“इंदिरा गांधी के तल्ख तेवर और जवाबी हमलों से कनाडा इस बात से संतुष्ट हो चुका था कि भारत ने दोनों देशों के बीच किसी भी समझौते का उल्लंघन नहीं किया है। बावजूद इसके 18 मई, 1974 के पोखरण परीक्षण पर कनाडा
भारत और कनाडा दोनों राष्ट्रमंडल के सदस्य देश हैं। कनाडा को 1867 में स्वतंत्रता मिली थी, जबकि भारत 1947 में आजाद हुआ। 1947 से ही दोनों देशों के बीच एक विशेष किस्म की बॉन्डिंग और लगाव रहा है। दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में मिलकर भी काम किया है। उदाहरण के लिए, कोरिया युद्ध के बाद भारत ने तटस्थ राष्ट्र प्रत्यावर्तन आयोग की अध्यक्षता की थी, उस आयोग में कनाडा भी एक सदस्य था। वैश्विक मामलों में भारत ने तुलनात्मक रूप से प्रमुख भूमिका निभाई, जबकि कनाडा की भूमिका भारत के समर्थक के रूप में रही है।
हालांकि, भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव भी उसी दौर से शुरू हुआ, जब 1948 में कनाडा ने कश्मीर में जनमत संग्रह को अपना समर्थन दिया था। 1951 तक आते-आते भारत के संबंध कनाडा से बेहतर हो गए। कनाडा ने अनाज, फाइनेंस और तकनीकी के क्षेत्र में मदद की। संबंधों में उतार-चढ़ाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री ज्यां चेरेतिन 1966 में भारत आए तो दोनों देशों के संबंधों में फिर से गर्माटह आ गई। वह उस वक्त प्रधानमंत्री लिस्टर पियर्सन के संसदीय सचिव थे।
सीनियर ट्रूडो संग रिश्ते हुए कमजोर
उनके बाद जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो जब 1968 से 79 तक प्रधानमंत्री रहे तो एक बार फिर भारत संग कनाडा के रिश्ते खराब हो गए। भारत ने जब मई 1974 में पहला परमाणु परीक्षण (पोखरण-I) किया तो कनाडाई प्रधानमंत्री सीनियर ट्रूडो ने अमेरिका की ही तरह उस पर घोर आपत्ति जताई। दरअसल, परमाणु उपकरण में इस्तेमाल किए गए प्लूटोनियम का उत्पादन कनाडाई सहायता प्राप्त परमाणु रिएक्टर-CIRUS ने किया था। इससे पहले, भारतीय अधिकारियों ने कनाडा को बार-बार आश्वासन दिया था कि सरकार का इरादा परमाणु उपकरण में विस्फोट करने का नहीं है।
पियरे ट्रूडो का कड़ा खत
पोखरण विस्फोट के बाद कनाडाई प्रधान मंत्री ट्रूडो ने भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी परमाणु परीक्षण की स्थिति में कनाडा सभी परमाणु सहयोग के साथ-साथ सभी आर्थिक सहायता बंद कर रहा है। अमेरिकी जर्नल स्ट्रैटेजिक एनालिसिस के मुताबिक, अमेरिकी दवाब में उस वक्त कनाडा ने भारत से इस बात की जानकारी मांगी कि राजस्थान में किन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया और कनाडा ने जो उपकरण और सामग्री भारत को उपलब्ध कराई थी, उसका इस्तेमाल कहां किया गया?
इंदिरा का मुंहतोड़ जवाब
तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए पियरे ट्रूडो को यह कहते हुए कनाडाई मांग और व्याख्या को खारिज कर दिया कि हमारी दोनों सरकारों द्वारा किए गए दायित्व परस्पर हैं और उनमें एकतरफा बदलाव नहीं किया जा सकता। इन परिस्थितियों में, हमारे विचार में किसी काल्पनिक आकस्मिक घटना के विकास के आधार पर इन समझौतों की किसी विशेष तरीके से व्याख्या करना आवश्यक नहीं होना चाहिए।
इंदिरा गांधी के तल्ख तेवर और जवाबी हमलों से कनाडा इस बात से संतुष्ट हो चुका था कि भारत ने दोनों देशों के बीच किसी भी समझौते का उल्लंघन नहीं किया है। बावजूद इसके 18 मई, 1974 के भारतीय परमाणु परीक्षण पर कनाडा ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। कनाडा के विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय परीक्षण ने सभी परमाणु परीक्षणों और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को कई साल पीछे धकेल दिया है। भारत ने कनाडा के इस अप्रोच को भी स्वीकार नहीं किया।
कनाडा समेत पूरी दुनिया रह गई थी सन्न
इससे बौखलाए, ट्रूडो ने अपनी धमकी को अंजाम देना शुरू कर दिया। कनाडा ने भारत के साथ सभी परमाणु सहयोग बंद कर दिए। 1970 के दशक के अंत तक, भारतीय परमाणु ऊर्जा विकास पर एक तरह से ब्रेक लग गया। इसके बाद भारत ने परमाणु ऊर्जा विकास में आत्मनिर्भरता की नीति अपनाई और 24 साल बाद दूसरा पोखरण विस्फोट किया तो फिर से दुनिया सन्न रह गई थी।
ताजा विवाद में भी इंदिरा गांधी
भारत और कनाडा के बीच उपजा नया विवाद उस घटना से जुड़ा है, जिसमें खालिस्तान समर्थकों ने 6 जून को ब्रैंपटन शहर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी मनाई और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक खून से सना पुतला रखकर जश्न मनाया। पुतले पर दो सिखों ने बंदूकें तान रखी थीं। पोस्टर पर लिखा था, ‘दरबार साहिब पर हमले का बदला’। अलगवाववादियों ने उस दिन पांच किलोमीटर लंबा रोड शो निकाला, जिसमें गाड़ियों पर इंदिरा गांधी की हत्या के दृश्य दिखाए गए थे। भारत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया था। \nभारत में कनाडा के उच्चायुक्त ने भी इसे नफरत और हिंसा का महिमामंडन बताते हुए इसकी आलोचना की थी। इसके बाद 18 जून को इनामी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की सरे के गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा ने इस हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाए हैं।