By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
India Speak DailyIndia Speak Daily
  • समाचार
    • इवेंट एंड एक्टिविटी
    • देश-विदेश
    • राजनीतिक खबर
    • मुद्दा
    • संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही
    • सरकारें
    • अपराध
    • भ्रष्टाचार
    • जन समस्या
    • English content
  • मीडिया
    • मेनस्ट्रीम जर्नलिज्म
    • सोशल मीडिया
    • फिफ्थ कॉलम
    • फेक न्यूज भंडाफोड़
  • राजनीतिक विचारधारा
    • अस्मितावाद
    • जातिवाद / अवसरवाद
    • पंचमक्कारवाद
    • व्यक्तिवाद / परिवारवाद
    • राजनीतिक व्यक्तित्व / विचारधारा
    • संघवाद
  • इतिहास
    • स्वर्णिम भारत
    • गुलाम भारत
    • आजाद भारत
    • विश्व इतिहास
    • अनोखा इतिहास
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • सनातन हिंदू धर्म
    • पूरब का दर्शन और पंथ
    • परंपरा, पर्व और प्रारब्ध
    • अब्राहम रिलिजन
    • उपदेश एवं उपदेशक
  • पॉप कल्चर
    • मूवी रिव्यू
    • बॉलीवुड न्यूज़
    • सेलिब्रिटी
    • लाइफ स्टाइल एंड फैशन
    • रिलेशनशिप
    • फूड कल्चर
    • प्रोडक्ट रिव्यू
    • गॉसिप
  • BLOG
    • व्यक्तित्व विकास
      • मनोविश्लेषण
    • कुछ नया
    • भाषा और साहित्य
    • स्वयंसेवी प्रयास
    • ग्रामीण भारत
    • कला और संस्कृति
    • पर्यटन
    • नारी जगत
    • स्वस्थ्य भारत
    • विचार
    • पुस्तकें
    • SDEO Blog
    • Your Story
  • JOIN US
Reading: विदेशी महिलाओं को लुभा रही है साड़ी, और भारतीय लड़कियां पहन रही हैं फटी जींस! संस्कृति का यह अनुलोम-विलोम आखिर क्या संकेत दे रहा है?
Share
Notification
Latest News
गांव और संयुक्त परिवार की शक्ति ने मुझे बिखरने नहीं दिया!
SDeo blog
मेरे पिताजी का अग्नि संस्कार और वो चार खंभे!
SDeo blog
कांग्रेस और भाजपा के राज्य में आंतकी घटनाएं लेकिन जिम्मेदारी किसकी?
मुद्दा
“देवता आये देव दीपावली को और उन्हें (मेरे पिताजी को) अपने साथ ले गये।” शंकराचार्य जी।
SDeo blog
“बाबू कुंवर सिंह” की धरती (भाग-3)
भाषा और साहित्य
Aa
Aa
India Speak DailyIndia Speak Daily
  • ISD Podcast
  • ISD TV
  • ISD videos
  • JOIN US
  • समाचार
    • इवेंट एंड एक्टिविटी
    • देश-विदेश
    • राजनीतिक खबर
    • मुद्दा
    • संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही
    • सरकारें
    • अपराध
    • भ्रष्टाचार
    • जन समस्या
    • English content
  • मीडिया
    • मेनस्ट्रीम जर्नलिज्म
    • सोशल मीडिया
    • फिफ्थ कॉलम
    • फेक न्यूज भंडाफोड़
  • राजनीतिक विचारधारा
    • अस्मितावाद
    • जातिवाद / अवसरवाद
    • पंचमक्कारवाद
    • व्यक्तिवाद / परिवारवाद
    • राजनीतिक व्यक्तित्व / विचारधारा
    • संघवाद
  • इतिहास
    • स्वर्णिम भारत
    • गुलाम भारत
    • आजाद भारत
    • विश्व इतिहास
    • अनोखा इतिहास
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • सनातन हिंदू धर्म
    • पूरब का दर्शन और पंथ
    • परंपरा, पर्व और प्रारब्ध
    • अब्राहम रिलिजन
    • उपदेश एवं उपदेशक
  • पॉप कल्चर
    • मूवी रिव्यू
    • बॉलीवुड न्यूज़
    • सेलिब्रिटी
    • लाइफ स्टाइल एंड फैशन
    • रिलेशनशिप
    • फूड कल्चर
    • प्रोडक्ट रिव्यू
    • गॉसिप
  • BLOG
    • व्यक्तित्व विकास
    • कुछ नया
    • भाषा और साहित्य
    • स्वयंसेवी प्रयास
    • ग्रामीण भारत
    • कला और संस्कृति
    • पर्यटन
    • नारी जगत
    • स्वस्थ्य भारत
    • विचार
    • पुस्तकें
    • SDEO Blog
    • Your Story
  • JOIN US
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Website Design & Developed By: WebNet Creatives
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
India Speak Daily > Blog > पाॅप कल्चर > लाइफ स्टाइल एंड फैशन > विदेशी महिलाओं को लुभा रही है साड़ी, और भारतीय लड़कियां पहन रही हैं फटी जींस! संस्कृति का यह अनुलोम-विलोम आखिर क्या संकेत दे रहा है?
लाइफ स्टाइल एंड फैशन

विदेशी महिलाओं को लुभा रही है साड़ी, और भारतीय लड़कियां पहन रही हैं फटी जींस! संस्कृति का यह अनुलोम-विलोम आखिर क्या संकेत दे रहा है?

Manisha Pandey
Last updated: 2018/06/01 at 9:03 AM
By Manisha Pandey 2.4k Views 9 Min Read
Share
9 Min Read
SHARE

स्वामी विवेकानन्द पहली बार शिकागो यात्रा पर गए! बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने भगवा धोती कुर्ता और सिर पर भगवा पगड़ी बाँध रखी थी तो एक सूट बूट पहने अमरीकी ने उनको देख कर प्रश्न पुछा तुमने ये कैसे परिधान पहने हैं? ये कैसा पहनावा हैं? मेरे कपड़े देखो कितने शानदार हैं? और ये कहते हुए अपने टेलर की तारीफ़ करने लगा। इस पर स्वामी विवेकानंद मौन रहे और बोले “मेरी पहचान मेरे कपड़ो या उसके टेलर से नहीं बल्कि मेरी पहचान मेरे देश की संस्कृति से हैं।” तो एक बार ठहरकर सोचिये की आप स्टाइल के नाम पर कटे फटे और अंगप्रदर्शित करने वाले कपड़े पहनकर सभ्य बन रहे हैं या फिर अपनी फूहड़ता का परिचय दे रहे हैं?

आपकी पहचान आपकी फूहड़ता है, या फिर आपकी पहचान आपकी भारतीयता है? आप आधुनिक हैं, या फिर अंधानुकरण करने वाले नकलची? आधुनिकता सोच में होनी चाहिए, नग्नता में नहीं! यदि नग्नता में आधुनिकत होती तो सड़क पर आवारा घूम रहा श्वान, आपसे कहीं अधिक आधुनिक माना जाना चाहिए, है न? अरे भाई! आखिर उसने तो उतना भी कपड़ा नहीं, पहना जितना आप पहनकर अंग प्रदर्शन कर रहे हैं? तो आपकी सोच कि हिसाब से ज्यादा आधुनिक आप हुए या ‘स्ट्रीट डॉग?’ सोचिए! सोचना जरूरी है!

संस्कृति और परिधान का ताल-मेल बहुत पुराना है

संस्कृति और परिधान का ताल-मेल बहुत पुराना है किसी भी देश की संस्कृति को जानना हो तो वहां के दैनिक जीवन के तौर-तरीके और वेशभूषा को देखकर वहां की सभ्यता और संस्कारों का पता काफी हद तक लगाया जा सकता है। मुख्य रूप से भारतीय परम्परा और संस्कृति इस मामले में सर्वोत्तम रही है फिर वो कहे कोई भी काल क्यों न हो? लेकिन आज के परिवेश में संस्कृति की धज्जियाँ उड़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। विशेष रूप से विदेशी वेशभूषा का नितांत बिगड़ा स्वरुप जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में भारत को अपने रंग में रंगता जा रहा है, उससे होने वाली भारत की संस्कृति के ह्रास को देख कर मन दुखी हो जाता है।

More Read

बॉडी बनाने में निगल लिए 39 सिक्के व 37 चुंबक !
Netflix और उसके पीछे की साजिश!
fashion trend: संसार ने फटी जींस के फैशन ट्रेंड को कबसे अलविदा कह दिया है
कोरोना के समय बढा होम वर्काऊट्स का क्रेज़!

फैशन या फूहड़ता?
ईश्वरत्व, अध्यात्म और मोक्ष की ओर ले जाने वाली देव भूमि पर आज अंग्रेजियत के एक अदद शब्द ‘फैशन’ ने किस तरह फन फैलाये नाग की तरह कुंडली मार ली है कि उसके सामने केवल फूहड़ता शब्द ही कहना उचित है। पाश्चात्य कपड़े पूरी तरह से नकारने योग्य है कहना, रूढ़िवादिता होगी क्यूंकि आज की युग में तेज़ी से दौड़ते हुए टेक्नोलॉजी के कई कार्य -व्यापार है। जिनमें वेस्ट्रन पहनावें की भी आवश्यकता है मगर रोज़ की जीवन शैली में अपने पारम्परिक वेश-भूषा का त्याग करके ‘फैशन’ के नाम पर अंधी दौड़ में फूहड़ वस्त्रों को पहनना कहाँ तक सार्थक है?

क्या आप टीवी में विज्ञापन, मॉडल, फ़िल्मी कलाकारों के पहनावे को देख कर वेस्टर्न कपड़े खरीद लेते हैं? अगर हाँ तो आप अनजाने ही अपनी संस्कृति को सस्ते दामों पर बेच रहे हैं! आज हमारे यहाँ के यूथ को फैशन ट्रेंड के नाम पर किस तरह बरगलाया जा रहा हैं। उसके लिए टीवी विज्ञापन में विदेशी कपड़ो को बेचते मॉडल, फ़िल्मी कलाकार आदि सब आते हैं। जिससे सबसे ज़्यादा हमारी युवा पीढ़ी प्रभावित होती हैं। छोटे और कटे -फटे कपड़े कभी भी भारतीय सभ्यता का हिस्सा नहीं थे लेकिन आज परिधान के नए और युवा फैशन के नाम पर भारतीय बाजार, छोटे तंग और कटे फटे कपड़ो के स्टाइल से भरे पड़े हैं! युवा पीढ़ी उसे बड़े शान से पहनती हैं तथा उसमें अपने आपको शिक्षित होने के गर्व से भी जोड़ती हैं।

दूसरी ओर, हम अपने ही परिधान को त्याग कर उसे ओल्ड फैशन होने का खिताब दे देते हैं, वहीं हमारे देश में आने वाले कितने ही विदेशी यात्री इसे इसलिए अपनाते हैं क्योंकि ये परिधान आरामदेह और भारतीयता के द्योतक हैं। उन विदेशियों को हमारे परिधान यहाँ की संस्कृति का भान करते हैं। वहीं क्या जगह-जगह से कटे-फटे छोटे कपड़े हमें किसी तरह के संस्कार से जोड़ते हैं? या फिर केवल निरंकुश स्वच्छंदता की ओर धकेल रहे हैं? वो भी इस हद तक कि वहां से वापस आने की सोचना भी हमें अपनी आज़ादी में दखल लगने लगता है!

सांस्कृतिक अंतर को समझना जरूरी

भारतीय कल्चर वो हैं जो भारत में माना जाता हैं। जिसमें विभिन धर्म जाति के लोग हैं। विदेशी कल्चर में विशेष रूप से यहूदी, क्रिश्चियन और मुसलिम आते हैं। जहाँ हमारे परिवारों में संयुक्त परिवार की मान्यता रही हैं विदेशी संस्कृति में एकल परिवार का प्रचलन हैं। जिसमें बच्चों के 18 वर्ष का होते ही माँ बाप और परिवार को छोड़कर अकेले अपनी इच्छा द्वारा रहना होता हैं! वह कुछ भी पहन सकता हैं कहीं भी आ जा सकता हैं। उस पर किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं होती। यहीं से शुरू होती हैं उन्मुक्तता और फिर उसकी पराकाष्ठा फिर वो चाहे जीवन शैली हो पहनावा हो या फिर कार्यव्यवहार की।

आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करने के लिए जिस तरह अंग्रेजियत का बीज बोया और जिस तरह से भारतीय ढंग से सोचने वालों के अंदर कुंठा का भाव पैदा किया, ठीक उसी प्रकार आज कल बाज़ारों में युवाओं के लिए ट्रेंडी कह कर जो परिधान परोसे जा रहे हैं यदि वो उसको न चुनकर कुछ अपनी संस्कृति या सभ्यता के अनुरूप चुनाव करें तो उसे पिछड़ा हुआ महसूस होता हैं! आप सोचिए कि विवेकानंदजी ने क्या कहा था? इसलिए भारतीय परिधान पहन कर आप अंग्रेजियत मानसिकता वालों को कुंठा दीजिए, न कि कट-फटे पश्चिमी परिधान पहन कर हर किसी के उपहास का पात्र बनिए!

बाजार का टूल मत बनिए, बाजार को अपने हिसाब से चलाइए!

भारतीय परंपरा के परिधान जैसे साड़ी, सूट सलवार कमीज दुप्पटा, इनमें भी बहुत नए ट्रेंड और फैशन हैं मगर विदेशी कटे-फटे और छोटे कपड़ो में ऐसा क्या हैं की लोगो को उसी की चाहत हैं? भारतीय बाजार, विदेशी ब्रांड्स के लिए एक मुनाफे का बाजार हैं क्यूंकि यहाँ सस्ते दामों में काफी कुछ बिक जाता हैं और उपभोक्ता का मनो-दोहन बाजार की प्राथमिकता हैं। यहाँ की युवा आबादी भी बहुत अधिक हैं और अंग्रेज़ियत फैशन के परिधान को अपनानें के लिए उनके मन का दोहन नए नए शोपिंग साइट्स, ट्रेंड्स और विज्ञापन द्वारा किया जाता हैं! और भारतीय युवा फटी-कटी जीन्स, टॉप, क्रॉप स्कर्ट या शॉर्ट्स को आम जीवन में पहनकर खुद को विदेशियों के बराबर समझने लगता हैं!

आपने कितनी ही ऐसे युवाओं को करते देखा होगा जो इन परिधानों को पहनते हैं। अजीब तरह के अधनंगे और छोटे कपड़े पहने होते हैं जिसमें उन कपड़ो का फटा होना उनकी दृष्टिकोण में स्टाइल सूचक हैं! रही सही कसर उनके अजीबो गरीब हेयर स्टाइल या रंग बिरंगे हेयर स्टाइल पूरे कर देते हैं! और पूछने पर अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढिंढोरा पीटने लगते हैं। क्या अभिव्यक्ति का मतलब अपनी गरिमा को गिराना है? अभिव्यक्ति का मतलब सार्वजनिक स्थलों पर अभद्रता और नग्नता का प्रदर्शन है? अभिव्यक्ति का मतलब पशुवत आचरण करना है? सोच कर देखिए?

URL: Indian traditional wear compared to Western dress

Keywords: Clothing in India, indian dress, western dress, indian culture, western culture, indian traditional dress, भारतीय वस्त्र, भारतीय परिधान, भारतीय संस्कृति, पाश्चात्य संस्कृति, पाश्चात्य परिधान,

Related

TAGGED: Fashion Trends, metro culture
Manisha Pandey June 1, 2018
Share this Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Print
Previous Article काले धन सृजन और भ्रष्टाचार में रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है चिदंबरम परिवार! ईडी ने आयकर विभाग से कार्ति चिदंबरम के खिलाफ नया केस दाखिल करने को कहा!
Next Article सोनम कपूर, करीना कपूर और स्वरा भास्कर का करियर अब समाप्ति की ओर है! ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी भद्दी सेक्स कॉमेडी में तीनों ने बाकायदा इसकी घोषणा कर दी है!
1 Comment 1 Comment
  • Avatar Vikas Patidar says:
    May 31, 2021 at 7:07 pm

    आप की बातों से में सहमत हूं और मेरा विचार एक और ये भी है कि जिस भारतीय संस्कृति को हम छोड़ते जा रहे हैं उन्हें विदेशी काफी अच्छे से अपना रहे हैं और हम पश्चिमी संस्कृति को अपना रहे हैं और किसी को पहनावे के बारे में दो शब्द बोल दे तो तुम रूढ़िवादी हो , तुम क्या जिंदगी जी रहे हो। और आजकल के युवा- युवतियां फैशन के ढोंग में सिगरेट, अल्कोहल, तंबाकू का सेवन कर रहे हैं ड्रग्स की आदत लगा रहे हैं। हम कैसे युवा वर्ग को अच्छा मार्ग दिखा पाएंगे।
    विकास पाटीदार (रतलाम ) मध्य प्रदेश

    Loading...
    Reply

Share your CommentCancel reply

Stay Connected

Facebook Like
Twitter Follow
Instagram Follow
Youtube Subscribe
Telegram Follow
- Advertisement -
Ad image

Latest News

गांव और संयुक्त परिवार की शक्ति ने मुझे बिखरने नहीं दिया!
मेरे पिताजी का अग्नि संस्कार और वो चार खंभे!
कांग्रेस और भाजपा के राज्य में आंतकी घटनाएं लेकिन जिम्मेदारी किसकी?
“देवता आये देव दीपावली को और उन्हें (मेरे पिताजी को) अपने साथ ले गये।” शंकराचार्य जी।

You Might Also Like

Healthआजाद भारतकुछ नयालाइफ स्टाइल एंड फैशन

बॉडी बनाने में निगल लिए 39 सिक्के व 37 चुंबक !

February 28, 2024
मुद्दासोशल मीडिया

Netflix और उसके पीछे की साजिश!

February 17, 2024
RippedJeans
लाइफ स्टाइल एंड फैशन

fashion trend: संसार ने फटी जींस के फैशन ट्रेंड को कबसे अलविदा कह दिया है

March 18, 2021
लाइफ स्टाइल एंड फैशन

कोरोना के समय बढा होम वर्काऊट्स का क्रेज़!

June 17, 2020
//

India Speaks Daily is a leading Views portal in Bharat, motivating and influencing thousands of Sanatanis, and the number is rising.

Popular Categories

  • ISD Podcast
  • ISD TV
  • ISD videos
  • JOIN US

Quick Links

  • Refund & Cancellation Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
  • Terms of Service
  • Advertise With ISD
- Download App -
Ad image

Copyright © 2015 - 2025 - Kapot Media Network LLP. All Rights Reserved.

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?
%d