कट्टर हिन्दू चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद बीएल शर्मा प्रेम अखंड भारत मोर्चा के संस्थापक हैं बीएल शर्मा प्रेम एक तेजतर्रार भाजपा सांसद माने जाते रहे हैं और पहली बार वे सन 1991 में चर्चा में तब आए उन्होंने पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में 20 साल से जमे कांग्रेस के दिग्गज एचकेएल भगत को पहली बार करारी शिकस्त दी। तब वे रातोंरात चर्चा में आ गए। उसके बाद वे फिर सन 1996 में उसी क्षेत्र से दुबारा सांसद चुने गए लेकिन दो साल के अंदर ही राजनीति में भ्रष्टाचार के कारण उन्हें घुटन महसूस हुई और उन्होंने अचानक सांसदी से इस्तीफा देने की घोषणा कर भूचाल खड़ा कर दिया था। सन 1992 में कार सेवा के लिए अयोध्या कूच कर गए थे। अयोध्या में विवादित ढांचा टूटने के 22 साल बाद केंद्र में राम मंदिर का मुद्दा उठाने वाली भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है और भाजपा के पूर्ण बहुमत वाली सरकार के समक्ष अब राम मंदिर का मुद्दा गर्म होने लगा है। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव भी है लेकिन फिलहाल भाजपा ने यूपी में राम जन्म भूमि का मुद्दा चुनाव में नहीं होने की बात कह दी है। लेकिन फिर भी लोगों को लग रहा है कि भाजपा श्रीराम जन्म भूमि पर जल्द कुछ फैसला लेगी। हाल ही में उमा भारती ने भी श्रीराम मंदिर बनने की बात कही है। सबकी निगाहें नरेंद्र मोदी की ओर लगी हुई है। इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार विभूति कुमार रस्तोगी ने 86 वर्षीय बीएल शर्मा ‘प्रेम’ से लंबी बात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…।
* प्रश्न-राम जन्म भूमि के आंदोलन में आपने अग्रणी भूमिका निभाई और फ्रंट लाइन के नेताओं में शामिल रहे। चूंकि अब भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है और हिन्दू चेहरा माने जाने वाले नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। ऐसे में आपको क्या लगता है कि नरेंद्र मोदी राम जन्म भूमि विवाद का हल निकाल पाएंगे?
-उत्तर-देखिए (गंभीर मुद्रा में), अब तो मुसलिम संगठन भी मान रहे हैं कि वहां पर पहले राम मंदिर था। उनके दस्तावेजों से भी यह पूरी तरह से साफ हो जाता है। मुसलिमों को चाहिए ि कवे हिन्दुओं की भावनाओं का ख्याल रखें और वोट बैंक के लिए किसी और के बहकावें में न आएं। जहां तक इस मुद्दे पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सवाल है तो यह बिलकुल सही है कि जब से राम जन्म भूमि का विवाद या यूं कहें कि जब से भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया है तब स ेअब तक देश में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार नहीं थी। लेकिन इस बार दो अच्छे काम हुए हैं, एक यह कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में है और इसी के साथ नरेंद्र मोदी जैसे हिन्दुवादी चेहरा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है। मुझे आंशिक नहीं पूर्ण विश्वास है कि नरेंद्र मोदी के इसी पांच साल के कार्यकाल में ही अयोध्या में राम जन्म भूमि विवाद का हल भी निकल जाएगा। मेरे हिसाब से अब वह दिन दूर नहीं है।
* प्रश्न-नरेंद्र मोदी ने तो लोकसभा चुनाव के दौरान न तो अपने भाषण में राम मंदिर का जिक्र किया और न ही पीएम बनने के बाद ही भाजपा के मूल मुद्दे राम जन्म भूमि विवाद को उठाया। फिर आपको कैसे लगता है कि मोदी ही इस समस्या का हल निकालेंगे। ऐसा तो नहीं कि मोदी और भाजपा ने अब इस मुद्दे को गंभीरता से लेना बंद कर दिया है।
-उत्तर-नहीं, बिलकुल भी नहीं। मेरे हिसाब से ऐसा बिलकुल भी नहीं है। न तो भाजपा और न ही मोदी, दोनों ने इस मुद्दे को नहीं छोड़ा है। यह सिर्फ आपको लग रहा है। भाजपा समय-समय पर या यूं कहें कि लगातार इस समस्या के बेहतर समाधान की भी बात कहती रहती है। जहां तक मोदी के चुनावी भाषण का सवाल है तो मैं यह बता देना चाहता हूं कि दस साल शासनकाल में देश में विकास की गति रूक गई थी। युवाओं के पास रोजगार नहीं थे। लिहाजा इस चुनाव में विकास का मुद्दा ही हावी रहा। देश में कौन हिन्दू नहीं चाहता है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर न बने। सभी चाहते हैं। मेरा मानन है कि कुछ मुसलिम संगठन भी अब चाहते हैं कि श्रीराम जन्म भूमि स्थान हिन्दुओं को दे दी जाए और वहां भव्य राम मंदिर बने। भाजपा के दिल से जुड़ा है श्रीराम जन्म भूमि का मुद्दा। आपको मैं बता दूं कि भाजपा के दिल में श्रीराम लला और श्रीराम जन्म भूमि है। यह कभी निकलने वाला नहीं है।
*प्रश्न-आपने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर सन 1998 में सांसदी से इस्तीफा दे दिया था और विश्व हिन्दू परिषद और अखंड भारत मोर्चा में जुट गए थे। फिर इस बीच बात निकल कर सामने आई कि आपको इस्तीफे पर अफसोस हो रहा है। इसमें कितनी सच्चाई है।
-उत्तर-देखिए, हालांकि इस मुद्दे पर अब मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हां, यह जरूर लगा कि वहां रहकर मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकता था और आम लोगों की सेवा और भी अच्छी तरह से कर सकता था। ऐसा नहीं है कि मुझे कोई अफसोस है। मैं आज भी देश के लिए जीना और मरना चाहता हूं।
*प्रश्न-आप सन 2009 में फिर से उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव क्यों लड़े थे। इसके पीछे आपकी क्या मंशा थी। फिर क्या हुआ कि आपको सन 2014 में चुनाव नहीं लड़े।
-उत्तर-आपको मैं एक चीज बता देना चाहता हूं कि मैं पद लोलुप्त बिलकुल भी नहीं हूं और न कभी पहले था। पार्टी ने मुझे सन 2009 में एक बार फिर चुनाव लड़ने का आदेश दिया था तो मैं चुनाव लड़ा। सन 2009 में चुनाव हार गया था। जहां तक 2014 के लोकसभा चुनाव का सवाल है तो मैं साफ बता देना चाहता हूं कि मैंने खुद पार्टी से चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुका था।
प्रश्न-आप अखंड भारत के सबसे बड़े पैरोकार रहे हैं और आपकी दिल की इच्छा है कि भारत से अलग हुए सभी देशों को एक बार फिर एक साथ लाया जाए और अखंड भारत बनाया जाए। क्या इस वक्त यह संभव है। यह तो बिलकुल कोरा सपना है।
-उत्तर-आपको मैं एक बात बता दूं कि पाकिस्तान बनाने वाले 93 फीसदी मुसलमान यहीं भारत में ही हैं। हमें पाक, बांग्ला देश, अफगानिस्तान, वर्मा आदि भारत के अंग हैं और आज नहीं तो कल सब एक होंगे। मैं रहूं या न रहूं–अखंड भारत जरूर बनेगा।