ये किस किस्म का डेमेज कंट्रोल है, देश की समझ के बाहर है। कल दोपहर से एक समाचार तेज़ी से वायरल हुआ कि लखनऊ से तांडव वेब सीरीज के निर्माता-निर्देशक और अमेजन के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और लखनऊ से पुलिस अधिकारियों की टीम मुंबई के लिए रवाना हो गई है। हालांकि ऐसा लग रहा है कि उत्तरप्रदेश पुलिस की जीप के चक्के फिल्म निर्देशक अली अब्बास ज़फर की माफ़ी के बाद थम गए।
बारह घंटे बाद मुंबई शहर से कोई अपडेट नहीं आ रहा है। भगवान शिव के अपमान, जाति के नाम पर वैमनस्य उत्पन्न करने वाले दृश्य दिखाना, प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराने जैसे अक्षम्य काण्ड को लेकर देश आश्वस्त था कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस फिल्म के निर्माता-निर्देशक को घसीट कर लखनऊ लाएगी।
माननीय योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा ‘UP पुलिस मुंबई निकल चुकी है,वो भी गाड़ी से,FIR में मजबूत धाराएं लगी हैं,तैयार रहना,धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी। श्री @OfficeofUTजी,उम्मीद है आप इनके बचाव में ना आएंगे। और अब लगता है एक औपचारिक माफ़ी के बाद उद्धव ठाकरे जी को अली अब्बास ज़फ़र और अन्य लोगों को बचाने के लिए कोई बचकाना बयान नहीं देना पड़ेगा।
ऊपर मैंने डेमेज कंट्रोल की बात की। ‘तांडव’ को लेकर डेमेज कंट्रोल दो दिन पूर्व ही शुरु कर दिया गया था, जब मीडिया में ख़बरें आई कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म निर्देशक और निर्माता से जवाब मांगा है। देश की जनता को अब समझना शुरु कर देना चाहिए कि ‘डेमेज कंट्रोल’ किस चिड़िया का नाम है। स्पष्टीकरण मांगना, एफआईआर दर्ज करवाना और फिर निर्माता-निर्देशक द्वारा माफ़ी मांग लेना, इसे ही डेमेज कंट्रोल कहा जाता है।
इस प्रक्रिया में आरोपी का बाल भी बांका नहीं होता और भोली, बेचारी जनता मान भी लेती है। अब इसी प्रकरण में देखिये। अली अब्बास ज़फर को अच्छी तरह मालूम था कि उसकी फिल्म के ये दृश्य विवाद का कारण बनेंगे, उसके बावजूद उसने ये फिल्म प्रदर्शित की। उसे मालूम था कि लचर सूचना व प्रसारण मंत्रालय उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। क्या आप अनिल कपूर और अनुराग कश्यप की फिल्म ‘एके वर्सेज एके’ भूल गए?
उसमे वायुसेना का अपमान करने के बाद अनिल कपूर ने माफ़ी मांग ली। उस माफ़ी से क्या हुआ। न फिल्म के दृश्य हटाए गए और न मंत्रालय की ओर से किसी तरह की कार्रवाई की गई। अली अब्बास ज़फर की माफ़ी से क्या हो जाएगा। क्या फिल्म अमेजन से हटा ली जाएगी। मायावती जी कहती हैं ‘आपत्तिजनक दृश्य काट लिए जाए।’
मायावती जी को पता ही नहीं है कि वेब सीरीज प्रदर्शित होने के बाद उसके अवैध प्रिंट देश में कुकुरमुत्तों की तरह फैली वीडियो लाइब्रेरी में फ़ैल जाते हैं। अमेजन ओटीटी से ये फिल्म हटा दे तो भी मूल रुप से फिल्म नहीं हटने वाली, क्योंकि उसकी लाखों कॉपी बन चुकी है। फिल्म के निर्देशक ने माफ़ी इसलिए मांगी है कि वे गिरफ्तार न हो जाए। वे अपनी गलती नहीं मान रहे हैं। इस मामले में मीडिया की मूर्खता लाजवाब कही जानी चाहिए।
जैसे ज़ी न्यूज़ लिख रहा है ‘ OTT पर आपत्तिजनक कंटेंट और तांडव वेब सीरीज को लेकर मंत्रालय बड़ा फैसला भी ले सकता है। इस समय ज़ी न्यूज़ को प्रकाश जावड़ेकर को सामने बैठा कर पूछना चाहिए कि आप अभी बड़ा फैसला ले रहे हैं तो राष्ट्रपति ने आपको कानून बनाने का अधिकार दिया था, वह क्या था? देश का दुर्भाग्य है कि एक भी टीवी चैनल या अख़बार मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को घेरे में नहीं ले रहा।
जो मंत्री इस समस्या की जड़ है, उससे कोई सवाल नहीं किया जा रहा। फिल्म निर्देशक की माफ़ी के बाद क्या राम कदम में आज फिर गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क पर आने का साहस है? आज अली अब्बास माफ़ी मांगकर देश को मूर्ख बना रहा है। कल को कोई और निर्देशक इसी तरह माफ़ी मांगकर छूट जाएगा।
केंद्र सरकार के कुछ तत्वों ने मनोरंजन उद्योग को ये भरोसा दिला दिया है कि वे हिन्दू धर्म के विरुद्ध कुछ भी बना ले, उनका कोई कुछ नहीं कर पाएगा। यदि योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री कोई एक्शन लेने की कोशिश करते हैं तो प्रकाश जावड़ेकर का ‘डेमेज कंट्रोल है ना।’ इस सारे घटनाक्रम में देश की जनता ‘कार्रवाई’ को खोजती रह गई, जो कहीं न मिली