संदीप देव । 22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर का उद्घाटन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से आज हिंदू समाज को जो राम मंदिर मिला है, उसमें सबसे बड़ा आधार हमारे पुराण का है।
सुप्रीम कोर्ट का 1000 पन्ने से अधिक का यह निर्णय बहुत कम हिंदुओं ने पढ़ा है, लेकिन जिसने भी पढ़ा है, वह जानता है कि उसमें भगवान राम के जन्म स्थान के पिन प्वांट के रूप में एक मात्र शास्त्रीय साक्ष्य के रूप में स्कंद पुराण का जिक्र है। इस साक्ष्य को रखा था चारों शंकराचार्य पीठ का प्रतिनिधित्व करता ‘अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति’ की ओर से ज्योतिष पीठ के पूर्व ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के प्रतिनिधि श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी एवं उनके वकील पी.एन.मिश्रा ने।वर्तमान में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं।
इसके अलावा अथर्ववेद, वाल्मीकि रामायण और बृहद धर्मोत्तर पुराण आदि का साक्ष्य भी प्रस्तुत किया गया, लेकिन उनमें भगवान राम के जन्म स्थान को पिन प्वाइंट नहीं किय गया था, इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी माना। हमारे महर्षियों को तब कहां पता था कि भगवान राम के जन्म के वास्तविक जगह पर भी कभी भारतवर्ष में रार मचेगा। लेकिन जन्म स्थान का पिन प्वाइंट स्कंद पुराण में वर्णित है, जो जन्मभूमि दिलवाने में सबसे बड़ा धार्मिक साक्ष्य बना।
स्कंद पुराण का वह श्लोक मैंने स्कंद पुराण से ढूंढ निकाला है, जो नीचे आप सभी के लिए प्रस्तुत है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्कंद पुराण वाला एक छोटा हिस्सा भी आपके लिए संलग्न कर रहा हूं।







और आप जानते हैं मुस्लिम पक्ष ने इस पर उन मूढ़ हिंदुओं और हिंदू संस्थाओं वाला (कु) तर्क ही सुप्रीम कोर्ट में रखा था कि स्कंद पुराण तो मध्यकाल में लिखे गये हैं, इसीलिए इसको प्रमाण न माना जाए! लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के इस कुतर्क को निरस्त कर दिया और शंकराचार्य जी द्वारा प्रस्तुत स्कंद पुराण के श्लोक को साक्ष्य के रूप में अपने निर्णय में दर्ज किया है।
मैं इसीलिए बार-बार कहता रहा हूं कि अंग्रेज और अंग्रेजों की औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोग और संस्थाएं पुराण को इसीलिए गाली देती हैं, क्योंकि उसमें भारतवर्ष का इतना गहरा और बारीक इतिहास प्रमाण के साथ दिए गये हैं, जो औपनिवेशिक ताकतों की जड़ें हिला देती हैं।
पुराणों को पढ़ने की अलग शैली है। इसे वही समझ सकता है, जिसका अंतस अध्यात्म से पगा हो। कोरे थोथे (कु) तर्क करने वालों को पुराण कभी समझ में नहीं आ सकते। ऐसे कुतर्की अब्राहमिक मानसिकता के हैं, जिनको पश्चिमी शैली में लिखा इतिहास ही केवल इतिहास लगता है! ऐसा ‘थोथा चना, बाजे घना’ मानसिकता के मूढ़ों के कारण सनातन हिंदू समाज का बड़ा नुकसान हुआ है!
हमें धन्यवाद देना चाहिए चारों शंकराचार्य पीठ का जो पुराणों पर विश्वास करते हैं और पुराणों को जिन्होंने प्रमाण के साथ सुप्रीम कोर्ट में रखा, जिस कारण हमें राम जन्मभूमि प्राप्त हो सकी।
मैं #ISDYouTubeLive में आज दोपहर 3.15 से प्रति दिन ‘राम जन्मभूमि की संघर्ष गाथा’ नाम से जो लाइव श्रृंखला करने जा रहा हूं, उसमें अयोध्या का रहस्य और इस संघर्ष का वह इतिहास आपको पता चलेगा, जिससे अभी तक आप अनभिज्ञ रहे हैं।
वेद-पुराण से लेकर, पुरातात्विक साक्ष्य और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तक- पूरी डिटेल में आपसे सब साझा करूंगा। मेरा उद्देश्य आज की नयी पीढ़ी को अपने धर्मशास्त्रों के प्रति सम्मान के साथ-साथ वह इतिहास बताना है, जो काल के थपेड़ों में दब कर रह गया है। जयश्री राम। 🙏