विपुल रेगे। एल्विश यादव नाम का शख़्स आखिर क्या है ? क्या ये आदमी कानून-व्यवस्था से ऊपर है ? एक युट्यूबर को देश की पुलिस गिरफ्तार करने से क्यों डर रही है ? पहले इस गुंडई प्रवृत्ति के आदमी का नाम रेव पार्टियों में सांप का ज़हर सप्लाई करने में आया था लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। अब इस गुंडे ने एक अन्य युट्यूबर सागर ठाकुर को इसलिए पीट दिया क्योंकि उन्होंने इस कथित सनातनी आदमी को याद दिलाया कि एक क्रिकेट मैच में ये मुन्नवर फारुकी जैसे विवादित कलाकार के साथ गलबहियां कर रहा था। आज के दौर में कोई भी ऐरा-गैरा सनातन का कवच धारण कर लेता है और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाता है। फिर उसे पुलिस भी छूने से डरती है।
दस साल पहले सनातन का सहारा लेकर राजनीतिक पार्टी सत्ता पर काबिज हो जाती है। इसके बाद देश में सनातन का ‘क्रेज़’ बढ़ने लगता है। इस क्रेज़ को भुनाने के लिए बड़े-बड़े नेता अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में प्रवेश कर जाते हैं। लेखक, युट्यूबर्स, वक्ता, इन्फ्लुएंसर्स सनातन की ओर दौड़ पड़ते हैं। फिर एल्विश यादव जैसे युवा सनातन का फायदा लेने में कैसे पीछे रह जाते। इस दौर में यदि आपका यूट्यूब पर अच्छा-खासा नाम हो और इसके साथ भारतीय जनता पार्टी में आपके तगड़े संपर्क हो तो सफलता मिलने की पूरी गारंटी होती है। बस आपको भाजपा के नेताओं के मंचों पर माहौल बनाना है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री से मंच पर पुरस्कृत होना है और आपकी पगड़ी सियासी ताकत से पूरी तरह भर जाएगी। इसके बाद आप रेव पार्टियों में युवाओं को नशे के लिए सांप का ज़हर उपलब्ध करा सकते हैं और आसानी से बचकर भी निकल सकते हैं। सांप के ज़हर वाले प्रकरण से ये समझ आता है कि एल्विश यादव का खौफ किस कदर पुलिस और जाँच अधिकारियों में बैठा हुआ है। पिछली 16 फरवरी को रेव पार्टी वाले मामले में एक बड़ा मोड़ आता है। नोएडा पुलिस संपेरों के कब्ज़े से बरामद ज़हर को एफएसएल लैब में जाँच के लिए भेजती है। तब तक मीडिया चैनल्स और विशेषज्ञ एल्विश को इनोसेंट सिद्ध कर चुके थे। जाँच में सांप का ज़हर होने की पुष्टि हो जाती है। इसमें कोबरा और करैत प्रजाति के साँपों का ज़हर मिलता है।
मेनका गाँधी की संस्था पीपल्स फॉर एनिमल के अधिकारी द्वारा शिकायत में कहा गया था कि एल्विश यादव ज़िंदा सांपों के साथ वीडियो शूट कराता है। गैर क़ानूनी रुप से इन पार्टियों में सांप के ज़हर का इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि जब रिपोर्ट आई तो किसी चैनल पर हमें शाम की बहस देखने को नहीं मिली। एल्विश पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है लेकिन वह तो स्टार्स के साथ क्रिकेट मैच खेल रहा है। मुन्नवर फारुकी जैसे विवादित आदमी के साथ गलबहियां बढ़ाता है। इस प्रकरण में एल्विश का खौफ चहुँ ओर दिखाई देता है। मामले में याचिकाकर्ता सौरभ गुप्ता को स्वयं पर जानलेवा हमले का डर है। सौरभ ने गुरुग्राम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज कुमार राणा को चिट्ठी लिख कर कहा कि उनके ऊपर जानलेवा हमला हो सकता है।
सौरभ ने कहा है कि सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें लगातार धमकी दी जा रही है कि मामले की सुनवाई के दौरान सिद्धू मूसेवाला व नफेसिंह जैसा हमला किया जा सकता है। एल्विश ने एक क्रिकेट मैच में हिस्सा लिया और मुन्नवर फारुकी से बात की तो कानूनन उसमे कुछ भी गलत नहीं कहा जा सकता। इस बात पर आपत्ति लेने वाले सागर ठाकुर का ये मौलिक अधिकार था कि सनातनी बनकर घूम रहे एल्विश की इस बात पर आपत्ति लेता। लिहाजा सागर को इस बात पर बुरी तरह पीटना न तो कानून सम्मत है और न सेलेब्रेटी होने की गरिमा के अनुरुप है। इस मामले में सेक्टर 53 के थाना में केस दर्ज कर लिया गया है।
हालांकि थाना प्रभारी से पूछना चाहिए कि केस दर्ज तो कर लिया लेकिन कार्रवाई कब हुई ? कहाँ हुई ? एक गुंडई प्रवृत्ति के युवा स्टार की सत्तारुढ़ दल से ऐसी गजब की आत्मीयता है कि रेव पार्टी से जुड़े ड्रग्स के गंभीर मामले में अब तक कुछ नहीं हुआ। सांप के ज़हर की पुष्टि हो गई लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। ये है देश में कानून और व्यवस्था का हाल। विगत दस वर्ष से सत्ता बदल गई लेकिन इन कथित सेलेब्रेटीज की अकड़ में पावभर भी कमी नहीं आई है।