राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल पर हमला करते हुए शेखर गुप्ता ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि दिल्ली में इतिहास बनाया जा रहा है, दोबारा नियम लिखे जा रहे हैं। पहली बार देश के शीर्ष आईएएस, आईएफएस तथा तीनों सेना प्रमुख किसी आईपीएस अधिकारी को रिपोर्ट करने जा रहे हैं। कैबिनेट सचिव अब डोवाल के अंतर्गत रणनीतिक योजना समूह के ‘क्लर्क’ हैं। शेखर गुप्ता ने अपना यह ट्वीट किस प्रवृत्ति के तहत लिखा है यह तो वह खुद जाने लेकिन इससे इतना तो पता चल ही गया है ऐसा लिखकर उन्होंने अपनी ही भद्द पिटवाई है।
अपनी पारी खेल चुके पत्रकार शेखर गुप्ता अब पूरी पत्रकारिता का ही मटियामेट करने पर तुल गए हैं। आईएएस एसोसिएशन हों या आईपीएस या कोई और नौकरशाही एसोसिएशन, कभी किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि पत्रकारों की निंदा करे, लेकिन जिस प्रकार शेखर गुप्ता ने जाति में बांटकर आईपीएस और आईएएस वर्ग को भिड़ाने का निंदनीय ट्वीट किया है उससे सभी लोग उनकी निंदा करने में जुट गए हैं। गुप्ता के इस ट्वीट का आईपीएस एसोसिएशन ने कड़ी भर्त्सना की है।
Mr Ajit Doval, IPS retd, is #NSA because of his proven track record on national security. #NSA is an MoS rank post. No rules are broken except those imagined by your outdated and mischievous mindset which is perpetuating caste hierarchies in services. Pity @ShekharGupta. https://t.co/Kbr8H6kEo9
— IPS Association (@IPS_Association) October 10, 2018
देश में कई आईएएस अधिकारी है जिन्हें आईआरएस को रिपोर्ट करना पड़ता है। गुप्ता को यह भी जानना चाहिए कि जब कोई आईएएस अधिकारी बनता है तो उसे एक एसडीओ के अधीन काम पर लगाया जाता है। क्या गुप्ता इस बात से नावाकिफ हैं कि एक समय बिहार में कई आईएएस अधिकारियों को अनपढ़ पूर्व मुख्यमंत्री रावड़ी देवी को रिपोर्ट करना पड़ता था? तब ये शेखर गुप्ता कहां थे? ये वही शेखर गुप्ता है जिन्होंने लालू प्रसाद यादव के मैट्रिक फेल बेटे तेजस्वी यादव का अपने जोड़ीदार प्रणय राय के साथ साक्षात्कार लिया था। क्या शेखर गुप्ता खुद को तेजस्वी का साक्षात्कार लेने लायक मानते हैं?
History made in New Delhi, rules rewritten. For the first time, we have India’s topmost IAS, IFS officers & Chiefs of 3 armed forces reporting to an IPS officer. Cabinet Secy, from being ‘clerk of the cabinet,’ is now ‘clerk’ of this Strategic Planning Group under Doval
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) October 10, 2018
अब शेखर गुप्ता वैसे पत्रकार रह ही नहीं गए जिनके ट्वीट या किसी आलेख को भाव दिया जाए। क्योंकि अपने आकाओं को खुश करने के लिए एंटी एस्टेब्लिशमेंट के नाम पर ये अब पूरी पत्रकारिता को ही नष्ट करने पर तुल गए हैं। उन्हें बताना चाहिए कि जब कोई आईपीएस अधिकारी मुख्यमंत्री या राज्यपाल बन जाएगा तो क्या आईएएस अधिकारी को इसलिए उसे रिपोर्ट नहीं करना चाहिए क्योंकि वह आईपीएस अधिकारी रहा है? तभी तो रेशमी देशगुप्ता ने शेखर गुप्ता के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा है “निष्पक्ष” और “उदार” मीडिया का विवाद को उकसाने का एक और प्रयास। डोवाल एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी है, इसलिए उन्हें हाइरार्की के खांचे में बैठाना गैरजरूरी है। कई सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी राजदूत तथा राज्यपाल बन चुके हैं, जो अपने तत्कालीन सहयोगियों के ऊपर हैं, ऐसे में आईएएस अधिकारी क्या करेंगे?
Another sly attempt to incite discord by the “impartial” & “liberal” media. Doval is a RETIRED IPS officer, hence service hierarchies are redundant. Many retd IPS officers have become ambassadors, governors etc & were therefore “above” IAS/IFS officials on their staff. #AjitDoval https://t.co/FZCXIWxAg9
— Reshmi Dasgupta (@ReshmiDG) October 10, 2018
गौरतलब है कि भारत सरकार ने रणनीतिक योजना समूह (एसपीजी)का गठन कर देश के सुरक्षा प्रशासन को दुरूस्त किया है। सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को ही इसका प्रमुख बनाया है। एसपीजी भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की सहयोग करेगा, इसके साथ ही दीर्घकालिक रक्षा मामले पर विचार करेगा। कैबिनेट सचिव से लेकर तीनों सेना प्रमुखों, आरबीआई के गवर्नर, गृह, विदेश, वित्त तथा रक्षा विभाग के सचिवों को इसका सदस्य बनाया गया है।
मोदी सरकार के इस पहल की जहां सारे लोग प्रशंसा कर रहे हैं वहीं शेखर गुप्ता जैसे पत्रकार को इसमें जातीय दृष्टि दिखाई पड़ती है। सरकार के इस कदम को लेकर गुप्ता का कहना है कि इसके तहत आईएएस, आईएफएस तथा सेना के तीनों कमांडरों को एक पूर्व आईपीएस अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा। अपने इस ट्वीट के माद्यम से शेखर गुप्ता आईपीएस अधिकारियों को आईएएस तथा आईएफस अधिकारियों की तुलना में हीन मानते हैं। अपनी इस जातीय मानसिकता से शेखर गुप्ता शूरू से ही समाज में जहर फैलाते आ रहे हैं। उनके इस ट्वीट पर कई लोगों ने उनकी आलोचना की है। शेखर गुप्ता को क्या यह पता नहीं है कि अजित डोवाल को सेवानिवृत्त हुए कई साल हो गए। अभी वह देश की सेवा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में दे रहै जो एक राज्यमंत्री के ओहदा के बराबर है।
पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद भी लाठी थामने से बेहतर हो कि शेखर गुप्ता अब धार्मिक रचनाओं को पढ़ने और आयोजनों में अपने को संलग्न करें, इससे पत्रकारिता और समाज दोनों बच जाएंगे, नहीं तो कांग्रेस राज के आगमन का इंतजार करें ।
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