साफ़ नज़र आता है कि आप ख़ास बैलेट पेपर क्रॉस (X) का निशान बना रहे थे. क्या आपने ख़ास बैलेट पेपर पर क्रॉस (X) का निशान बनाया?”
इस सवाल पर मसीह ने कहा, “जी हां.”
चीफ़ जस्टिस ने पूछा, “कितने बैलेट पेपर्स पर निशान बनाए गए?”
मसीह ने कोर्ट को बताया, “आठ. (बैलेट पेपर)”
चीफ़ जस्टिस ने पूछा, “आपने ऐसा क्यों किया? आपको सिर्फ़ दस्तख़्त करने थे. नियमों में ऐसा कहां हैं कि आप बैलेट पेपर पर दूसरा निशान बना सकते हैं.”
इस पर मसीह ने जवाब दिया, “बैलेट पेपर को ख़राब उम्मीदवारों ने किया. उन्होंने इसे खींचा और नष्ट कर दिया.”
चीफ़ जस्टिस ने इस पर सॉलिसिटर जनरल को संबोधित किया.
उन्होंने कहा, “मिस्टर सॉलिसिटर, इनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाया जाए. ये चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.”

वोटों की गिनती
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर को आदेश दिया कि वो एक ऐसे अधिकारी को नामित करें जिनका झुकाव किसी राजनीतिक दल की ओर न हो और उन्हें रिटर्निंग ऑफ़िसर बनाएं. वही बैलेट पेपर की गिनती करें और नतीजों का एलान करें.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटों की गिनती की पूरी प्रक्रिया की निगरानी पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से नामित एक न्यायिक अधिकारी करेंगे.
चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “नतीजे के एलान से पहले ये प्रक्रिया जहां रूकी थी, वहां से इसे एक तर्क संगत निष्कर्ष तक ले जाया जाएगा. ”
चंडीगढ़ प्रशासन की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी की निगरानी में नए सिरे से चुनाव कराए जाएं.
हालांकि, मेयर चुनाव में पराजित घोषित किए गए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने तुषार मेहता के प्रस्ताव का विरोध किया.
कुलदीप कुमार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील गुरमिंदर सिंह ने कहा कि मौजूदा बैलेट पेपर के आधार पर ही वोटों की गिनती की जा सकती है.
बैलेट पेपर पेश करें
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश भी दिया कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बैलट पेपर उनके सामने पेश किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बैलेट पेपर पेश करने को कहा है.
विवादों में रहे चुनाव को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि वो बैलेट पेपर और वीडियो लाने के लिए एक न्यायिक अधिकारी को तैनात करें. कोर्ट ने प्रशासन से कहा कि उस अधिकारी और तमाम रिकॉर्ड को सुरक्षित तरीके से लाने के लिए सुरक्षा दी जाए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सभी बैलेट पेपर और वीडियो रिकॉर्डिंग को देखेगा.
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफ़िसर रहे अनिल मसीह भी कोर्ट के सामने पेश हुए.

‘हॉर्स ट्रेडिंग गंभीर मामला’
एक दिन पहले (रविवार को) ही आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद भारतीय जनता पार्टी में चले गए हैं.
इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सोमवार को कहा कि ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ हो रही है. ये एक ‘गंभीर मामला’ है.
आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद नेहा, पूनम और गुरुचरण काला रविवार को बीजेपी में शामिल हो गए. इसके पहले बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ के मेयर पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
चंडीगढ़ में मेयर चुनाव 30 जनवरी को हुए थे. चुनाव नतीजों के एलान के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने कोर्ट का रुख किया था.
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का आरोप है कि इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी ने धांधली की और संख्या बल ना होने के बावजूद भी बीजेपी की जीत का एलान किया.
हाई कोर्ट में राहत नहीं मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

पीठासीन अधिकारी ने पहले क्या कहा था?
चुनाव नतीजों पर विवाद होने के बाद पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात की थी.
अनिल मसीह ने कहा था, ”जो मेयर चुनाव हुआ, वो प्रक्रिया बहुत शांतिपूर्वक चल रहा था. सांसद के वोट मिलाकर कुछ 36 वोट डाले गए. जब हम मतपत्र जारी कर रहे थे, तब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों की चिंताएं थीं कि मतपत्रों पर कहीं निशान हैं तो क़रीब 11 मतपत्र बदलने के लिए उन्होंने कहा. मैंने उनकी गुज़ारिश का सम्मान किया. उनके 11 मतपत्र मैंने साइड में रखकर उनको नए 11 मतपत्र जारी किए. वोट जब पड़ गए तो वोटों की गिनती शुरू हुई.”
अनिल मसीह बोले, ”मैंने प्रक्रिया के तहत नतीजों का एलान किया कि बीजेपी को 16, आम आदमी पार्टी को 12 और आठ वोट अवैध हैं. एलान करते ही मैंने बीजेपी के पोलिंग एजेंट सौरभ जोशी और आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के पोलिंग एजेंट योगेश ढींगरा जी से गुजारिश की कि आप आगे आकर ये सारे मतपत्र चेक कर लें. मगर कांग्रेस- आम आदमी पार्टी के ये लोग पेपर चेक करने की बजाय कूद पड़े. उन्होंने आकर बैलेट पेपर पर कब्ज़ा कर लिया, उसे फाड़ा.”
आठ मतपत्र अवैध क्यों क़रार दिए गए?
इस सवाल पर पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने जवाब दिया था, ”मतपत्र में कुछ टिकमार्क या निशान नहीं होने चाहिए. वोटिंग के बाद वो निशान जिन आठ मतपत्रों में पाए गए, उनको हमने आमान्य क़रार दिया.”