संदीप देव । नरसिंह अवतार में जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकशिपु का वध किया तो भक्त प्रहलाद प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करने लगे। असुर नगरी में इससे पूर्व हिरण्यकशिपु की पूजा होती थी, लेकिन राजा बने प्रहलाद द्वारा भगवान विष्णु की पूजा करते ही सारे दैत्य उसी दिन से वैष्णव हो गये।
योगवासिष्ठ में इस कथा को सुनाते हुए वशिष्ठ जी श्रीराम से कहते हैं, “राजा ही (जनता के) आचरण का कारण होता है।”
सनातनधर्मियों के बीच योगवासिष्ठ, रामायण, महाभारत का ज्ञान नहीं होने के कारण गांधी से लेकर वर्तमान काल तक शासक का सेक्यूलरिज्म ही हिंदुओं का धर्म बन गया है।
महाराज जी, संघ के विचार को थोपने की जगह गीता के विचार को अपनाइए! भगवान कहते हैं: धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।
वह धर्म की स्थापना के लिए आते हैं, देश की स्थापना के लिए नहीं। भारत देश के जिस जिस हिस्से से सनातन धर्म मिटा, वहां-वहां से भारत भी मिट गया, जैसे- अफगानिस्तान,… https://t.co/R5PEDNegaQ
— संदीप देव #SandeepDeo (@sdeo76) October 13, 2023
अब देखिए शासक कहता है कि “पहले देश, फिर धर्म, इसके बाद समाज, और फिर अंत में हमारा परिवार…” और जनता मान लेती है! जनता यह दिमाग तक नहीं लगाती कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं,” धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।”
वह धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर बार-बार आते हैं, किसी देश की स्थापना के लिए नहीं! भारत देश के जिस जिस हिस्से से सनातन धर्म मिटा, वहां-वहां से भारत भी मिट गया, जैसे- अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंग्लादेश आदि।
अतः धर्म बचेगा तो ही राष्ट्र बचेगा! अन्यथा देश तो पाकिस्तान, सीरिया, ईरान, अरब, फिलिस्तीन, कतर आदि भी हैं, लेकिन वहां धर्म (धर्म सिर्फ सनातन है, बांकी केवल किसी व्यक्ति द्वारा चलाया गया पंथ है) न होने के कारण प्रतिदिन मानवता लहुलुहान हो रही है!
फिर सनातन धर्म की प्राथमिक इकाई परिवार है, जहां आरंभ के सात साल तक बच्चे का समाजीकरण होता है। यह सात साल ही तय करता है कि बच्चा भविष्य में क्या बनेगा? लेकिन आज परिवार तोड़ने, छोड़ने को न केवल उकसाया जा रहा है, बल्कि परिवार व्यवस्था पूरी छिन्न-भिन्न होती जा रही है और इसमें शासन, सरकार से लेकर अदालत तक आग में घी का काम कर रही है।
फिर देखिए शासक शुंभ-निशुंभ घातिनी और महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के हाथ से अस्त्र-शस्त्र हटाकर उनके हाथ में भारत का झंडा थमा देता है, और जनता नारे लगाने लगती है।
यदि हम अपने घर में रामायण, महाभारत, योगवासिष्ठ, गीता का पठन-पाठन आरंभ कराएं तो हम शासकों को सनातन धर्म की राह पर ला सकते हैं, लेकिन जब हम स्वयं अंदर से खोखले हैं तो फिर हम 75 साल से शासक भी खोखले, सेक्यूलर और म्लेच्छपरस्त चुन रहे हैं, जिस कारण आज हमारा परिवार तक बिखर रहा है, तो फिर हम देश क्या बचाएंगे?
अतः सनातनधर्मियों अपने शास्त्रों की ओर लौटो, इससे पहले की देर हो जाए!
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