पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत से देश भर में आक्रोश है। भारत हाल में इसका बदला चाहता है। लेकिन सवाल अहम है कि बदला कैसे कब और किस से लेना है! क्या पाकिस्तान पर हमला कर एक युद्ध कर इस समस्या का तत्काल समाधान हो जाएगा? क्या तीन दशक से चल रहा आतंकवाद औ कश्मीर समस्या का निपटारा हो जाएगा ? भारत दशकों से इसे झेल रहा है। इस बार की लड़ाई लगता है आर पार की है। पुलवामा में दिल दहला देने वाले शहादत पर जो कुछ भी हुआ, सोशल मीडिया के बाद सड़कों पर उसका जबरदस्त आक्रोष है। जन आक्रोश को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में संपन्न सर्वदलीय बैठक में सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ सभी दलों ने एकजुटता दिखाई। कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने दुख की इस घड़ी में सरकार के साथ होने की बात कही है. राहुल गांधी ने विशेष प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस बात की घोषणा पहले ही कर दी थी। अब तमाम राजनीतिक दलों ने राजनीतिक मतभेद को भुलाकर सरकार को आश्वासन दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ सरकार जो भी फैसला लेगी वो उसके साथ है । तो क्या यह उचित वक्त नहीं है कि सभी पार्टी मिलकर संसद का एक संयुक्त सत्र बुलाकर कश्मीर को दी गई विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर लिया जाए! धारा 35A को खत्म कर दिया जाए! अनुच्छेद 370 को हटा दिया जाए! कश्मीर समस्या के समाधान के लिए जिसकी मांग दशकों से की जाती रही है। आखिर जो अधिकार आम कश्मीरियों को पूरे भारत के अंदर है वही अधिकार आम भारतीय को कश्मीर में क्यों न मिले! जबकि भारत सरकार सबसे ज्यादा फंडिग कश्मीर में करती है । कश्मीर की मूल समस्या की जड़ धारा 35 ए के तहत दिया गया उसे विशेष राज्य का दर्जा है। अनुच्छेद 370 है। जो उसे भारत से एक तरह से अलग करता है । उसे खास संवैधानिक अधिकार देता है । संसद के विशेष संयुक्त सत्र के द्वारा कश्मीर को प्राप्त अधिकार वापस ले लिया जाता है तो आम भारतीय कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगें। घर बना सकेंगे। देश के अन्य हिस्सों की तरह आम भारतीय भी वहां सरकारी नौकरी कर सकेंगे । कॉलेज में देश के हर हिस्से के बच्चों का नामांकन संभव हो सकेगा। कश्मीर सिर्फ कश्मीर नहीं संपूर्ण भारत की तरह खिलता दिखेगा। जो अधिकार कश्मीरियों को भारत के अन्य हिस्से में है वही अधिकार भारत के अन्य राज्य के नागरिकों को कश्मीर में मिलेगा। जिसे हम जन्नत कहते हैं। जिस कश्मीर को सिर्फ हम दर्शन के लिए, कुछ पल बिताने के लिए, नजारा देखने के लिए जाते हैं वहां आम भारतीय होगा। जब ऐसे हालात होंगे तो कश्मीर में के घर घर में जो आतंकी पनपते हैं वह बंद हो जाएगा। आतंकवादियों को पनाह दिया जाना बंद हो जाएगा। पाकिस्तान परस्त लोगों का जो अड्डा कश्मीर बना हुआ है, वह खत्म हो जाएगा । यदि सही मायने में सोशल मीडिया का डर नहीं है। सही मायने में सरकार और पूरा विपक्ष कश्मीर समस्या का समाधान चाहता है ,चाहता है कि देश को आतंकवाद से मुक्ति मिल जाए तो यह उचित वक्त है कश्मीर पर अहम फैसला लेने का। चुकी देश का मिज़ाज अभी ऐसा है कि कोई भी राजनीतिक दल 40 सीआरपीएफ के जवानों की शहादत पर राजनीति नहीं कर सकता। क्योंकि पूरा देश आक्रोश में है । सभी दलों के अध्यक्षों संग सर्वदलीय बैठक में जिसकी मांग गुलामनबी आजाद ने की है जो खुद कश्मीरी है उस बैठक में यदि सत्ता और विपक्ष एक जुट होकर कोई निर्णायक फैसला करता है तो साफ हो पाएगा कि सही मायने में क्या भारतीय राजनीतिक दल कश्मीर की समस्या का समाधान चाहते हैं या सिर्फ उन्माद दिखाना चाहते हैं। पाकिस्तान से बदला तो कभी भी ले लिया जा सकता है । जो देश गधा बेचकर आज अपना पेट पाल रहा हो। जो कंगाली और बदहाली में हो उस से युद्ध कर आप बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते। जैसे सामान्य गुंडा हमेशा लड़ाई चाहता हैं। आपको बिलावजह के तनाव और परेशानियों में फसाए रखना चाहता है, पाकिस्तान भी वही चाहता है। पाकिस्तान से निपटारा तब बेहद आसान हो जाएगा यदि हम कश्मीर समस्या का समाधान कर लेते हैं। लोहा अभी गर्म है और यही वक्त है कि तमाम राजनीतिक दल समान भाव के साथ कश्मीर समस्या के समाधान को आगे निकले। धारा 35a के तहत कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया जाए,तब कश्मीर सही मायने में भारत का अंग होगा । दरअसल शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसद भवन के लाइब्रेरी कक्ष में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सत्ता और विपक्ष के सभी दलों ने कश्मीर के पुलवामा में हुई आतंकवादी घटना की पुरजोर मज्जमत की। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने सरकार को भरोसा दिलाया की इस विकट घड़ी में वे देश की संवेदनाओं के साथ हैं। सत्ता और विपक्ष ने एकजुटता के साथ देश के जवानों को भरोसा दिलाया कि सीआरपीएफ के जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगा। देश आतंकवाद से मुक्ति के लिए कटिबद्ध हैं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार से मांग की इस मामले में सभी दलों के अध्यक्षों की एक बैठक जल्द से जल्द बुलाकर निर्णायक फैसला लिया जाए। तो क्यों न सभी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलकर कश्मीर पर एक निर्णायक फैसला लेने के लिए संसद का एक विशेष संयुक्त सत्र बुलाकर अहम फैसला ले लिया जाए। बैठक में कांग्रेस , शिवसेना समेत आरजेडी नेता जयप्रकाश यादव ने भी सरकार के साथ होने का भरोसा दिया। लेकिन सीमावर्ती राज्य पंजाब के अकाली दल के नेता चंदूमाजरा ने कहा हम युद्ध नहीं चाहते। हम सीमावर्ती राज्य हैं इस लिहाज से युद्ध की मार सबसे ज्यादा हम झेलते हैं। अगर हम चाहते हैं कि पाकिस्तान पर सरकार दबाव बनाए ताकि देश को आतंकवाद से मुक्ति मिले। पंजाब ने सचमुच आजादी के समय के बंटवारे के दंश को सबसे ज्यादा झेला है । तो युद्ध भी सीमावर्ती राज्यों को ज्यादा झेलना होता है। इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। युद्ध परमानेंट सॉल्यूशन नहीं माना जा सकता । मगर कश्मीर की समस्या का समाधान हो गया तो आतंकवाद से निजात बहुत आसानी से पाया जा सकता है । हम आतंकवाद से निजात पा लेंगे तो पाकिस्तान समस्या का समाधान यूं ही हो जाएगा। आतंकवाद को खत्म करने को लेकर है तो जरूरी है कि संसद संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए और इसके लिए सिर्फ 10% सांसदों को प्रस्ताव रखना होता है। आतंकवाद के मामले पर जैसी की एकजुटता उन्होंने दिखाई है इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता कि कश्मीर को दिया जा रहा विशेष राज्य का दर्जा ले लेने का। ताकि कश्मीर में आतंकवादियों को घर-घर जो संरक्षण मिल रहा है वो बंद हो। अब यह अहम फैसला लेना चाहिय। आतंकवाद का समूल नष्ट किए जाने के लिए कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों का दर्जा होना जरुरी है नहीं तो यह शहादत हम झेलते रहेंगें फिर उसके उन्माद में युद्ध की तैयारी और तबाही की चाहत हमारी दिनचर्या हो जाएगा। जवानो की शहादत को इससे बहतर श्रधांजलि नहीं हो सकती। URL : it time to call, all special parliament session for kashmir special status. 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