आज राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने उप्र के योगी सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध किया, जिसमें मुगलसराय का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय रखने का सुझाव दिया गया है और जिसे केंद्रीय गृहमंत्रालय की हरि झंडी मिल चुकी है। नरेश अग्रवाल वही हैं, जिन्होंने हाल में हिंदू-देवीदेवताओं के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया और आज मुगलों के सम्मान मंे स्तुति गान कर रहे हैं! नरेश अग्रवाल आपको अपने डीएनए की जांच करानी चाहिए ताकि देश को पता चल सके कि आपके रक्त में भारतीयता है भी या नहीं? आखिर मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनदयालजी के नाम पर क्यों जरूरी है और वह कौन इस्लामी विद्वान था, जिसने पहली बार यह कहा कि मुसलमानों को काफिरों से काट कर रखो अन्यथा मुसलमान इस्लाम को भूल जाएंगे! नरेश अग्रवाल नरेश अग्रवाल जैसे नेता उसी ‘मुसलमानों को हिंदुओं से काटो’ की थ्योरी को आगे बढ़ा रहे हैं ताकि उनका राज चलता रहे!
और हां जो लोग यह कह कर मुगलसराय के नाम को दीनदयालजी के नाम पर रखने का विरोध यह कह कर रहे हैं कि लालबहादुर शास्त्री जी वहां से थे, इसलिए उस स्टेशन का नाम शास़्त्रीजी के नाम पर होना चाहिए! आखिर पिछले 70 साल से वो लोग कहां थे? क्यों नहीं 70 साल से उन्हें शास्त्रीजी की याद आ रही थी? बिल्ली की तरह आज वह छीनाझपटी करने के लिए क्यों उतर आए हैं? शास्त्रीजी हम सभी के हैं, उनके नाम पर पूरा शहर रख दीजिए, हम समर्थन करेंगे, लेकिन आज जब दीनदयालजी के नाम पर मुगलसराय का नाम रखा जा रहा है तो आपका विरोध समझ से परे हैं? आपकी मंशा में खोट है। दीनदयाल उपाध्याय की हत्या 11 फरवरी 1968 को इसी मुगलसराय स्टेशन पर हुई थी। वह इतने डाउन-टू-अर्थ थे कि कोई उनके शव को पहचान तक नहीं पा रहा था। इस वक्त यह सरकार उनकी जन्मशती मना रही है। ऐसे में अपने जिस विचारक की हत्या उस स्टेशन पर हुई हो तो विदेशियों के नाम स्थित उस स्टेशन का नाम बदलकर अपने उस महापुरुष के नाम पर रखने का पूरा हक उप्र की योगी और केंद्री की मोदी सरकार को है। इस पूरी बहस के ऐतिहासिक विमर्श को प्रस्तुत करना एक छोटा-सा वीडियो-
Chor kbhi kehta hai maine chori ki haii….bhrstacari janta party lootero balatkariyo ki sarkar haii ! Sharm bhi nhi aati inn haramkhoro ko desh aur ram ke naam pr bheekh maangne me