संदीप देव । संघ एक हिंदू द्रोही संगठन है। इसे भी औपनिवेशिक ताकतों ने हिंदू वेश में हिंदुओं को मिटाने के लिए खड़ा किया था, जैसे कभी राजा राम मोहन राय, ब्रह्म समाज, मोहनदास करमचंद गांधी, नेहरू आदि को खड़ा किया था।
संघ औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा हिंदुओं को भ्रमित कर मूर्ति पूजा समाप्त करने, उनके मंदिरों की शुचिता मिटाने, गुरु-शिष्य परंपरा को ध्वस्त करने, सनातन परिवार व्यवस्था का नाश करने और अपने धर्म ग्रंथों से हिंदुओं को दूर करने के लिए बनाया गया आखिरी टूल है। यदि हिंदू इससे बच गये और ढंग से संघ को समझ लिया तो फिर उन्हें आखिरी लड़ाई जीतने से कोई नहीं रोक सकता है!
संघ अब्राहमिक ताकतों का आखिरी हथियार है! यह भी गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार द्वारा फंडेड और #CIA का फ्रंट रनर आर्गेनाइजेशन #ACYPL की ट्रेनिंग भी भारत में सबसे पहले संघी नेताओं को ही मिलना आरंभ हुआ था।
यही नहीं, संघ वाली पहली सरकार का प्रधानमंत्री CIA से सैलरी पाता था, इसके दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध हैं। उसी सरकार ने विदेशी हित में हिंदुओं को खंड-खंड जातियों में बांटने वाली कमीशन बनाने, (बाद में लागू भी संघी समर्थन वाली सरकार ने ही किया)
और अल्पसंख्यक आयोग की नींब रखकर हिंदू-सिख को अलग करने एवं अल्पसंख्यकवाद के जरिए देश के संसाधनों पर अब्राहमिकों को अधिकार देने की शुरुआत की थी!
इतना ही नहीं, गो मांस भक्षकों से मंदिर और मूर्तियां तुड़वाने से लेकर मंदिर का गर्भ गृह बनवाने और मंदिर का ध्वज सिलवाने तक, मंदिर की सारी शुचिता नष्ट करने का काम भी संघी शासन में ही आरंभ हुआ है!
साथ ही, गोवंश की एक प्रजाति मिथुन के मांस का निर्यात भी इसी संघी शासन की देन है। आज बीफ एक्सपोर्ट में रिकार्ड बनाने से लेकर बीफ एक्सपोर्टरों से चंदा लेने तक में संघी पार्टी संलिप्त है!
और तो और यह भी ध्यान देने योग्य है कि समलैंगिकता और व्यभिचार को कानूनी मान्यता भी संघी सरकार के दौरान ही मिला है ताकि सनातनी परिवार व्यवस्था आगे जाकर दम तोड़ दे!
संघ और उसकी पार्टी एक व्यक्तिवादी अब्राहमिक कल्ट बन चुकी है, यह जितनी जल्दी हिंदू समझ ले, उतनी जल्दी वह लड़ाई जीतने की स्थिति में आ जाएगा। अन्यथा गांधी-नेहरू पर भरोसा करके देश का बंटवारा और 20 लाख हिंदुओं की लाशें वह पहले ही गिन चुका है, आगे भी बंटवारे और लाशों की गिनती के लिए वह तैयार रहे!