आईएसडी नेटवर्क। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे टीम का सर्वे ज्ञानवापी परिसर में सातवें दिन गुरुवार को जारी रहा। इस एक सप्ताह में परिसर में बहुत से हिन्दू प्रतीक चिन्ह मिलने के दावे किये गए हैं। तहखाने में पुरातात्विक महत्व की बहुत सी वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। दावे के अनुसार तहखाने में मूर्तियां, त्रिशूल और कलश प्राप्त हुए हैं। सर्वे को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार सूचनाएं आने के बाद वाराणसी की एक कोर्ट ने मीडिया को ज्ञानवापी परिसर में या उसके आसपास कवरेज न करने के लिए कहा है।
बुधवार को सर्वे के छठें दिन सर्वे टीम ने मस्जिद की छत, तीन शिखरों और उसके नीचे स्थित मुख्य हॉल में निर्माण शैली और इसमें प्रयुक्त निर्माण सामग्री की जाँच की। इस दौरान मशीनों की सहायता से तथ्य जुटाए गए। सूचना है कि इसके बाद टीम दक्षिणी क्षेत्र में स्थित तहखाने में सर्वे करेगी। सूत्रों के अनुसार सर्वे में अब तक प्राप्त जानकारियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुख्यालय को भेज दी गई है।
यदि और जानकारी की आवश्यकता पड़ती है तो परिसर में दोबारा सर्वे किया जा सकता है। सर्वे टीम ने व्यास तहखाने के कोने-कोने में बारीकी से सर्वे किया है। भवन की नींव में मशीनों के द्वारा सरंचना के बारे में जानकारी जुटाई गई। मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास पड़े मलबे में अवशेषों की स्कैनिंग और थ्रीडी मैपिंग की गई। परिसर की मिट्टी में मौजूद धातुओं के पैटर्न की भी जानकारी ली गई। अब यहाँ की मिट्टी, पत्थर और अन्य अवशेषों को लैब में जांच के लिए भेजा जा सकता है।
कथित मस्जिद की नींव के इतिहास का ठीक समय जानने के लिए कानपूर आईआईटी से एक टीम आने वाली है। ये टीम ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) से इस बात का पता लगाएगी। ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की ख़बरें बाहर आने के बाद कोर्ट और जिला प्रशासन सख्ती पर उतर आया है। पिछले आठ दिन से हिन्दू और मुस्लिम पक्ष साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और गोपनीयता भंग करने का आरोप लगा रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए वाराणसी के मंडल आयुक्त और पुलिस कमिश्नर ने दोनों पक्षों के साथ एक बैठक की है।
पता चला है कि अब एएसआई की टीम से कोई भी पक्ष सर्वे के बारे में सीधे प्रश्न नहीं कर सकेगा। जनता तक सर्वे की कोई जानकारी न पहुँच सके, इसलिए वाराणसी प्रशासन ने कमर कस ली है। अब किसी भी तरह की जानकारी मीडिया के साथ साझा करने पर रोक लगा दी गई है।