सुरेश चिपलूनकर। जब एक चाटुकार मीडिया और सत्ताधारी पार्टी की विशाल आईटी सेना सत्ता-समर्थक शोर करती हुई 24/7 काम कर रही है, ऐसे में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पति श्री परकला प्रभाकर एक निडर आलोचनात्मक आवाज के रूप में उभरते हैं… जो सत्ता की ताकत के सामने सच बोलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
इस पुस्तक में उन्होंने 2020 से 2023 तक लगभग तीन वर्षों में निबंधों के जरिये तथ्यों और आंकड़ों को बारीकी से दिखाया है तथा घटनाओं एवं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सार्वजनिक बयानों का विश्लेषण किया है… ताकि यह दिखाया जा सके कि वह हमारे लोकतंत्र, सामाजिक सद्भाव और अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए कितना डरावना है… उनकी पत्नी अर्थात वित्तमंत्री जी इस पुस्तक से असहज हैं, लेकिन वो तो स्वाभाविक है.
सरकार ने बेरोजगारी और असमानता के आँकड़ों को जिस प्रकार दबाया है; जांच एजेंसियों और आयकर विभाग की पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई है; तथा COVID-19 महामारी का जैसा कुप्रबंधन हुआ है… ऐसे अनेक घटनाक्रमों को श्री परकला प्रभाकर ने सटीक तरीके से दिखाया है..
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