हमारे मार्क्सवादी प्रोफेसर्स और सेक्युलरिज्म के अन्य ठेकेदार एक बड़ी भूल कर रहे होते है जब वे इस्लाम के गुनाहों के बचाव में किसी न किसी आर्थिक या/और राजकीय कारण का आविष्कार कर लेते है। या तो ये लोग इस्लाम की शिक्षा काफिरों, उनकी महिलाओं और बच्चों, उनकी सम्पत्ति, उनके घर और जमीन, उनके धर्म, धर्मगुरु और धर्मस्थानों के बारे में क्या कहती है इस बात से पूर्णरूप से अनभिज्ञ है, या फिर उनके अंदर गहराई से बैठ चुके हिन्दू-द्वेष के कारण वे उन लोगों की गोद में बैठ गए है जो उन सभी चीजों को नष्ट करने का इरादा रखते है जिनके कारण इस देश का सदीयों से सम्मान किया जाता रहा है।
- इतिहासकार स्व. सीताराम गोयल
(स्रोत: Hindu Temples: What Happened to Them, खण्ड-2)