संदीप देव। Data Beings का YouTube का यह डाटा देखिए, इसमें या तो पेटिकोट पत्रकार (कांग्रेसी इंफ्लूएंसर) है या निक्कर पत्रकार (भाजपाई इंफ्लूएंसर) शामिल हैं। वस्तुनिष्ठ पत्रकार इनमें कोई नहीं है जो खबरों का विश्लेषण निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ तरीके से करता हो!
टीवी चैनल की तरह सोशल मीडिया भी भाजपा-कांग्रेस में बंटी हुई है, जिस कारण स्वतंत्र और वस्तुनिष्ठ समाचार आम लोगों तक कभी पहुंच ही नहीं पाता। इसका असर राजनीति पर भी पड़ता है। इस झूठ के कारण झूठी राजनीति चलती रहती है।
2008 में चुनाव जीतने के लिए बराक ओबामा ने सोशल मीडिया का उपयोग आरंभ किया था। वो जीत भी गया, लेकिन बाद में जांच के दौरान पता चला कि ओबामा के पक्ष में बड़ी संख्या में सोशल मीडिया पर फैलाई गई fakenews ने उसके लिए माहौल बनाया। उस फेक न्यूज में उसकी असली पहचान और नाम छुपाना तक शामिल था।
मुख्यधारा की मीडिया का fakenews और फेक चैट शो अब सोशल मीडिया का भी कल्चर बन चुका है। इसी सूची में देखिए, साफ दिखता है!
इस सूची के टॉप में शामिल एक चैनल मोदी चापलूसी में इतना फेक न्यूज फैला रहा था कि मोदी सरकार को ही उस पर कार्रवाई करना पड़ा कि भाई इतना भी फेक न्यूज मत फैलाओ!
कांग्रेसी इंफ्लूएंसरों की सूची देखिए, सब एक से बढ़कर एक फेक न्यूज मेकर इस सूची में शामिल हैं। हांगकांग की एक डाटा कंपनी ने दुनिया के 100 पोलिटिकल इंफ्लूएंसरों में पहले नं पर रवीश कुमार को रखा है। रवीश कुमार, जो शाहरुख को अनुराग बनाने जैसा फेक न्यूज करता हो, वह टॉप पर है, सोचिए! वह सूची भी देखिए: https://www.noxinfluencer.com/youtube-channel-rank/top-100-all-news%20&%20politics-youtuber-sorted-by-noxscore-weekly
ऐसे में वस्तुनिष्ठ समाचार लोगों को कैसे मिले, यह बड़ी समस्या है!