आईएसडी नेटवर्क। भारत सरकार ने 2014 के बाद से अब तक लगभग 155 लाख करोड़ का कर्ज़ लिया है। जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब ये कर्ज़ आधे से भी कम था। विगत साढ़े नौ वर्ष में मोदी सरकार ने एक बड़ी राशि विश्व के विभिन्न देशों से उधार ली है। इसके फलस्वरुप भारत के हर नागरिक पर कर्ज़ का बोझ बढ़ गया है। बड़ा कर्ज़ लेने के साथ ही केंद्र ने उदारता दिखाते हुए लगभग 25 लाख करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर दिया। विपक्ष की ओर से इस बेहिसाब कर्ज़ पर आपत्ति ली जाती रही है लेकिन सरकार उसे दरकिनार आगे बढ़ती रही है।
विदेशी कर्ज़ को लेकर विपक्षी दलों द्वारा लगातार केंद्र को घेरा जा रहा है। संसदीय वार्ताओं में और सार्वजनिक भाषणों में विपक्षी नेता कर्ज़ को लेकर केंद्र को घेरते रहे हैं। सन 2014 जून में जब मोदी सरकार ने कमान संभाली थी, देश पर 54,90,763 करोड़ का कर्ज़ था। इसके बाद केंद्र ने तेज़ी से कर्ज़ लेना शुरु किया। चार वर्ष बाद ही सन 2018 में कर्ज़ बढ़कर 82,03,253 करोड़ हो चुका था। इसी वर्ष की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सवाल के लिखित जवाब में जानकारी देते हुए बताया था कि भारत पर 155 लाख करोड़ का उधार चढ़ चुका है।
वित्त मंत्री के अनुसार इसमें से विदेशी कर्ज 7.03 लाख करोड़ रुपये है, जो जीडीपी के 2.6 % के करीब है। देखा जाए तो इस कर्ज़ की राशि भारी-भरकम है। भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाने के बाद विदेशी कर्ज़ बहुत तेज़ी से लिया। कर्ज़ तेज़ी से बढ़ने का एक कारण सार्वजनिक ऋण में बढ़ोतरी बताया जा रहा है। सन 2014 से लेकर 2019 तक सार्वजनिक ऋण 48 लाख करोड़ से बढ़कर 73 लाख करोड़ हो गया था। बढ़ता हुआ राजकोषीय घाटा सरकार के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरा।
ये आश्चर्यजनक तथ्य है और इस पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत का बयान ध्यान खींचता है। उन्होंने कहा कि ‘देश के 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 67 साल में कुल 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया। पिछले 9 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हिंदुस्तान का कर्जा तिगुना कर दिया। 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज उन्होंने मात्र 9 साल में ले लिया। 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 155 लाख करोड़ हो गया है।’
जितनी तेज़ी से भारत सरकार ने कर्ज़ लिया, उतनी ही शीघ्रता से बहुत सारा लोन माफ़ भी किया है। पिछले माह सूरत के सामाजिक कार्यकर्ता संजय एझावा द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़े पैमाने पर वित्तीय विकास के बारे में जानकारी दी। आरबीआई ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने नौ साल के कार्यकाल के दौरान भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने लगभग 25 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ कर दिए हैं।
यदि लोन राइट ऑफ़ करने के आंकड़ों को देखा जाए तो एनडीए गठबंधन की सरकारों ने बड़े पैमाने पर कर्ज़ माफ़ किये हैं। एक वेब पोर्टल ‘द ब्लंट टाइम्स‘ के अनुसार एनडीए सरकार, एनडीए सरकार-1 और एनडीए सरकार-2 का संयोजन, 2014-2015 से 2022-2023 तक नौ वर्षों तक सत्ता में रही। इस अवधि के दौरान, उन्होंने पूरे भारत में सार्वजनिक बैंकों के माध्यम से 10.41 लाख करोड़ रुपये और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से अतिरिक्त 14.53 लाख करोड़ रुपये को राइट-ऑफ करने की अनुमति दी।
25 लाख करोड़ के लोन की माफ़ी की बात सामने आते ही भारत के आर्थिक परिदृश्य में भूचाल सा आ गया है। आरबीआई ने डिफॉल्टरों के नामों का खुलासा नहीं किया है। यह भारत के वित्तीय इतिहास में सामने आई सबसे अधिक ऋण माफ़ी राशि है। एक रिपोर्ट में कहा गया है किकोरोना के बाद दुनियाभर में कर्ज़ की ब्याज दरें बढ़ गई हैं, जिसका प्रभाव भारत पर भी पड़ रहा है। कर्ज़ चुकाने के लिए अब ज्यादा पैसा भी चुकाना पड़ रहा है। एक साल पहले के 5.2 फीसदी के मुकाबले यह बढ़कर 5.3 फीसदी हो गया है। कर्ज का भुगतान 2021-22 में जहां 41.6 अरब डॉलर था, वह 2022-23 में बढ़कर 49.2 अरब डॉलर हो गया है।