सुरेश चिपलूनकर। आप सोच रहे होंगे कि मैंने हेडिंग में Massacre (हत्याकाण्ड) शब्द क्यों लिखा?? क्योंकि यही सच है… पुल के गिरते ही जिस तेजी के साथ भाजपा की आईटी सेल वाले गुजरात की भाजपा सरकार को बचाने, उसे क्लीनचिट देने, पुराने वीडियो फैलाने, पुल पर मौजूद जनता की संख्या को बढ़ाचढ़ा कर पेश करने और केजरीवाल तथा कांग्रेस पर आरोप एवं संदेह जताने लगे थे, उसके कारण यह हत्याकाण्ड और भी वीभत्स हो गया है…
सोशल मीडिया पर सफ़ेद झूठ, फर्जीवाड़े एवं राजनीति के चलते आम लोगों की आँखों में झोंके जाने के लिए जो गर्द-गुबार उठा दिया गया है, उसमें कई सवाल अनुत्तरित हैं, जिनका उत्तर शायद कभी नहीं मिलेगा….
१) बताया जा रहा है कि मोरबी का यह पुल 120 वर्ष से अधिक पुराना अंग्रेजों के जमाने का है… तो सवाल उठता है कि पिछले “बाईस वर्ष के गुजराती हिन्दू सुशासन” के फर्जी दावों में इस पुल के पास ही एक और नया पुल बनाने का पैसा नहीं मिला क्या??
२) तीन साल पुराना जो वीडियो आईटी सेल द्वारा फैलाया गया, उसमें साफतौर पर नदी में हरी-हरी जलकुम्भी जमी हुई दिखाई दे रही है, जबकि कल लाशों को निकाले जाने वाले वीडियो में पानी एकदम साफ़ है… तो सवाल है कि कुछ युवाओं द्वारा लोहे की केबल को लात मारने वाला पुराना वीडियो क्यों प्रसारित किया गया?? जो इंजीनियर केबल पुल का निर्माण करते हैं उनसे जाकर पूछ लीजिए कि क्या दस-बीस लड़कों के लात मारने अथवा हिलाने से केबल पुल कभी टूट सकता है?? वह आपके मुंह पर हंस देगा…
३) भाजपा के केन्द्रीय मंत्रियों के साथ फोटो खिंचाकर एवं सेटिंग जमाकर जिस ओरेवा कम्पनी ने पुराने पुल की मरम्मत का ठेका “कब्ज़ा” किया, उसने मरम्मत का काम पूरा होने से पहले ही आम जनता के लिए पुल क्यों खोला?? पुल पर जनता को जाने की अनुमति किसने जारी की?? कलेक्टर या नगरनिगम या कोई मंत्री??
४) जब पुल पर जाने के लिए 17 रूपए की टिकट लगी हुई थी, तो फिर उस अधूरे पुल पर जनता की संख्या निर्धारित क्यों नहीं हुई?? पुल पर अधिक लोग कैसे पहुँच गए?? प्रशासन क्या कर रहा था?? ओरेवा कम्पनी के कर्मचारी कहाँ थे??
ऐसे और भी कई सवाल मोरबी से लेकर लन्दन तक लोगों के मन में उठ रहे हैं, परन्तु जैसे ही गुजरात, भाजपा अथवा मोदीजी से सम्बंधित को भी नकारात्मक खबर या घटना सामने आती है, वैसे ही भाजपा की आईटी सेल के Paid Workers तत्काल धुल, गुबार, कीचड़, थूक, झूठ सब उछालने लगते हैं… जिसके चलते असली बात दब जाती है…
परन्तु आईटी सेल की समस्या यह हो गयी है कि “..अब्दुल तो टाईट हो रहा है ना..” तथा “गुजरात का सुशासन दुनिया में सबसे बेहतर” वाली बातें अब खोखली साबित होने लगी हैं… इसके अलावा विपक्ष भी अब सोशल मीडिया में कमजोर नहीं रह गया है, इसीलिए कल मोरबी दुर्घटना के एक घंटे के भीतर ही उस पुराने वीडियो की पोल भी खोल दी गयी तथा बंगाल में पुल गिरने के बाद मोदीजी के उस वितृष्णा एवं जुगुप्सा जगाने वाला भाषण भी वायरल हो गया…
अब देखना है कि 132 मौतें (इस संख्या में अभी बढ़ोतरी हो सकती है) के बाद मोरबी के कलेक्टर, नगरनिगम, सम्बंधित मंत्री, ओरेवा कम्पनी के मालिक इत्यादि पर क्या कार्रवाई होती है… अथवा कितनी लीपापोती होती है…