वास्तव में, जिहाद करने की जरूरत केवल इसलिए पैदा होती है क्योंकि काफिर लोग मुहम्मद के अल्लाह के बजाए अपने-अपने आराध्यों की पूजा- उपासना करते हैं। इसलिए, जब तक उन सभी पूजा-स्थलों को नष्ट नहीं कर दिया जाता और कुफ्र फैलाने वाले उन सभी संतों और पुजारियों का इस्लाम में धर्मांतरण नहीं कर दिया जाता या उनका सफाया नहीं कर दिया जाता तब तक जिहाद अधूरा है।
- इतिहासकार स्व. सीताराम गोयल