करीब 2 साल पहले दिल्ली हिंसा को लेकर सफूरा जरगर की गिरफ्तारी की गई थी । वह दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज से पढ़ाई करती थी लेकिन अब उनका नामांकन रद्द कर दिया गया है। विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार तथाकथित एक्टिविस्ट और स्कॉलर सफूरा जरगर जामिया से पीएचडी कर रहीं थी और थिसीस कार्य में असंतोष जनक प्रगति के कारण उनका एडमिशन रद्द किया गया।
गौरतलब है कि सफूरा जरगर पर फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिंसा का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा था जबकि महिला सफूरा जरगर को 2020 में सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली में हुए प्रदर्शन और दंगे के एक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था हालांकि मानवीय आधार पर उन्हें बाद में जमानत दे दी गई थी।
विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि जामिया मिलिया इस्लामिया में सफूरा जरगर समाजशास्त्र विभाग में पीएचडी कर रही थीं लेकिन उसने अपना कार्य पूरा नहीं किया था। इस बीच वह नागरिक संशोधन कानून का विरोध करने वालों में सबसे आगे थी । इस दौरान जामिया पर भी उग्र प्रदर्शन हुआ था और इस में वह शामिल हुई थी। इसी प्रदर्शन के दौरान 2019 में हिंसा भी हुई थी, जिस पर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए गए थे।
इस तथाकथित प्रदर्शन के दौरान हिंसा के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज किया था और इस दौरान पुलिस पर छात्रों को पीटने का आरोप भी लगा था। बाद में इसी क़ानून की आड़ में पूर्वोत्तर दिल्ली में भीषण दंगा हुआ था जिसमें सफूरा जरगर की भी गिरफ्तारी सुनिश्चित की गई थी