
कोरोना से डरें ना ! किस तरह आपकी अपनी इम्यूनिटी कोरोना को हरा सकती है जाने ?- ज़ायरोपैथी
इम्यूनिटी का मुख्य कार्य बाहर से आने वाली हर चीज़ का बहिष्कार करना है। जन्म पर इम्यूनिटी अनिर्मित (raw) होती है। इसका विकास और विस्तार जैसे-जैसे बाहर की वस्तुयें शरीर में प्रवेश करती हैं, शुरू हो जाता है। शुरूआत में इम्यूनिटी अंदर आने वाली प्रत्येक वस्तु का बहिष्कार करती है, फिर धीरे-धीरे भोजन, पानी और वायु को स्वीकार करना शुरू कर देती है।परन्तु भोजन, पानी और वायु में छिपे हानिकारक जीवाणु /विषाणु अंदर पहुँच जाते हैं और अपनी प्रकृति के अनुसार क्षति पहुँचाना शुरू कर देते हैं। जीवाणु/विषाणु के प्रवेश का आभास होते ही, इम्यूनिटी उपयुक्त एन्टी-बॉडीज बनाना शुरू कर देती है। यदि इम्यूनिटी उपयुक्त एन्टी-बॉडीज पर्याप्त मात्रा में बनाकर जीवाणु/विषाणु को समाप्त कर देती है तो शरीर जीवाणु/विषाणु द्वारा होने वाली क्षति से बच जाता है, अन्यथा ये जीवाणु/विषाणु घातक भी हो सकते हैं। अतः जब जीवाणु/विषाणु आपके शरीर में प्रवेश करे, उस वक़्त आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉंग होना बहुत ज़रूरी है।
इम्यूनिटी मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है-
(1) नेचुरल इम्यूनिटी– यह इम्यूनिटी शरीर की वास्तविक शक्ति है, जिसे शरीर विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं तथा विषाणुओं से लड़कर स्वयं विकसित करता है।
(2) पैस्सिव इम्यूनिटी-यह एक प्रकार की टेम्परेरी या उधार ली हुई इम्यूनिटी होती है। इस प्रकिया में किसी दूसरे पूर्व संक्रमित शरीर से एन्टीबॉडीज निकाल कर बीमार व्यक्ति के शरीर में पहुँचाया जाता है। ये उधार ली हुई एन्टीबॉडीज कुछ समय तक काम करती हैं और फिर निष्क्रिय हो जाती हैं, क्योंकि ब्रेन के सेल को छोड़कर अन्य सभी सेल पूर्वनिर्धारित समय तक ही जीवित रहते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है – प्लाज़्मा थिरैपी, जिसकी आजकल बहुत चर्चा हो रही है।
(3) एक्टिव इम्यूनिटी-यह एक प्रकार की पर्मानेन्ट इम्यूनिटी है, पर इसे कृत्रिम तरीक़े से शरीर में विकसित किया जाता है।इस प्रक्रिया में किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को जिस जीवाणु या विषाणु से बचाना होता है, उसी जीवाणु/विषाणु को कंट्रोल्ड तरीक़े से सुनिश्चित मात्रा में स्वस्थ शरीर में डाला जाता है। जीवाणु/विषाणु के प्रवेश करते ही इम्यूनिटी एक्शन में आ जाती है और एन्टीबॉडीज बनाकर कृत्रिम तरीक़े से पहुँचाये गये जीवाणु/विषाणु को नष्ट कर देती है। इस प्रकार से इम्यूनिटी को जीवाणु/विषाणु विशेष से लड़ने के लिये एन्टीबॉडीज का ज्ञान हो जाता है और आवश्यकता पड़ने पर इम्यूनिटी शरीर की सुरक्षा करती है। इसका उदाहरण है – वैक्सीन।
(4) ह्रर्ड इम्यूनिटी– यह भी एक प्रकार की पर्मानेन्ट इम्यूनिटी है, पर इसे विकसित करने का तरीक़ा भिन्न है।इस प्रक्रिया में सभी व्यक्तियों को नार्मल तरीक़े से जीवन जीने की सलाह दी जाती है। जब किसी भी व्यक्ति पर कोई भी जीवाणु/विषाणु अटैक करता है तो उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति भी संक्रमित हो जातें हैं।संक्रमित व्यक्तियों में जिनकी भी इम्यूनिटी मज़बूत होगी उनमें संभव है कि संक्रमण के कोई भी लक्षण ना दिखाई दें, परन्तु जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें विभिन्न प्रकार के लक्षण परेशान करने लगेंगे।परिणामस्वरूप उन्हें इलाज की आवश्यकता पड़ेगी।मौजूदा उपलब्ध इलाज के अंतर्गत संक्रमित व्यक्ति को लक्षण कंट्रोल करने वाली दवायें दी जाती हैं और उनकी इम्यूनिटी द्वारा एन्टीबॉडीज बनाकर जीवाणु/विषाणु को समाप्त करने का इंतज़ार किया जाता है। इसमें से जिनकी इम्यूनिटी जीत जाती है, वे स्वस्थ हो जाते हैं। जिन संक्रमित लोगों में लक्षण नहीं मिले उनसे आगे लोगों में संक्रमण फैलता रहेगा और समय के साथ सभी संक्रमित हो जायेंगे।संक्रमित व्यक्ति में जिनकी भी इम्यूनिटी मज़बूत होगी वे जीवित रहेंगे। इस प्रकार की इम्यूनिटी का उदाहरण इनफ़्लुएंज़ा, क्षयरोग (टी बी) इत्यादि में पाया जाता है।
दुनिया में अधिकाँश लोगों का मानना है कि विकसित और पश्चिमी देशों में रह रहे लोगों की इम्यूनिटी ज़्यादा स्ट्रॉंग है, परन्तु यह सही नहीं है। एशियाई मूल के निवासियों और उनमें भी विशेषकर भारतीय मूल के नागरिकों की इम्यूनिटी पावर कहीं अधिक है, क्योंकि विकसित और पश्चिमी देशों में रहने वाले व्यक्तियों के मुक़ाबले यहाँ के लोगों को इम्यूनिटी विकसित करने के लिये अधिक एक्सपोज़र मिलता है। लेकिन जहॉं भारतीयों की इम्यूनिटी पावरफुल है, वहीं कुपोषण भी बहुत अधिक है।इसलिये इम्यूनिटी जीवाणु/विषाणु के प्रति एन्टीबॉडीज़ तो बना लेगी पर बिना कुपोषण दूर किये निरंतर एन्टीबॉडीज बनाये रखना कठिन होगा। ऐसी स्थिति में कुपोषण का व्यापक इंतज़ाम करना चाहिए।
देश के माने जाने सुप्रसिद्ध डॉ के के अग्रवाल द्वारा जारी किए गये एक वीडियो के अनुसार लोगों को कोरोना के साथ जीना सीख लेना चाहिये और शायद यही देशहित में होगा। उन्होंने कोरोना संकट से मुक़ाबला करने की बात कही है और अंततः यही करना पड़ेगा। यह समझने की बात है कि जब दुश्मन घर के सामने खड़े होकर ललकार रहा हो तो आप कब तक डर कर घर में घुसे रहोगे। एक ना एक दिन आपको जैसे भी हो दुश्मन का सामना करना पड़ेगा। यदि यही करना है तो देशव्यापी लॉकडाउन उचित नहीं है। वास्तविकता यह है कि देशव्यापी लॉकडाउन से कोरोना संकट को आगे धकेल दिया गया है और उसकी संक्रमण की गति को कंट्रोल किया गया है। कोरोना को भगाना संभव नहीं है क्योंकि भगाया सिर्फ़ उन्हें ही जा सकता है जो दिखाई देते हों। कोरोना जैसे चालाक और मायावी दुश्मन को समझदारी पूर्वक नेचुरल तथा हर्ड इम्यूनिटी का प्रयोग कर हराया जा सकता है। इसके लिये लॉकडाउन को प्रॉपर स्ट्रैटेजी के साथ हटाना होगा और देश को कम से कम नुक़सान के साथ पुनः गतिमान करना होगा। मैं डॉ के के अग्रवाल जी के सुझावों का सम्मान करते हुये सिर्फ़ यह कहना चाहूँगा, कि यदि कोरोना के साथ ही जीना है, तो क्या इसे और बेहतर तथा सुरक्षित बनाने के लिये लीग से हटकर अन्य सुझावों पर भी विचार नहीं करना चाहिए ?
कोरोना के रैपिड ट्रॉंसफॉरमेशन को देखते हुये सभी इस बात को अंदर से समझ रहे हैं कि पैस्सिव (प्लाज़्मा थिरैपी) एवं एक्टिव (वैक्सीन) इम्यूनिटी कारगर नहीं सिद्ध हो पायेगी और मौजूदा हालात में सिर्फ़ नेचुरल और हर्ड इम्यूनिटी ही काम आयेगी।
हमारा देश अन्य देशों से भिन्न है, अत: हमें दूसरों के बताये हुये प्रोटोकॉल और नियमों से हटकर अलग सोचना होगा। यदि हम कोरोना को हराने में विश्व लीडर बनना चाहते हैं तो हमें स्वयं अपने नियम बनाने होंगे क्योंकि दूसरों का अनुसरण कर हम लीडर नहीं कहलायेंगे। माना कि मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली लक्षणों को कंट्रोल करने में बहुत कारगर है पर चूँकि इम्यूनिटी कोई लक्षण नहीं है अत: देशहित में इस संदर्भ में ज़ायरोपैथी के सुझावों पर खुले दिमाग़ से विचार करना चाहिए। मैं जानता हूँ कि पूरे देश से कोरोना को भगाने/हटाने/हराने के हज़ारों सुझाव माननीय प्रधानमंत्री जी के पास आये हैं, परन्तु ज़ायरोपैथी देश में विकसित एक नई स्वास्थ्य प्रणाली है जिसका मुख्य काम इम्यूनिटी को बूस्ट कर क्रॉनिक बीमारियों को जड़ से निकालना है। ज़ायरोपैथी का मानना है कि हमारा शरीर भोजन से बनता है, अत: भोजन ही इसको रिपेयर कर सकता है। इसलिये ज़ायरोपैथी स्वत: विकसित फ़ूड सप्लीमेंट के ज़रिये लोगों की इम्यूनिटी बूस्ट करके उपचार करती है। अत: स्वदेशी स्वास्थ्य प्रणाली को प्राथमिकता देते हुये माननीय प्रधानमंत्री जी को ज़ायरोपैथी के सुझावों पर विचार करना चाहिए।ज़ायरोपैथी पूरी तरह नेचुरल एवं सुरक्षित सिस्टम है, जिसके कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं हैं।
कामायनी नरेश
सम्पर्क- 1800-102-2357 ; +91-8800-8800-40
ई-मेल: zyropathy@gmail.com
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Dhanyad ji, Corona se ladme mein ye jankari mahatvpurn hain.