संदीप देव। संविधान में जाति है, नेता अपनी जाति पर वोट मांगते हैं, देश में जातिगत आरक्षण है, राष्ट्रपति तक के चुनाव में जाति का आधार देखा जाता है? बस सवर्ण समाज से सब चाहते हैं कि वो अपनी जाति पर बात करना छोड़ दे?
अरे! संविधान से जन्मगत जाति का आधार हटाओ, चुनाव में जातिगत समीकरण साधना बंद कर दो, जाति को ध्यान में रखकर पद्म पुरस्कारों को देना बंद कर दो, जाति के आधार पर उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पलटना बंद कर दो, जातिगत कानून खत्म कर दो, अल्पसंख्यक आयोग जैसा असंवैधानिक मजहबी दरवाजे पर ताला जड़ दो; फिर सवर्ण समाज भी जाति पर बात करना छोड़ देगा!
जिनको सत्ता मिलनी है वो जातिवाद फैला कर हिंदू समाज को तोड़ रहे हैं और सवर्णों से चाहते हैं कि वो अपने हित को छोड़कर केवल उनको वोट देते रहें? जिनको 5000 करोड़ का स्कॉलरशिप दे कर तृप्त कर रहे हो, उसी से वोटों की उम्मीद भी रख लो?