डॉ पंकज शर्मा (बुढ़ार) मध्यप्रदेश। मैकल पर्वत की तराई क्षेत्र में मध्यप्रदेश के शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बुढ़ार तहसील के दक्षिण में ग्राम लखबरिया है। जहां प्राचीन लखबरिया गुफाएं हैं,इस क्षेत्र में लाल बलुआ पत्थर की विस्तृत चट्टान है। पूर्व से पश्चिम करीब 300 से 400 मीटर और उत्तर से दक्षिण करीब 200 से 300 मीटर क्षेत्र में प्राचीन गुफा विद्यमान है, जो लखबरिया की गुफाएं या लखबरिया केव्स के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में मान्यता अनुसार द्वापर युग के शिवलिंग विराजमान हैं।
“नमस्ते भगवान रुद्र भास्करामित तेजसे।
नमो भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने।।”
लखवरिया गुफाओं के बारे में जानकारी एकत्रित करते करते हमने वहां विराजमान एक शिवलिंग को देखा जो शिवलिंग उजैन्न महाकाल में स्थित महादेव की ही तरह दिखाई देते है,लखवरिया स्थित शिवलिंग की ऊंचाई, लम्बाई चौड़ाई,भी बिल्कुल महाकाल की है तरह दिखाई दे रहे थे,लखबरिया धाम के पुजारी जी से संपर्क किया और उनसे पूंछा कि विराजित शिवलिंग कब से विराजमान हैं तो जानकारी सुनकर हमे विश्वास नही हुआ उनके अनुसार ये शिवलिंग द्वापर युग के हैं। आश्चर्य की बात ये है कि यहाँ 3 और ऐसे ही प्राचीन शिवलिंग हैं।
स्थानीय लोग इस स्थान को महाभारतकाल काल के दौरान पांडवों के अज्ञातवास से जोड़ते हैं। जब लखवरिया धाम की गुफाओं में अंदर देखा तो दूसरे शिवलिंग और उन्ही गुफाओं के ऊपरी गुफाओं पर बिल्कुल वैसे ही तीन शिवलिंग दिखाई दिए है जिसे की नीचे गुफाओं में शिवलिंग विराजमान थे,और सभी चारो शिवलिंग द्वापर युग के ही बताए जा रहे है। यदि इन गुफाओं और आसपास खुदाई की जावे तो पांचवे शिवलिंग भी अवश्य मिलेंगे जिससे पांडवों की सत्यता के प्रमाण और मजबूती से प्रमाणित होंगे।
इन लखवारिया गुफाओं के बारे में दंतकथाओं के अनुसार कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास में थे, तो उन्होंने ही इन गुफाओं का निर्माण किया था। लकबरिया नाम के पीछे की कहानी ये है कि यहाँ 1 लाख ऐसी गुफाएं होने की मान्यता है।
लगभग 300 से 400 मीटर लंबी और 200 से 300 मीटर चौड़ी इन गुफाओं में जो बड़ी बलुआ ठोस चट्टानें हैं. वह लाल बलुआ पत्थर की है उत्तर की ओर तीन गुफाएं हैं, पश्चिम की ओर भी लगभग सात गुफाएं हैं, जिनको स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है,जिनमें मंदिर है। वहां एक आश्रम भी है जहां बैठकर गुरु प्रवचन करते थे और शिष्यों को पढ़ाते थे। दक्षिण की ओर भी तीन गुफाएं हैं, और पूर्व की ओर भी कुछ गुफाएं हैं जो आज भी अधूरी है। इन गुफाओं के पास एक तालाब भी है और लोकमान्यता के अनुसार यह तालाब भी पांडवों द्वारा निर्मित किया गया था।
लखबरिया की गुफाओं में कई दैवीय स्थल भी है,यहां अर्धनारेश्वर शिवलिंग है। ये शिवलिंग गुफा के अंदर खुदाई के दौरान निकले है,इसके अलावा यहां रामलला का दर्शन भी होते है. क्योंकि एक रामलला मंदिर भी है, जहां भगवान राम और जानकी विराजमान है। इनके बारे में भी ऐसी कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास में थे तो उस दौरान उन्होंने यहां कुछ समय गुजारा था, इसके अलावा यहां सीता माता की रसोई भी देखने को मिलती है, साथ ही राधा-कृष्ण मंदिर, शनिदेव समेत कई मंदिर हैं।
संरक्षण के अभाव में इतिहास में पन्नों में विलीन न हो जाए लखवरिया हजारों साल पुरानी लखबरिया की गुफाएं जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है,आज वही गुफाएं संरक्षण के अभाव में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। लखबरिया की गुफाएं अब धीरे-धीरे सरंक्षण के अभाव में जर्जर हो रही है,जो लाल बलुआ पत्थर से चट्टान से जो गुफाएं बनी है. वह भी झड़ रही हैं. उनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है, और जानकारों का तो यह भी कहना है कि अगर उसकी खुदाई कराई जाएगी तो वहां पर आसपास के क्षेत्र में तो कई और गुफाएं निकलेगी।
लखबरिया में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. क्योंकि यहां पर ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक और पुरातात्विक हर तरह की चीजें मौजूद है. यहां एक ही जगह पर पर्यटकों को कई चीजों के दर्शन लाभ मिल जाएंगे, और सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. लखबरिया की गुफाएं तो ऐतिहासिक हैं ही साथ ही कई मंदिरों की कई कथाएं भी जुड़ी हुई है. अगर इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाए तो निश्चित तौर पर लखबरिया की वजह से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।