विपुल रेगे। प्रशांत वर्मा की ‘हनुमान’ चुपके से सिनेमाघरों में दाखिल हुई है। प्रचार का शोर-शराबा न करते हुए ये सीधे दर्शक के दिल में उतर गई है। श्री राम और हनुमान के प्रति हमारे विश्वास को ये और दृढ़ करती है। इसका दर्शक वर्ग एक साल से लेकर सौ साल तक का है। ये हर उस दर्शक की फिल्म है, जिसके मन में हनुमान के प्रति निष्ठा और प्रेम है। पहले दिन फिल्म को छोटी ओपनिंग लगी है लेकिन दर्शकों का उत्साह और रिस्पॉन्स बता रहा है कि ‘हनुमान’ को तगड़ा फुटफॉल मिलने जा रहा है। वैसे तो फिल्म उद्योग में बहुत से सुपरहीरो आए हैं लेकिन ये सुपरहीरो भारतीय संस्कृति की जड़ों से जन्मा है और हमें बहुत ‘अपना’ सा लगता है।
निर्देशक : प्रशांत वर्मा
कलाकार : तेजा सज्जा, वरलक्ष्मी सरथकुमार, विनय, अमृता अय्यर
निर्माता : एस.निरंजन रेड्डी
संगीत : गौरा हरि-अनुदीप देव- कृष्णा सौरभ
भाषा : हिंदी, तमिल, तेलुगु
युवा फिल्म निर्देशक प्रशांत वर्मा की ‘हनुमान’ भारत के सिनेमाई परिदृश्य में एक अद्वितीय संयोजन के रुप में उभरी है। समकालीन सुपरहीरो और हमारे पौराणिक नायकों के बीच का ये संयोजन हम वर्षों से खोज रहे थे। हॉलीवुड के सुपरहीरोज के मुकाबले में हम अपने पौराणिक नायकों को नहीं उभार पा रहे थे। ‘हनुमान’ ने वह काम कर दिखाया है। प्रशांत वर्मा ने वर्तमान और प्राचीन काल के बीच एक ‘तर्कवान पुल’ तैयार किया है। मार्वल के सुपरहीरोज को उनकी शक्ति विभिन्न कारणों से मिली है। किसी को मकड़ी ने काटा है तो कोई किसी और ग्रह से पृथ्वी पर चला आया है लेकिन ‘हनुमान’ के नायक की शक्ति का स्त्रोत हनुमान जी का डीएनए है। ऐसी कथा भावनात्मक रुप से दर्शक को जोड़ती है। फिल्म को पर्याप्त स्क्रीन्स नहीं दिए गए हैं। हालाँकि हिन्दी पट्टी के दर्शकों ने फिल्म का दिल खोलकर स्वागत किया है। हिन्दी पट्टी में माउथ पब्लिसिटी बहुत असरदार होती है।
कहानी : हनुमंत (तेजा सज्जा) अंजनाद्रि में अपनी बहन अंजम्मा (वरलक्ष्मी सरथकुमार) के साथ रहता है। हनुमंत एक आम बिगड़ैल लड़का है। उसकी बहन इस कारण परेशान रहती है। इस गाँव में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। इस मूर्ति के साथ बहुत सी कथाएं और रहस्य जुड़े हुए हैं। कथा में हनुमान जी का वर्णन करते हुए बताया गया है कि जब वे शिशु थे और सूर्य को निगलने चले थे, तब इस संघर्ष में उनके रक्त की एक बूंद पानी में गिरकर मणि बन जाती है। इस रक्त में हनुमान जी का डीएनए है। इसी के समानांतर एक स्टोरी ट्रेक और चलता है। एक शहर में एक बच्चा माइकल कॉमिक्स पढ़-पढ़कर सुपर हीरो बनना चाहता है। वह सुपर हीरो बनने के पीछे इतना पागल है कि उसके भीतर एक किस्म की नकारात्मकता प्रवेश कर जाती है। वह बच्चा बड़ा होकर सुपरहीरो बनता है लेकिन उसके भीतर शैतान का वास है। हनुमान जी के डीएनए की शक्ति हनुमंत को मिल जाती है क्योंकि वह एक नेक मनुष्य है। इस शक्ति को पाने के लिए माइकल (विनय) बुरे इरादे से गांव आता है।
निर्देशन : प्रशांत वर्मा बधाई के हकदार हैं कि उन्होंने एक ऐसी सुंदर फिल्म बनाई, जो परिवार के साथ देखी जा सकती है। हनुमान जी को वर्तमान काल से जोड़कर एक विश्वसनीय कथा प्रस्तुत की गई है। हनुमंत को शक्ति मिलने का स्त्रोत बहुत तार्किक लगता है। दृश्यों में बहुत क्रिएटिविटी देखने को मिली है। फिल्म का बैकड्रॉप ग्रामीण है, इसलिए सिनेमेटोग्राफी आकर्षक होकर उभरती है। सुदशरधि सिवेंद्र का कैमरा वर्क प्रशंसा का पात्र है। कहानी में आध्यात्मिक आयाम जोड़ते हुए, भगवान हनुमान से संबंधित दृश्यों को अच्छी तरह से प्रस्तुत किया गया है। इसमें कहीं अश्लीलता के दर्शन नहीं होते।
हनुमान के प्रति भारत की अगाध भक्ति को निर्देशक ने पूरी तरह भुनाया है। बहुत से भावनात्मक दृश्य इतने चरम पर होते हैं कि पलकें नम हो जाती हैं। सुपरहीरो बनाने के लिए हमारे हीरो को मार्वल हीरोज की तरह कोई विशेष गेटअप नहीं दिया गया है लेकिन फिर भी वह विश्वसनीय लगता है। वैसे तो पूरी फिल्म ही मनोरंजक है लेकिन अंतिम बीस मिनट में मनोरंजन और रोमांच चरम पर होता है। ये अंतिम बीस मिनट दर्शक को घर आने पर भी याद रहते हैं।
मात्र 25 करोड़ के बजट की फिल्म के कम्प्यूटर ग्राफिक्स इतने इफेक्टिव लगते हैं कि ओम राउत की 400 करोड़ से बनी ‘आदिपुरुष’ इसके सम्मुख कचरा लगती है। वेंकट कुमार जेट्टी की टीम ने फिल्म के लिए विजुअल इफेक्ट्स तैयार किये हैं और इसके लिए किसी विदेशी विशेषज्ञ की सेवाएं नहीं ली गई है। निर्देशक प्रशांत ने अपने दृष्टिकोण को परदे पर साकार करने के लिए चैट जीपीटी और मिडजर्नी जैसे एआई प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया है। इतने कम बजट में तकनीक पर बेहतरीन काम किया गया है। फिल्म के अंत में जब हनुमान का विराट स्वरुप दिखाया जाता है तो दर्शक की सांस रुक जाती है। ये दृश्य फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है।
एक्टिंग: सुपरहीरो के रुप में तेजा सज्जा ने मौलिक अभिनय किया है। वे अपनी स्वाभाविक शैली में अभिनय करते हैं और उनके भीतर अच्छा-खासा स्पार्क दिखाई देता है। अमृता अय्यर, वरलक्ष्मी सरथकुमार और खलनायक के रूप में विनय राय भरपूर योगदान देते हैं। नायक की बहन के रूप में वरलक्ष्मी सरथकुमार का प्रदर्शन शानदार है। वेन्नेला किशोर और गेटअप श्रीनू सहित सहायक कलाकार हास्य और मनोरंजन का योगदान देते हैं, जो एक संपूर्ण सिनेमाई अनुभव प्रदान करता है। संगीत फिल्म का प्रबल पक्ष है। गौरा हरि, अनुदीप देव और कृष्णा सौरभ ने कमाल का संगीत रचा है।
‘हनुमान’ दर्शक को एक ताज़ा सिनेमाई अनुभव प्रदान करती है। यह परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण के साथ अपनी जगह बनाने में कामयाब होती है। नई पीढ़ी के बच्चों और युवाओं के लिए इस फिल्म के संवाद प्रेरणादायक हैं। जैसे एक संवाद में कहा जाता है ‘सूट से सुपरहीरो नहीं बनता, आंतरिक शक्ति और आग्रह से सुपरहीरो बनता है।’ यह फिल्म हमारे समृद्ध सनातन विज्ञान और संस्कृति को उज्जवल रुप में प्रस्तुत करती है। इसे आपके दुलार की आवश्यकता है। अधिक से अधिक संख्या में इसे दर्शक चाहिए। इस फिल्म को सहेजिये।