जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में आए हैं तब से कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं की बेचैनी देखते ही बनती है। यह बेचैनी जहां कई बार कांग्रेस पार्टी की बेइज्जती कर जाती है वहीं कई बार देश के मान को भी आघात पहुचाती है। कांग्रेस नेता शशि थरूर और नवजोत सिंह सिद्धू ने जो कारनामे किए हैं इससे साफ साबित होता है कि राहुल गांधी देश में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं!
कहीं राहुल गांधी को यह भ्रम तो नहीं कि अभी भी देश में गांधियों का राज है। शशि थरूर ने जेनेवा जाकर यूएन से केरल में आई बाढ़ के लिए मदद मांगी है, वहीं नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान जाकर पाक सेना प्रमुख बाजवा से गले मिल आए हैं। दोनों नेताओं ने कहा है कि वे अपनी पार्टी नेताओं की इजाजत से वहां गए हैं। क्या इससे ये साबित नहीं होता है कि राहुल गांधी देश में चुनी हुई सरकार की अवहेलना कर अपनी मनमानी कर रहे हैं?
विदेश नीति तय करने की कोशिश कर रहे हैं। यूएनओ से यदि केरल के लिए मदद मांगना ही है तो वह केंद्र सरकार मांग सकती है न कि सीधे कोई राज्य सरकार या कोई सांसद। यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। इसी तरह देश पर आतंकवाद थोपने वाले पाकिस्तान के सेना प्रमुख से गले मिलना और खुद को शांतिदूत कहना भी देश की विदेश नीति के खिलाफ है।
Landed in Geneva to meet w/ @UN & international humanitarian agencies for consultations on #KeralaFloods. While seeking help is the prerogative of the Govt of India, i am here, in close consultation w/ @CMOKerala @vijayanpinarayi, to explore what help could be possible if sought
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 20, 2018
अपने देश के किसी भी राज्य के लिए यूएन से सहायता मांगना केंद्र सरकार का काम है। लेकिन शशि थरूर ने जिस प्रकार यूएन से केरल के लिए मदद मांगी है इससे यह साबित नहीं होता है कि वह केरल को देश का हिस्सा नहीं मानते है, या केरल को एक अलग देश मानते हैं? वैसे भी केरल में साजिश के तहत जनसंख्या बदलाव कर उसे एक ईसाई बहुल राज्य बना ही दिया है। हाल ही में खुलासा हुआ है कि 2013 में तत्कालीन यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने केरल के ईसाई और वहां के पादरियों के साथ बैठक कर जनसंख्या बदलाव के षड्यंत्र के तहत ही कस्तूरीरंगन प्रस्ताव को खारिज कराया था। इन्हीं लोगों के इशारे पर पत्रकारों का एक तबका दक्षिण बनाम उत्तर कर देश को बांटने में जी-जान से लगे हैं।
इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने पाकिस्तान गए पंजाब सरकार के मंत्री तथा कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू वहां के सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलते हैं। वह वहीं पाक सेना प्रमुख है जो हमारे कई जवानों की शहादत का जिम्मेदार। सिद्धू का कहना है कि जो इस देश में ताउम्र नहीं मिला वह उन्हें पाकिस्तान में दो दिनों मिल गया। वहां उन्हें पूरी कायनात मिल गई। वे खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बराबर बताते हैं। वे भूल जाते हैं कि एक राज्य का अदना सा मंत्री प्रधानमंत्री का रुतबा हासिल नहीं कर सकता। सिद्धू ने खुलेआम कहा है कि उन्होंने पाकिस्तान में जो भी कारनामे किए हैं उसमें उनके पार्टी नेताओं की सहमति है। सिद्धू के इस बयान से इस बात की पुष्टि होती है कि राहुल गांधी एक समानांतर सरकार चलाना चाहते हैं।
बेलगाम होते जा रहे हैं कांग्रेस के नेता
सिद्धू ही क्यों उससे पहले भी कांग्रेस के कई ऐसे नेता हैं जो देश में रहकर या पाकिस्तान जाकर देश और मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। वह चाहे मणि शंकर अय्यर हों या गुलामनवी आजाद हो, शशि थरूर हो या सैफुद्दीन सोज या फिर सलमान खुर्शीद हो। समय-समय पर सभी ने मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगला है। 15 नवंबर को मणि शंकर अय्यर ने पाकिस्तान में कहा था कि मोदी सरकार को हटाने के लिए पाकिस्तान को कांग्रेस की मदद करनी चाहिए। इसी गुलाम नबी आजाद, जिसे कांग्रेस में एक संभ्रात नेता माना जाता है, ने कहा था कि पाकिस्तान तो शांति चाहता है लेकिन भारत ही इसके लिए तैयार नहीं है। कांग्रेसी नेताओं के मुंह में जो आता है बोल देता है। इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरने की वजाय और बिगड़ जाएगी। कांग्रेस के नेता ही क्यों बल्कि शीर्ष पदों पर बैठे राहुल गांधी जैसे नेता भी चोरी छिपे भारत में चीन के राजदूत से मिलते हैं। खबर के खुलासे पर पहले तो झूठ बोलकर आरोप को नकारते हैं, लेकिन सच्चाई बाहर आते ही मुंह छिपा लेते हैं।
देश में पाकिस्तान की एजेंसी बन गई है कांग्रेस
जब देखो कांग्रेस के नेता पाकिस्तान के ही गुण गाने में लगे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस अपने से ज्यादा पाकिस्तान के बारे में बात करती है। इससे लगता है कि कांग्रेस अपने यहां पाक एजेंसी खोल रखी है। कांग्रेस के सारे नेता वर्तमान सरकार के खिलाफ पाकिस्तान के संदर्भ में आलोचना करते हैं। कांग्रेस के जिन नेताओं की पूछ घट जाती है वे किसी तरह पाकिस्तान जाकर भारत के खिलाफ बोल आते हैं। पार्टी में फिर से उनकी पूछ बढ़ जाती है। मणि शंकर अय्यर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। पार्टी में उसकी पूछ घट गई थी। उन्होंने पाकिस्तान जाकर मोदी के खिलाफ बयान दे आया। बयान थोड़ा सख्त था तो, राहुल गांधी ने पार्टी से निलंबित कर दिया। लेकिन मोदी के खिलाफ था इसलिए बाद में उसे वापस ले भी आए। इससे मणि शंकर अय्यर लाइम लाइट में तो बने ही रहे।
लेकिन कांग्रेस पार्टी को जानना चाहिए कि डिप्लोमेसी प्रॉक्सी में नहीं दी जाती न ही ऑउटसोर्स की जाती है। इसलिए कांग्रेस को देश और चुनी हुई सरकार को बदनाम करने का खेल बंद कर देना चाहिए।
URL: is rahul gandhi play dirty politics? Row over Navjot Sidhu and Shashi Tharoor.
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