अंधकार में भविष्य जा रहा
अमर्यादित बद्तमीज अनुशासनहीन ;
हिंदू की ज्यादातर बहुयें , सनातनी सद्गुणों से हीन ।
छोटे दिल की महास्वार्थी , धर्म-सनातन भुला दिया ;
सैर-सपाटा मौज-मस्ती में , सारा जीवन बिता दिया ।
अंधकार में भविष्य जा रहा , हिंदू ! तेरी संतानों का ;
जगह-जगह ही जाल बिछा है , म्लेच्छ और हैवानों का ।
जब माता को नहीं है फुर्सत कि अपने बच्चों को देखे ;
सास-ससुर से भी दूरी है व उनसे भी कुछ न सीखे ।
महामूर्ख बहुयें जितनी हैं, सब की सब ऐसी माता हैं ;
जब चिड़िया चुग जायें खेत , तभी होश आता है ।
फिर केवल पछतावा होता , कुछ और न होता ;
जैसे रोता आया जग में , वैसे ही जाता ।
इसके पीछे कारण क्या है ? गंदी – शिक्षा ;
गंदी-राजनीति ने रोकी , हिंदू की पूरी धार्मिक-शिक्षा ।
हिंदू का सत्यानाश कर रहे , हिंदू के नेता ;
गिरे हुये अब्बासी – हिंदू हैं , भारत के नेता ।
भ्रष्टाचार में फंसा हुआ है , देश का हिंदू ;
मतिभ्रष्ट है सबसे ज्यादा , क्यों ऐसा भारत का हिंदू ?
जैसी मति वैसी गति , सदा परिणाम यही है ;
घर – घर की है बात व किस्सा आम यही है ।
धर्मनिष्ठ व विचारशील , हिंदू हैं जितने ;
सही – मार्ग बतलाना होगा , अब बचे ही कितने ?
घर-घर में हो धार्मिक शिक्षा , वातावरण आदर्श बनाओ ;
साथ ही ये परमावश्यक है कि अच्छी-सरकार बनाओ ।
जब तक अच्छी-सरकार न होगी , कुछ भी न होगा ;
देश में जंगल – राज रहेगा , सुख – चैन न होगा ।
अच्छी-सरकार बनानी होगी , कर्तव्यनिष्ठ व हिंदूवादी ;
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , जो केवल मानवतावादी ।
एकमात्र दल है भारत में , जो कर सकता ;
“एकम् सनातन भारत” दल ही , ये कर सकता ।
सबसे नया – नवेला दल है , साधन कम हैं ;
सारे – हिंदू सहयोग करें तब हम ही हम हैं ।
महायज्ञ है ये चुनाव का , जब सारे-हिंदू आहुति डालेंगे ;
यज्ञ सफल होगा भारत में , “राम-राज्य” तब ही पायेंगे ।