जम्मू बार एसोसिएशन ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम को स्पष्ट कहा है कि इस घटना के पीछे गहरी साजिश है। जम्मू की आबादी बदलकर यहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपमानित करने की रणनीति पर काम चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कठुआ मामले की जांच के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम 19 अप्रैल को कठुआ के रसाना गांव पहुंची। इसके बाद 20 को जम्मू आ गई। यहीं पर जम्मू बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने से उनसे भेंट कर यहां के हालात से अवगत कराया।
मुख्य बिंदु
* जम्मू एसोसिएशन ने सरकार की मंशा पर उठाया सवाल
* रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को प्रश्रय दे रही है प्रदेश सरकार
*गुर्जर और डोगरों के बीच में विद्वेश फैलाने की हो रही है साजिश
एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बार एसोसिएशन की टीम को जोर देकर बताया कि रोहिंग्या मुसलमानों और बंग्लादेशियों को बसाने की साजिश है। इन लोगों को एक खास रणनीति के तहत अवैध तरीके से आर्मी कैंप, रेलवे स्टेशन, पुलों तथा पहाड़ियों समेत जम्मू के महत्वपूर्ण जगहों पर बसाया जा रहा है।
जम्मू बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जम्मू पहुंची बार काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम को बताया कि किस प्रकार यहां गुज्जरों और डोगरों के बीच विद्वेष पैदा करने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने सूचित किया है कि राज्य सरकार जानबूझकर यहां के लोगों को कानून तोड़ने के लिए उकसा रही है ताकि बाद में इसकी आड़ में उन्हें यहां से भगाया जाए। और फिर रोहिंग्याओं और बंग्लादेशियों को बसाया जाए, ताकि उनका वोट बैंक मजबूत हो।
दरअसल 14 फरवरी 2018 को राज्य सरकार ने जम्मू के वन अधिकारियों को निर्देश जारी कर आदिवासियों को जंगल और राज्य की जमीन पर अतिक्रमण करने और कानून तोड़ने की अनदेखी करने को कहा है। ताकि बाद में इसे कानून में उलझा कर वहां से भगाया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकांश आदिवासी जम्मू के इसी इलाके में रहते हैं। और ये लोग राष्ट्रवादी हैं। ये लोग अपने राष्ट्रीय झंडा का काफी सम्मान करते हैं। इसी कारण सरकार उन्हें यहां से भगाने की साजिश कर रही है।
इसके साथ ही एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बार काउंसिल की टीम को कठुआ मामले में बताया कि जब तक इस मामले में CBI से जांच नहीं कराई जाती, किसी के साथ इंसाफ नहीं होगा। प्रतिनिधियों ने कहा कि यहां के लोगों को क्राइम ब्रांच तथा एसआईटी दोनों में से किसी भी जांच एजेंसी पर विश्वास नहीं है। इसलिए CBI की जांच जरूरी है ताकि इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
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