जब से कोरोना को WHO ने वैश्विक महामारी घोषित किया है तब से मॉडर्न मेडिसिन के ठेकेदार वैक्सीन को लेकर हर दिन एक नई साज़िश का खुलासा करते आये हैं। अभी-अभी WHO के चीफ़ टेड्रॉस अधिनॉम का वैक्सीन कारगर ना होने वाला वक्तव्य धूमिल भी नहीं पड़ा कि जर्मनी के साइन्टिस्ट ने एक और शिगूफ़ा छोड़ दिया कि कोरोना के बहुत ही इफ़ेक्टिव एन्टीबॉडी मिले हैं जिनसे कोविड-19 की पैसिव वैक्सीन तैयार की जा सकती है। इस नई हेड लाइन को देखकर ऐसा लगा कि साइन्टिस्ट लोगों को गुमराह करना बंद नहीं करेंगे।
सभी जानते हैं कि वैक्सीन के ज़रिये इम्यूनिटी को किसी भी विषाणु अथवा जीवाणु को नष्ट करने के लिये उपयुक्त एन्टीबॉडी बनाने का पूर्व अनुभव कराया जाता है। परन्तु यदि किसी के शरीर में जीवाणु अथवा विषाणु की जगह एन्टीबॉडी को इन्जेक्ट किया जायेगा तो उसकी इम्यूनिटी इन्जेक्ट किये हुये एन्टीबॉडी को फ़ॉरेन मैटीरियल समझकर उसे नष्ट करने के लिये एन्टीबॉडी बनायेगी। अत: जर्मनी के साइन्टिस्ट द्वारा इफ़ेक्टिव एन्टीबॉडी से बने वैक्सीन से कोरोना में राहत कैसे मिलेगी यह समझ नहीं आया ? दूसरी बात यह नहीं समझ आई कि पैसिव वैक्सीनेशन का क्या मतलब है, क्या
“BERLIN:Scientists have identified highly effective antibodies against the novel coronavirus, which they say can lead to the development of a passive vaccination for COVID-19.”
मेरा सभी से अनुरोध है कि कोरोना से संबंधित इस तरह की अफ़वाहों से गुमराह ना हो। कोरोना की ना कोई दवा बनी है, ना ही कोई थिरैपी काम करेगी और ना ही कोई वैक्सीन सक्सेसफुल होगा। कोरोना का एकमात्र उपाय सस्टेन्ड इम्यूनिटी है जिसके लिये आपको अपनी लाइफ़ स्टाइल बदलना पड़ेगा। जो भी अपने जीवन को कोरोना से सुरक्षित करना चाहते हैं उन्हें बदलाव लाना ही पड़ेगा। प्राकृतिक नियमों का पालन करना होगा और प्रकृति के साथ जीना सीखना होगा।
कमान्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
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