सभी जानते हैं कि चीन टेक्नोलॉजी और विकास के छेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में है। कोरोना संकट की शुरुआत भी चीन से ही नवम्बर 2019 में हुई। विगत आठ महीनों में चीन ने किसी प्रकार वैक्सीन का प्रयोग चीनी नागरिकों पर करने की बात नहीं की है। चीनी वैक्सीन प्रोग्राम की शुरुआत से ही वे विदेशियों पर वैक्सीन ट्रायल करने की बात कह रहे हैं, भले ही विदेशी उनके देश में हों या किसी अन्य देश में।क्योंकि चीन के देशवासियों को ट्रेडिशनल चाइनीज़ मेडिसिन (TCM) पर पूरा भरोसा है, यही कारण है कि चीन अपने देश में कोरोना कंट्रोल करने के लिये सिर्फ़ टी सि एम का प्रयोग कर रहा है। आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिये चाइनीज़ मेडिसिन सिस्टम मूलतः आयुर्वेद पर आधारित है। चाइनीज़ स्कॉलर्स ने आयुर्वेद के सिद्धांतों पर अपने देश की जलवायु, वातावरण और उपलब्ध औषधियों से चाइनीज़ मेडिसिन सिस्टम का विकास किया, जिसकी आज भी अहमियत बरकरार है। इसे कहते हैं पारंपरिक धरोहर पर विश्वास और सम्मान ना कि हमारे देश की तरह जहॉं कथनी और करनी में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है।
हम सभी और यहाँ तक की हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी भी सिर्फ़ अपने ही देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में हमारी पारंपरागत मेडिसिन सिस्टम आयुर्वेद का व्याख्यान करते हैं और देश के संबोधन में भी आयुर्वेद पर अटूट विश्वास और उसके विकास की बात करते हैं। परन्तु आयुर्वेदिक पद्धति से विकसित हुई सम्पूर्ण स्वदेशी स्वास्थ्य प्रणाली ज़ायरोपैथी का अभी तक कोरोना हेतु औपचारिक ट्रायल नहीं हो पाया।ज़ायरोपैथी आधुनिक आयुर्विज्ञान है जिसमें आयुर्वेद में उल्लेखित जड़ी-बूटियों को मॉडर्न साइंस और टेक्नॉलजी का प्रयोग कर मौजूदा लाइफ़स्टाइल बीमारियों को जड़ से समाप्त करने का काम किया जाता है।
विगत चार महीनों से हमनें हर सम्भव प्रयास कर सरकार एवं जनसाधारण को इस विषय की अलग-अलग माध्यमों से जानकारी देने का अथक प्रयास किया, परन्तु शायद हमारी आवाज़ उचित एवं प्रभावशाली व्यक्तियों तक नहीं पहुँच पाई।हमें यह बताते हुये अत्यंत हार्दिक ख़ुशी हो रही है कि देश-विदेश में अभी भी ऐसे भारतीय हैं जो वास्तविक रूप में आयुर्वेदिक इलाज का सम्मान करते हैं और उन्होंने सहजता से ज़ायरोपैथी को अपनाया है और उसका लाभ उठा रहे हैं।
आज पूरा विश्व कोरोना का इलाज ढूँढने में व्यस्त है। यह सभी जानते हैं कि पिछले आठ महीनों में कोरोना की कोई दवा नहीं बन पाई, कोई थिरैपी कारगर सिद्ध नहीं हो पाई, कारगर वैक्सीन आने की संभावना बहुत कम है और उसके आने में भी काफ़ी समय है।ऐसी परिस्थिति में जो भी उपाय उपलब्ध हो और उसके साइड इफ़ेक्ट ना हों तो उसका प्रयोग लाज़मी है। ज़ायरोपैथी आयुर्वेद की मूल औषधियों से बनी स्वास्थ्य प्रणाली में कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है। ज़ायरोपैथी के इलाज की ख़ास बात यह भी है कि इसके साथ किसी भी अन्य पद्धति की दवा का लक्षण कंट्रोल करने के लिये साथ-साथ प्रयोग किया जा सकता है।ज़ायरोपैथी कोरोना संक्रमित व्यक्ति को भी जल्दी संक्रमण रहित बना सकती है। इसके अलावा यह बच्चों और सीनियर सिटीजन्स की इम्यूनिटी भी मज़बूत करती है जिससे सिर्फ़ कोरोना ही नहीं बल्कि अन्य संक्रमण से भी सुरक्षा मिलती है।
मौजूदा संकट की घड़ी में जब अस्पतालों में एडमिशन मिलना कठिन हो गया है और सरकार सभी को घर में रहकर इलाज का सुझाव दे रही है। है।पता चला है कि कोरोना के आगम को देखते हुये कुछ समृद्ध लोग लाखों रुपये देकर सोर्स-सिफ़ारिश के ज़ोर से हॉस्पिटल में एडवांस में कमरे बुक कर रहे हैं, जिससे आवश्यकता पड़ने पर दाख़िला मिल सके।कोरोना पेशेन्ट को बचाने के लिये किसी भी प्रकार की दवा का कोई प्रोटोकॉल अस्पतालों में नहीं है, फिर भी लोग अस्पतालों की तरफ़ ही भाग रहे हैं।ऐसी स्थिति में ज़ायरोपैथी का इलाज ही सबसे अधिक सुरक्षित और कारगर सिद्ध होगा। आपको घर से ही फ़ोन पर अपनी समस्या बतानी है, सुझाये गये सप्लीमेंट मँगवाकर खाना है और निर्धारित समय में अपडेट देना है।ज़ायरोपैथी का इलाज बहुत ही सुरक्षित है और बिना घर से निकले संभव है। ज़ायरोपैथी में इम्यूनिटी बढ़ाकर कोरोना से सुरक्षा प्रदान करने का बहुत ही कारगर उपाय है।आज ज़ायरोपैथी की बहुत ही लिमिटेड कैपेसिटी है, अत: जिनको भी इसकी आवश्यकता है तत्काल सम्पर्क करें।
कामायनी नरेश
फाउन्डर ऑफ ज़ायरोपैथी
Ph: 1800-102-1357, 8800-8800-40
PM ne hi Corona par Ayurvedic trials band kara diye jo Indore me chal rahe they. Doosri taraf Chinese medicine me kuch saal pehle ek mahila ko Malaria ki dawa banane ke liye NOBEL prize bhi mil chuka hai. PM bhi inferiority complex se grasit hain.