अग्निवेश की पिटाई से कल शेखर गुप्ता बड़े दुखी थी। लगातार ट्वीट पर ट्वीट किए जा रहे थे। अग्निवेश की पिटाई उन्हें ‘शॉकिंग’ और ‘सेमफुल’ लग रही थी। उन्होंने अग्निवेश की याद में बहाए आंसू वाले अपने ट्वीट को पिन कर रखा है। वहीं, कल ही ‘जी हिंदुस्तान’ के स्टूडियो में ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज अरशद कासमी नामक एक मौलाना ने तीन तलाक की मुख्य याचिकाकर्ता फराह फैज की पिटाई कर दी, लेकिन शेखर गुप्ता ने इसे लेकर मुंह में रसगुल्ला रख लिया और हाथ को कमर के पीछे बांध लिया! उनका एक भी ट्वीट इस घटना पर नहीं आया।
Shocking & shameful the manhandling of Swami Agnivesh. He’s a decent man who never meant or did harm to anybody. And he is 80, for heaven’s sake. Is there any decency left?
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) July 17, 2018
ऐसा ही हाल राजदीप सरदेसाई का है। राजदीप ने मौलाना द्वारा महिला की पिटाई का वीडियो तो शेयर किया, उसे शर्मनाक भी बताया, लेकिन अगले ही ट्वीट में ऑलइंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का बचाव करते और हिंदुओं को कोसते भी दिखे। उन्होंने पर्सनल बोर्ड के सदस्य को सेल्फ स्टाइल मौलवी कह कर, पर्सनल बोर्ड के कट्टरपंथी सोच को ढंकने का प्रयास किया। साथ ही अपने उस ट्वीट में उसकी तुलना हिंदू चरमंथी से कर दी और इसे हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बता डाला।
Bring in some self styled maulvis (bearded with topi is a must), make them the permanent enemy, then find a Hindu extremist voice, get the duo to fight in the studio (physical violence is an added bonus), watch TRPs rise, all in the name of ‘HM first’ (Hindu Muslim) Shameful..
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 17, 2018
राजदीप ने इस पूरी घटना की निंदा करने की जगह इसे नौटंकी बता कर इसे हल्का करने का प्रयास किया। तीन तलाक, हलाला जैसी कुरीतियों में जकड़ी मुसलिम महिलाओं के विरोध और कट्टरपंथी मुल्ले-मौलवियों को बचाने का प्रयास राजदीप के ट्वीट में साफ-साफ झलकता है।
So this video will go viral. More drama, more nautanki, more hate.
Waiting for murder in the studio next. Shameful pic.twitter.com/p3rU22GyjU
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 17, 2018
आपको याद होगा फ्रांस के एक अखबार शेब्लोहार्दो में आतंकवादी धड़धड़ाते घुसते चले गये थे और नौ पत्रकारों को गोलियों से भून दिया था। भारत की पत्रकारिता में बैठे मौलानाओं (एंकर पत्रकार) ने यह तक कह दिया था कि किसी मजहब पर कटाक्ष कर उसे उकसाना नहीं चाहिए। एनडीटीवी के रवीश ने तो साफ-साफ उस हत्या को जस्टिफाई करने का प्रयास किया था। लेकिन आज जब अग्निवेश हिंदुओं को खुलेआम गाली-गलौच देता है तो पत्रकारिता के वेश में बैठे ये सेल्फ स्टाइल्ड मौलाना हिंदुओं को ही गाली देते हैं। दरअसल हिंदुओं के प्रति इनके अंदर इस कदर नफरत भरी है कि ये हमेशा उसे गाली देने और गाली देने वालों के समर्थन में जुटे रहते हैं। हिंदुओं से नफरत के कारण से मुसलिम और ईसाई समाज की कट्टरपंथी जमात को खुलकर प्रश्रय देते हैं, जिस कारण उस समाज की बुराई के पक्ष में भी ये खड़े हो जाते हैं।
अग्निवेश कोई स्वामी नहीं है, बल्कि वह मिशनरीज का एजेंट और माओवादी है। भले ही वह भगवा चोला पहने, पगड़ी लगाए, खुद को आर्यसमाजी कहे, लेकिन उसका पूरा कर्म भारत और हिंदू धर्म के खिलाफ है। आर्यसमाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती से लेकर श्रद्धानंद तक ने कन्वर्जन का विरोध किया था। श्रद्धानंदजी की हत्त्या तो शुद्धिकरण अभियान के कारण एक मुसलमान ने ही की थी। आरोप है कि अग्निवेश आदिवासियों के कन्वर्जन मंे ईसाई मिशनरीज की मदद करता है। फिर यह किस तरह से आर्यसमाजी हुआ? यह भारत की प्राचीनता, उसके स्वर्णिम इतिहास का हमेशा मजाक बनाता है। नीचे के वीडियो में देखिए कि यह किस तरह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदू धर्म का मजाक बना रहा है?
Everyone should watch this Bakwas of Pakhandi Swami Agnivesh pic.twitter.com/2m9GVZYQJg
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) July 17, 2018
झारखंड के पाकुड़ में जिन लोगों ने अग्निवेश की पिटाई की उनका आरोप भी यही है कि अग्निवेश ईसाई मिशनरीज के इशारे पर आदिवासी समाज को भड़काने आया था। इसका खुलासा इससे भी होता है कि जिले के पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र प्रसाद बर्नवाल ने अपने बयान में कहा कि ‘जिले में अग्निवेश के कार्यक्रम को लेकर उनके पास पहले से कोई जानकारी नहीं थी।’ याद रखिए कन्वर्जन का काम हमेशा चोरी-छिपे ही चलता है। तो फिर क्या कारण था कि अग्निवेश या उसके आयोजकों ने अपने कार्यक्रम की सूचना जिला प्रशासन को नहीं दी थी? कहीं वह सीधे-सीधे कन्वर्जन कराने का काम तो नहीं कर रहे हैं? अग्निवेश हमेशा जंगलों में बैठे माओवादियों के संपर्क में रहे हैं। आखिर यह कैसे संभव है कि अन्य भगवाधारियों को तो माओवादी दुश्मन समझते हैं और अग्निवेश उनके लिए सगा है? यह सर्वविदित है कि माओवादियों के साये में मिशनरियां कन्वर्जन का धंधा चलाती हैं और इसके एवज में माओवादियों को फंड से लेकर बंदूक तक मुहैया कराती हैं।
आज अग्निवेश पिटाई पर रोने और अरशद काजमी द्वारा फराह फैज की पिटाई पर सेक्यूलर खामोशी अख्तियार करने वाले का पाखंड खुलकर सामने आ गया है। वामपंथी-इस्लामपंथी विचारधारा वाले ये पत्रकार इस पर खामोश हैं कि अग्निवेश बिना पूर्व सूचना दिए आदिवासियों के इलाके में गुपचुप तरीके से क्यों जाते हैं? दरअसल अंग्रेजी मीडिया, इलेक्ट्रोनिक न्यूज चैनल और एनजीओ में बैठे ये लोग न तो पत्रकार हैं और न एक्टिविस्ट, बल्कि ये सभी शहरी नक्सल हैं, जो हर हाल में हिंदुस्तान को तोड़ने के प्रयास में जुटे हैं।
‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के हर सदस्य के पक्ष में सामूहिक आर्तनाद करना इनकी रणनीति का हिस्सा है। चूंकि इन सभी का फंडकर्ता समान है, इसलिए ये सभी एक-दूसरे को अपने-अपने माध्यम से मदद पहुंचाते हैं। यही कारण है कि रांची में मदर टेरेसा के संस्थान से लगातार बच्चा बेचे जाने की इतनी बड़ी खबर केवल हिंदी अखबारों और सोशल मीडिया का मुद्दा बन कर रह गयी। अंग्रेजी अखबार और न्यूज चैनलों में इस पर बहस नहीं दिखी? आपको याद होगा कि अंग्रेजी आउटलुक ने आरएसएस के खिलाफ बच्चा बेचे जाने की झूठी खबर प्रकाशित की थी और सारे अंग्रेजी पत्रकारों ने इस पर खूब हो-हल्ला मचाया था। जब एक स्वयंसेवक ने इसे लेकर आउटलुक पर मानहानि का मुकदमा कर दिया तो भी सारे अंग्रेजी पत्रकार ‘अभिव्यक्ति का गला घोंटा जा रहा है’- का नारा बुलंद करते हुए शोर मचाने लगे थे। बाद में पता चला वह पूरी खबर ही फर्जी है और फिर आउटलुक के संपादक को इस्तीफा देना पड़ा था। उस संपादक के इस्तीफा पर भी खूब शोर मचाया गया कि भाजपा की सरकार फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को दबा रही है, लेकिन इनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि आखिर वो संपादक अपनी खबर के पक्ष में कोई सबूत क्यों पेश नहीं कर पा रहे थे?
देख लीजिए महिला को पीटने वाले उस कट्टरपंथी मौलाना के पक्ष में किस तरह से कम्युनिस्ट पार्टी उतर आयी है-
एक मौलाना (जिसने महिला को ट्रिपल तलाक़ के ख़िलाफ़ बोलने के लिए TV पर थप्पड़ मारा) को विलेन बना दिया – आमिर हैदर ज़ैदी (CPI नेता और कांग्रेस के मित्र!) pic.twitter.com/jdlCpmX8wr
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 17, 2018
आप सोच कर देखिए, मदर टेरेसा के एनजीओ से इतने बच्चे चोरी होने के सबूत मिल चुके हैं, लेकिन कहीं कोई हो-हल्ला इन मिशनरीज के पालतू पत्रकारों ने मचाया? दरअसल ये सब गांधी परिवार के पालतू हैं और भारत में अरब और वेटिकन नेटवर्क का सबसे बड़ा सिरा गांधी परिवार से ही जुड़ता है। स्वाभाविक है गांधी परिवार इनका माई-बाप है। तो जागिए, और इनके सलेक्टिव आउटरेज के खिलाफ सोशल मीडिया पर जमकर अपना गुस्सा निकालिए, इन्हें आईना दिखाइए और इन्हें तथ्यगत रूप से नंगा कीजिए। यही रास्ता है, भारत और हिंदू समाज को बचाने का।
शेखर गुप्ता जी आज ही एक टीवी स्टूडियो में दो महिलाओं को आल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक मौलाना ने पीटा है। आप लिबरल्स थोड़ा उसकी भी निंदा कर दें! आखिर न्यूज स्टूडियो में महिला पिटी और लिबरल मीडिया मुंह पर पट्टी बांधे है, आखिर यह कैसी मीडिया, कैसी पत्रकारिता है? https://t.co/44q3dzokrv
— Sandeep Deo (@sdeo76) July 17, 2018
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