इस तथ्य में कोई संदेह नहीं कि इस्लाम का अल्लाह “झूठे देवताओं” तथा उन स्थानों को नष्ट करने की अनुमति देता है तथा इसे उचित ठहराता है जहां उनकी पूजा की जाती है। पैगंबर की सुन्नत भी यही कहती है। … जो यह कहता है कि कुरान और पैगम्बर की सुन्नत अन्य लोगों के पूजास्थलों को नष्ट करने का आदेश नहीं देते हैं, उन्होंने या तो दस्तावेजों को पढ़ा नहीं है, या उनकी शिक्षाओं को समझने में विफल रहे हैं, या जानबूझकर धूर्तता कर रहे हैं। कोई दलील इस सिद्धांत और व्यवहार को छुपा नहीं सकती। … न तो कुरान को और न ही पैगंबर की सुन्नत को ठीक से समझा जा सकता है या उनका उचित मूल्यांकन किया जा सकता है जब तक कि इसे पूर्व-इस्लामिक अरब समाज और संस्कृति के ऐतिहासिक संदर्भ में नहीं रखा जाता है, जब अभी इतिहास के मंच पर मुहम्मद का उदय नहीं हुआ था।
- इतिहासकार स्व. सीताराम गोयल