अब्दुल रशीद सलीम सलमान खान पचपन साल के हो चुके हैं और अब तक फिल्म इंडस्ट्री पर उनका अघोषित कब्जा बरक़रार है। इंडस्ट्री में 32 साल बिताने के बाद अब वे इस मुकाम पर पहुँच चुके हैं कि किसी स्क्रिप्ट को बदलवा सकते हैं, किसी भी गायक का गाना छीन कर खुद गा सकते हैं, सिर्फ एक फोन कॉल पर किसी नवोदित अभिनेता का कॅरियर ख़त्म कर सकते हैं।हिन्दी फिल्म उद्योग में एक सुपरस्टार का ठीक-ठीक मतलब यही होता है कि वह अपने प्रतियोगियों को चालबाज़ी से गिराता रहे, हटाता रहे। अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर ने भी यही किया था लेकिन सलमान खान साम्राज्य बनाने के मामले में इन दोनों से दो कदम आगे हैं।
सलमान खान ने जितने कॅरियर ख़त्म किये हैं, उसकी गिनती तो वे स्वयं भूल चुके होंगे। अरिजीत सिंह, विवेक ओबेराय, ऐश्वर्या राय, सोनू निगम और साहिल खान जैसे कलाकारों को बिना मौत मारने का खून सलमान खान के सर ही है। ये तो वे लोग हैं जो सामने दिखाई देते हैं, और ऐसे कितने लोग हैं जो इस सुपरस्टार का शिकार हुए हैं। उनकी तो गिनती ही नहीं है।
कभी डाइरेक्टरों के घर जा जाकर रोल के लिए गिड़गिड़ाने वाला इंसान साऊथ की रीमेक फिल्मों के बल पर सुपरस्टार बन बैठता है और फिर समझता है कि ये सिंहासन हमेशा के लिए उसका हो गया। वह इतना अहंकारी हो जाता है कि अरिजीत सिंह को सार्वजनिक रूप से ‘निकल यहाँ से’ कह सकता है।
सन 1988 से सलमान खान ने ‘बीवी हो तो ऐसी’ फिल्म से कॅरियर शुरू किया था। शुरआती दौर में वे बेहद औसत अभिनेता थे। उनके मुखमंडल पर भाव मुश्किल से ही आते थे। सूरज बड़जात्या की ‘मैंने प्यार किया’ ने उनको लवर बॉय की इमेज दी, जिसके सहारे उनकी दूकान चल निकली। उनकी शुरूआती फ़िल्में देखिये, उनमे अभिनय मुश्किल से ही मिलेगा।
जब लवर बॉय की इमेज ढहने लगी तो साउथ की रीमेक ‘वांटेड’ से दोबारा कॅरियर स्थापित किया और उसके बाद ज्यादातर फ़िल्में साउथ की हिट फिल्मों की कॉपी ही बनाई है। ये अभिनेता सामाजिक सरोकारों वाली फिल्मों से दूर ही रहा और मेथड एक्टिंग क्या होती है, ये इसे अब तक नहीं पता। ये कभी किरदार की गहराई में नहीं जाता, इसका अभिनय इंस्टेंट कॉफी की तरह होता है।
पिछले कुछ साल से हिन्दी फिल्म उद्योग में ‘मेंटरशिप’ का रिवाज़ चल पड़ा है। सीनियर सलमान खान ने कई युवा अभिनेताओं को मौके दिए, बस फर्क इतना था कि उनमे से ज्यादातर उनके घर-परिवार के लोग थे, ज्यादातर ‘नेपोकिड्स’ थे। दस-बीस साल इंडस्ट्री में गुज़ारने के बाद हर कोई फ़िल्मी खानदान का हो जाता है।
एक बड़े अख़बार में फिल्मों पर बहुत साल से लिख रहे लेखक भी खुद को खानदानी इंडस्ट्री का समझने लगे हैं तो फिर सलमान की क्या बात करना। तो इस मेंटरशिप के जरिये सलमान खान ने अपना बड़ा कैम्प बना लिया है। आपने देखा होगा सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत पर इंडस्ट्री के कुछ कलाकार और निर्माता चुप्पी साध गए। ये सलमान खान कैम्प के ही लोग हैं।
जो व्यक्ति निजी संबंध ख़त्म होने पर अपनी प्रेमिका को ही फिल्म से बाहर करवा दे, उसकी मानसिकता के बारे में सोचिये। जब सलमान खान और ऐश्वर्या के फोन कॉल्स की टेप उजागर हुई और पता चला कि सलमान खान ऐश्वर्या को अंडरवर्ल्ड के नाम से धमका रहे थे, तो दोनों का रिश्ता टूट गया।
इसके बाद ऐश्वर्या को शाहरुख़ खान के साथ ‘चलते-चलते’ के प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया गया। उनसे लगातार फ़िल्में छीनी जाने लगी। अंततः उनका बेहतरीन कॅरियर एक दुःखद मोड़ पर समाप्त हो गया। समकालीन कलाकारों के पर काटने में उन्होंने कोई भेद नहीं किया, जो उनके रास्ते में आया, उसे उन्होंने सफाई से हटा दिया। यही सलमान खान का चरित्र है।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में सलमान उनके समर्थन में आगे आए हैं। इसके बाद गायिका सोना महापात्रा ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है ‘पोस्टर बॉय की तरफ से एक बड़े दिल वाला मूव’। बेशक उन्हें ऐसे किसी ट्वीट को करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई होगी या उन धमकियों के लिए माफी मांगने का एहसास भी उन्हें नहीं हुआ होगा।’ सोना महापात्रा जानती हैं कि मिस्टर सलमान खान की गर्दन फंसी हुई है।
उनको आपराधिक प्रकरण से उतना डर नहीं है, जितना कि इससे हो रही बदनामी से है। इंस्टाग्राम पर सलमान खान के फ़ॉलोअर्स डाउन हो रहे हैं। उनके साथ करण जौहर, आलिया भट्ट, सोनम कपूर और सोनाक्षी सिन्हा भी डाउन हो रहे हैं। सलमान को यही डर है कि पहले से ही वे फ्लॉप चल रहे हैं और ऐसे ही फ़ॉलोअर्स डाउन होते रहे तो उनकी गति भी उनसे पहले के सुपर स्टार्स की तरह ही हो सकती है।
महान राजा भोज ने एक जगह लिखा है ‘ये वसुंधरा किसी की न हुई, तो तुम्हारी क्या होगी।’ भोज ये बात उन शासकों के बारे में कहना चाहते थे, जो संपूर्ण पृथ्वी पर राज करना चाहते थे। वसुंधरा यानी पृथ्वी तो यही है लेकिन उन राजाओं का अब कुछ पता नहीं। सलमान खान के लिए यही बात कही जा सकती है।
जिस सिंहासन को वे अपनी प्रापर्टी मानकर चल रहे हैं, उस पर सबसे पहले महान अभिनेता अशोक कुमार विराजमान हुए थे, उसके बाद क्रमशः दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, राजेश खन्ना और अमिताभ ने उस चमचमाते सिंहासन का आनंद लिया है। बॉलीवुड का ये नकचढ़ा सिंहासन बुढ़ाते अभिनेताओं को पसंद नहीं करता। लात मारकर हटा देता है। विडंबना यही है कि किसी भी सुपरस्टार ने इस सिंहासन को स्वेच्छा से नहीं त्यागा। हर सुपरस्टार लतियाया गया है।
बिल्कुल सटीक विश्लेषण ??