विपुल रेगे। वोग मैगजीन को दिए इंटरव्यू में आलिया भट्ट ने बताया कि रणवीर उनके होंठों पर लिपस्टिक पसंद नहीं करते हैं। इसके बाद सोशल मीडिया की ट्रोल आर्मी ने आलिया को आदतन ट्रोल किया। ट्रोलिंग के बाद आलिया की माँ सोनी राजदान ने एक क्रिप्टिक पोस्ट डालकर ट्रोल आर्मी पर तंज कसा। अपना निजपन उंघाड़ना और आलोचना होने पर बिलबिलाना अब रोज़ की कहानी बन गई है। जिस ढंग से मैन स्ट्रीम मीडिया असली ख़बरों को छोड़ शाम की बहसों पर जीवित है, वैसे ही मीडिया का एंटरटेनमेंट सेक्शन येलो जर्नलिज़्म पर ज़िंदा है।
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ऊपर दी हुई हेडलाइंस हमारे माननीय चौथे स्तंभ के मनोरंजन सेक्शन द्वारा रचित है। ये शीर्षक तो कुछ भी नहीं है। हमारा मीडिया ऐसे-ऐसे शीर्षक परोसने लगा है, जो यहाँ लिखे नहीं जा सकते। इस गंदगी के बाज़ार में बॉलीवुड हस्तियां बराबर से ज़िम्मेदार हैं। बॉलीवुड की हस्तियां कभी ऐसे समाचारों को लेकर विरोध नहीं करती और न न्यायालय की शरण में जाती है। इन ख़बरों से उनके कॅरियर को ‘पुश’ मिलता है और वे चर्चा में बने रहते हैं।
करण जौहर की भौंडी फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के सफल होने के बाद आलिया भट्ट पुनः सुर्ख़ियों में हैं। उनके बयान इन दिनों बहुत चर्चित हो रहे हैं। हाल ही में आलिया ने वोग मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा था, रणबीर कपूर अक्सर उन्हें लिपस्टिक पोछने को कहते हैं क्योंकि उन्हें उनके होठों का नेचुरल रंग पसंद है। शायद आलिया को ऐसा लगता है कि पति-पत्नी की निजी बातें मीडिया को बतानी चाहिए, सो उन्होंने बताई है। इसके बाद उनकी माँ कायरता भरी ‘क्रिप्टिक पोस्ट’ डालकर आलोचना करने वालों पर हमला करती हैं और ऐसे जताती हैं, जैसे ये लोग सड़क किनारे खड़े छपरी हो।
जबकि इन लोगों द्वारा टिकट के लिए ख़रीदे पैसों से ही आलिया महंगी लिपस्टिक खरीद पाती हैं। जब आप अपना निजपन स्वयं उंघाड़ने लगे तो उस पर कमेंट करने वाले लोगों की आलोचना करना एक ईमानदारी वाला ‘मूव’ नहीं कहा जा सकता। आलिया की माँ ने अपनी गुप्त पोस्ट में लिखा ‘अब लोग तय करेंगे कि दूसरे लोगों की जिंदगी में क्या सही है क्या नहीं। फिर दूसरे लोग भी इसे मुद्दा बनाएंगे और जबरदस्ती घुसेंगे। जबकि इससे उनका कोई लेना देना भी नहीं है। इस फनी जमाने में जी रहे हैं हम लोग।’
मैडम लिख रही हैं ‘जबरदस्ती घुसेंगे।’ आलिया पर रिपोर्टर ने बंदूक तानकर ये बयान नहीं दिलवाया था। ये बयान आलिया ने बड़े आनंद में दिया था। मनोरंजन जगत में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी निजी ज़िंदगी के बारे में लोग कुछ नहीं जानते हैं। एक नई जोड़ी सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी तो कभी अपनी निजी ज़िंदगी को लेकर ऐसे बयान नहीं देते। कभी उनके ट्रोलर्स के बीच अदावत क्यों नहीं होती ? आलोचक जबरन आपके घर में तो नहीं घुस रहे, आप उन्हें घुसने का मौक़ा दे रहे हैं।
सही मायने में इन स्टार्स को मीडिया के खिलाफ अदालत में जाना चाहिए। मीडिया की अधनंगी ख़बरों ने ही तो इस स्टार्स की इमेज को जनता के सामने ‘क्या से क्या’ बनाकर रख दिया है। इन ख़बरों पर रोक के लिए कोई कानून नहीं। मीडिया ‘सेल्फ रेगुलेशन’ कैसा कर रहा है, ये तो नज़र आ ही रहा है। सभ्य भारतीय समाज के ड्राइंग रुम अब भी इस तरह की ख़बरों को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन मीडिया +बॉलीवुड +सरकार की नाकामी के कारण ये सांस्कृतिक प्रदूषण गहराता जा रहा है। इससे छुटकारे का कोई उपाय भी नहीं दिखाई देता। हम लोग आलिया भट्ट की लिपस्टिक पर निरर्थक चर्चा और खबरे पढ़ने के लिए विवश हैं।