लुटियन बिरादरी में शामिल ‘सरकारी पत्रकारों’ यानी ‘पेटिकोट पत्रकार’ का पूरा धंधा ही फेक न्यूज पर टिका है! मोदी सरकार ने सोमवार रात फेक न्यूज फैलाने वाले ‘सरकारी पत्रकारों’ की सदस्यता छह महीने के लिए रद्द करने की जरा-सी घोषणा क्या की सारे ‘पीडी पत्रकार’ बिलबिला उठे, जिस कारण मोदी सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा! इन ‘सरकारी पत्रकारों’ की संख्या तीन हजार से भी कम है, और इनमें ज्यादातर अंग्रेजी पत्रकार हैं! लेकिन चूंकि उनमें दलाली की पूरी योग्यता है, इसलिए हर सरकार इन्हें ‘मान्यता’ प्रदान करती और इनसे डरती है, सिवाए वंशवादी परिवार की ‘लूटो और बांटों’ की रणनीति वाली सरकार को छोड़ कर!
वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता के आरोप के मुताबिक वंशवादी लालू यादव तो इन पत्रकारों को खाकी लिफाफा में नोट पकड़ाते थे।
In those days brown envelopes with 5k from Lalu was a king's fortune for obliging journalists. Some lived it up and bought Maruti 800s, others wisely invested. Journalists in a certain media house brokered a deal between their owner and Lalu over a shut sugar mill with huge land.
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) April 1, 2018
There was a briefing for editors at Bihar Bhavan. Vinod sent me. Lalu did a no-show. While we were leaving, a senior editor was given a brown envelope by a sidekick who said "Aapke liye bheja hai". I looked at the editor; he mumbled "I had asked Lalu for some papers", and fled.
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) April 1, 2018
तो मुलायम सिंह यादव की यूपी सरकार के समय तो सीएम रिलीफ फंड से इन्हें ‘पेड हॉलिडे’ से लेकर जमीन और अन्य सुविधाएं सुविधाएं दी जाती थीं।(वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता के आरोप के मुताबिक)
Do not forget how UP election was reported by #LutyensMedia and Akhilesh Yadav's brazen offer at a presser: "पत्रकार हमारा साथ दें, उन्हें इनाम मिलेगा।" (Journalists should support me, they will be rewarded.) He wasn't promising crockery which Mayawati gifted friendly journos.
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) April 1, 2018
जनाब या तो फेक न्यूज फैलाने के लिए मरे जा रहे हैं, या सरकारी मान्यता के लिए! फेक न्यूज फैलाने और सरकारी मान्यता बहाल करने के लिए मरे जा रहे पत्रकारों का हाल देखिए…
Make no mistake: this is a breathtaking assault on mainstream media. It’s a moment like Rajiv Gandhi’s anti-defamation bill. All media shd bury their differences and resist this. https://t.co/pyvgymhIkF
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) April 2, 2018
आप सोचिए पत्रकार यदि सरकारी मान्यता प्राप्त है, तो उसकी हैसियत ‘लुटियन पत्रकार’ से अधिक कुछ नहीं है! तो क्या ये लुटियन ताकत की बहाली के लिए बेचैन हैं
With its order today, government makes it clear that it only wants to penalise those who are accredited, i.e "Mainstream media". The I&B ministry’s "Fake News" threat doesn't extend to those websites that openly flout journalistic ethics, some q often quoted by Ministers. pic.twitter.com/SZ8v2AcLEH
— Suhasini Haidar (@suhasinih) April 2, 2018
चूंकि इन ‘लुटियन जर्नलिस्टों’ की पंसद वाली गांधी परिवर की सरकार सत्ता में नहीं है, इसलिए यह वर्तमान सरकार को बदनाम करने के लिए शायद फेक न्यूज की फैक्टरी चलाए रखना चाहते हैं! वैसे कांग्रेस के अहमद भाई ने भी इन्हें समर्थन दे ही दिया!
I appreciate the attempt to control fake news but few questions for my understanding:
1.What is guarantee that these rules will not be misused to harass honest reporters?
2.Who is going to decide what constitutes fake news ?
1/2
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) April 2, 2018
हालांकि इनकी चिल्लाहट इतनी तेज है कि सुना है पूरी मोदी सरकार डर कर बैकफुट पर चली गयी और उनके ही सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझाव को रद्द कर दिया है। यह सरकारी मान्यता प्राप्त अंग्रेजी-दां पत्रकार केवल गांधी परिवार के साथ कंफर्टेबल रह पाते हैं!
दशकों पहले मित्रोकिन अरकाइब का जब खुलासा हुआ था तो सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकारों ने इसे दबाने का पूरा प्रयास किया था! इसकी वजह यह थी कि इंदिरा गांधी ने जिन पत्रकारों को सरकारी मान्यता दी थी, उन्हें रूसी जासूसी संस्था केजीबी ने भरपूर पैसा दिया, और भरपूर रूप से इंदिरा गांधी की तानाशाही के पक्ष में लिखवाया। इंदिरा गांधी की बहु सोनिया गांधी का जब शासन आया तो 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला खदान घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला आदि में यही सरकारी मान्यता प्राप्त दलालों की भूमिका निभाते हुए पकड़े गये!
यही वजह है कि फेक न्यूज का धंधा चलाते हुए ये ‘सरकारी पत्रकार’ यानी वंशवादी गांधी परिवार, लालू, मुलायम, करुणानिधि आदि से सरकारी दामाद जैसी सुविधाएं प्राप्त करते हुए उनके भ्रष्टाचार को दबाने में जुटे रहते हैं। भाजपा के समय इन्हें यह मौका नहीं मिल पाता, इसलिए यह भाजपा की हर सरकार के खिलाफ प्रोपोगंडा व फेक न्यूज का धंधा चलाते रहते हैं।
URL: journalist who created or propagated the ‘fake news’ in question
KeyWords: Fake news, mainstream media, MSM, Journalists, Reporting, Smriti Irani, Press Council of India, PIB, Journalism in the Age of Fake News, lutyens journalist, Yellow Journalism, फेक न्यूज, फर्जी खबर, पेटिकोट पत्रकार, पीडी पत्रकार