आईएसडी नेटवर्क। बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा के बीच छिड़े अघोषित युद्ध में अब हिन्दी शामिल हो गई है। पिछले दिनों तेलुगु अभिनेता किच्चा सुदीप ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा न बताते हुए एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस हिन्दी युद्ध में अजय देवगन के बाद अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी, गीतकार मनोज मुंतशिर और गायक सोनू निगम की भी एंट्री हो गई है। एक के बाद एक बयानों से दक्षिण और उत्तर का ये युद्ध फिल्मों की गुणवत्ता से हटकर हिन्दी भाषा की ओर केंद्रित होता जा रहा है।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘हीरोपंती : 2 गत शुक्रवार प्रदर्शित हुई है। प्रदर्शन के दौरान ही नवाजुद्दीन ने एक इंटरव्यू में हिन्दी को लेकर बेबाकी से अपनी बात रखी है। उन्होंने कई ऐसी बाते कही हैं, जो अब तक इंडस्ट्री के बाहर के लोगों को मालूम नहीं थी। नवाज़ ने कहा कि वे बॉलीवुड में तीन चीजों को बदलना चाहेंगे। पहले तो वह बॉलीवुड का नाम बदलकर हिन्दी सिनेमा रखेंगे।
इसके बाद वे फिल्मों की स्क्रिप्ट की भाषा बदलना चाहेंगे। नवाज़ ने कहा कि वर्तमान में जो स्क्रिप्ट लिखी जाती है, वह हिन्दी में न होकर रोमन में होती है। उन्होंने कहा कि वे स्क्रिप्ट को देवनागरी में लिखवाना चाहेंगे। नवाज ने शूटिंग के वातावरण की बात करते हुए कहा कि आजकल जब फिल्में बनती हैं तो डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर सब इंग्लिश में बात करते हैं ऐसे में एक्टर को कुछ समय में ही नहीं आता कि क्या करना है?
इससे अभिनेता के प्रदर्शन पर बुरा असर होता है। नवाजुद्दीन ने कहा कि दक्षिण भारत के लोग अपनी भाषा पर गर्व करते हैं। वहां डायरेक्टर एक्टर कैमरामैन सब एक ही भाषा में बात करते हैं। साथ ही वहां की स्क्रिप्ट भी स्थानीय भाषा में ही लिखी होती है। हिन्दी विवाद पर गीतकार मनोज मुंतशिर ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने लिखा कि अंग्रेजी, पढ़ना और जानना अच्छा है, लेकिन हिंदी फिल्में बनाने वाले जिस दिन रोज़मर्रा की जिंदगी में हिंदी बोलना शुरू कर देंगे, हमारी फिल्मों में आत्मा अपने आप उतर आएगी। हिंदी फिल्म उद्योग न समाप्त हुआ है न कभी होगा। बस थोड़े से आत्म-मंथन की जरूरत है, हम नगाड़ा बजा के लौटेंगे।’ गायक सोनू निगम भी इस युद्ध में कूद पड़े हैं।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि है ये कहीं नहीं लिखा की हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है। ये सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा हो सकती है लेकिन राष्ट्रीय भाषा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमारे सामने दूसरे देशों के साथ ऐसी समस्याएं हैं जिसे सुलझाने की जरूरत है। इस समय अपने ही देश में समस्या खड़ी करना बेकार है।