देश की वो सबसे काबिल जांच एजेंसी, जिसकी साख सुप्रीम कोर्ट में दांव पर लगी है उसी जांच एजेंसी की काबिलियत का असर है कि विजय माल्या जल्द ही भारत की जेल में होगा। देश को लूट कर अय्यासी का धंधा करने वाला माल्या 2016 में देश छोड़कर भाग गया था। जो काम माल्या ने किया वह आर्थिक अपराधी दशकों से करते आ रहे थे। फर्क यही है कि माल्या पहला आर्थिक अपराधी है जिसे ब्रिटेन से प्रत्यर्पित किया जा सका। और अब तक तक दूसरा आर्थिक अपराधी जिसे प्रत्यर्पित कर भारत की अदालत में पेश किया जाएगा। जबकि नीरव मोदी,ललीत मोदी व विजय माल्या समेत 29 अपराधी सिर्फ ब्रिटेन से जिसका प्रत्यर्पण किया जाना है। दशकों से सरकार उन्हें लाने के लिए नाक रगड़ रही है।
अपराधियों के प्रत्यर्पण की सालों से भारत सरकार की मांग तो ब्रिटेन से रही लेकिन इच्छा शक्ति कभी नहीं रही। भारत सरकार के पिछले रिकार्ड से माल्या को भी लगता था कि 11 हजार करोड़ की लूट के पैसे से उसकी बांकि जिंदगी ऐश से कटेगी। इसीलिए माल्या ब्रिटेन की अदालत में भारत के सुप्रीम कोर्ट और यहां की व्यवस्था को बदनाम कर अपने अपराध को छोटा करने की जो साजिश रच रहा था । वह नाकाम हो गया।
भारत की सुप्रीम कोर्ट के सम्मान में कसीदे पढ़ते हुए ब्रिटेन की अदालत ने माल्या कहा भारत में कानून का राज है वहां कि सुप्रीम कोर्ट स्वायत है राजनीतिक दलों या सरकार का उस पर हस्तक्षेप नहीं। आपने कायदे कानून ताक पर रखकर दिए। दूसरों का हक छीन कर खुद हीरे जवाहरात से लद गए। आप यदि खुद को निर्दोष साबित करना चाहते हैं तो वहां की अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखिए। ब्रिटेन के बेस्ट मीनिस्टर कोर्ट की जज एम्मा अर्बथनॉट का यह फैसला सही मायने में भारतीय जांच एजेंसी की काबिलियत की जीत है। सरकार की उस इच्छा शक्ति की जीत है जिसने भारत के लूटेरे को देश वापस लाने का जोरदार प्रयास किया है। अब तक किसी सरकार ने शायद वो इच्छा शक्ति नहीं दिखाई जिसके कारण देश छोड़ कर भागे किसी आर्थिक अपराधी का कभी प्रत्यर्पण नहीं हुआ। माल्या हफ्ते भर के अंदर दूसरा अपराधी है जिसका प्रत्यर्पण संभव हो पाया।
दिलचस्प यह कि माल्या के प्रत्यर्पण में सीबीआई के उस अधिकारी राकेश अस्थाना की भूमिका है जो अपनी और देश की सबसे काबिल जांच एजेंसी की साख को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जद्दोजहद कर रहा है। माल्या ने अपने मामले में जांच अधिकारी राकेश अस्थाना की ईमानदारी और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सीबीआई के मामले पर सवाल उठाते हुए भी अपने बचाव में तर्क दिए। जज अर्बथनॉट ने उसे खारिज करते हुए कहा कि इसके कोई सबूत नहीं मिले की प्रोसिक्यूटर भ्रष्ट या राजनीति से प्रेरित है। अभियुक्त का अपने बचाव में दिया गया तर्क तथ्यहीन है।
खुद मानवाधिकार का हनन कर दूसरों का पैसा लूटकर अय्यासी करने वाले माल्या ने भारत की जेलों मे मानवाधिकार के दुरुपयोग का सवाल इस आधार पर उठाया कि वहां की जेलों में सुविधाएं नहीं है। कोर्ट ने माल्या के उन दलीलों को भी खारिज कर दिया। माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन की अदालत का फैसला कई मामलो में हमारे लिए भी नजीर है। सबसे बड़ी बात ऐसे आर्थिक अपराधियों का सत्ता और नौकरशाही से कैसा गठजोड़ होता है कि वे सालों तक देश को लूटते हैं फिर आसानी से देश छोड़कर भाग जाते हैं। देश के भगौड़ो को वापस लाना कभी आसान नहीं होता। उससे भी बड़ा सच कि उनके अपराध और फिर देश छोड़ कर भागने में सत्ता की भागीदारी के सच का खुलासा हो जाने के कारण सरकार की नियत नहीं होती उन्हें वापस लाने की। यही कारण है कि दशको से देश में अपराध कर भागने वाले 70 अपराधियों में अब तक चार अपराधियों को ही हम भारत की अदालत में पेश कर पाए। वे सभी हत्या आरोपी थे। कभी आर्थिक अपराधियों को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सका क्योंकि उससे सरकार के अंदर छुपे अपराधियों का सच सामने आने का खतरा रहता है। मिशेल के बाद एक ही हफ्ते में माल्या का प्रत्यर्पण मोदी सरकार की बड़ी उपल्बधि इस लिहाज से है क्योंकि यह आज तक संभव नहीं हो पाया। माल्या या नीरव मोदी का अपराध भले ही यूपीए सरकार के दौर का हो लेकिन वे देश छोड़कर भागे तो मोदी काल में ही थे। लोकतंत्र में अटकलों के मायने हैं। इसीलिए राहुल समेत पूरा विपक्ष इन भगौड़ो की मदद के लिए मोदी सरकार को कटघरों में ले रहे थे। और माल्या जैसा अपराधी पूरे भारतीय न्यायपालिका और कार्यपालिका को। अब जरुरत सिर्फ इस बात की नहीं की अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा जाए। बल्कि इन आर्थिक अपराधियों के पीछे सत्ता के करुप चेहरे को बेनकाब करने की जरुरत भी है जो अबतक सिर्फ एक दूसरों पर छींटाकसी का चुनावी मुद्दा रहा है।
URL: uk court orders extradition of Vijay malya to India….
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