डॉ विनीता अवस्थी। “रियाज किताबें लेकर प्रोफेसर व कार के पीछे चल रहा था “जल्दी चले प्रोफेसर मामू आपकी यह धूल भरी किताबें मुझे फिर एलर्जी दे देंगी” उसने कहा। प्रोफेसर वकार ने एक लैब नुमा कमरे में जाकर किताबे रखने को बोला। फिर वह खुद अपने कमरे में ऊपर की मंजिल पर चले गए।
रियाज जानता था कि वो दो-तीन घंटे तक नीचे नहीं उतरेंगे और वह कमरे में ही अपना खाना खाएंगे। वह उसी लैब में चला गया अलमारी पर उसकी नजर पड़ी वह बंद थी लेकिन शीशों के दरवाजे से उनको देखा जा सकता था उसकी नजर एक किताब पर जाकर टिक गई जो बहुत ही संभाल कर एक विशेष बॉक्स नुमा पैकेट में में बंद थी। जिस बात ने उसका ध्यान खींचा वह थी उसके ऊपर के निशान स्वास्तिक और ओम जैसे शब्द भी बने थे। उसने बड़ी सावधानी से उस अलमारी के ताले की चाबी निकाली और एक वैक्स की स्लैब पर उसका निशान ले लिया।
इतने में दरवाजे की कॉल बेल बजी वह फौरन मुड़कर तेजी से अपने कमरे में चला गया। अपने कमरे से प्रोफेसर की किसी लड़की से बातचीत करने की आवाज सुनाई दे रही थी थोड़ी देर में घर का नौकर उसे बुलाने आया” प्रोफेसर साहब आपको ड्राइंग रूम में बुला रहे हैं“। रियाज ने नींद में होने का बहाना किया और बोला ” आता हूं”। ड्राइंग रूम में प्रोफेसर साहब के साथ एक लड़की भी बुर्के में बैठी थी। प्रोफेसर साहब ने उसे बोला यह समायरा है इन्हें मैं कुछ किताबें देखनी है घर में स्टडी रूम में ले जाओ यह मेरी न्यू स्टूडेंट है और शोध पर काम कर रही हैं।
जी” रियाल बोला ।” चलिए मैडम” एक नए व्यवधान से आने के कारण वह चिंतित था अब है स्टडी रूम में वह अकेला नहीं होगा उसे महत्वपूर्ण दस्तावेज ढूंढने के लिए दूसरा टाइम लेना पड़ेगा। प्रोफेसर फिर अपने कमरे में चले गए रियाज उस लड़की को लेकर स्टडी रूम में ले गया। उसने बिना उसकी तरफ देखें किताबों के बारे में बताना शुरू कर दिया कि कौन सी किताब कहां रखी है
“पहले बातें तो कर ले” उस लड़की ने बोला। आवाज सुनकर रियाज बुरी तरह चौक गया।
चित्रा तुम? तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था। यह बोलते हुए रियास यानी मेजर अर्जुन ने कमरे का दरवाजा आसपास देखते हुए बंद कर दिया।” क्या मतलब”? चित्र यानी चित्रांगदा ने पूछा।
“मैं भी मिशन पर हूं” तुम्हारी मदद करने भेजी गई हूं।
उस किताब में पुराने नक्शे हैं।”। 15 दिन के अंदर वापस चलना है किसी भी तरह करके वो किताब ढूंढनी पड़ेगी” चित्रा बोली।
और इसी बहाने अपने मंगेतर पर भी नजर रख लूंगी चित्रा के चेहरे पर एक मुस्कान बिखर गई।
मिस्टर अर्जुन के चेहरे पर तनाव की रेखाएं कम हुई और उन्होंने सर जा सकते हुए बोला वह जो अलमारी दिख रही है शीशे की उसमें खास किताब है जिसे एक खास बॉक्स में बंद करके रखा है उसके पेपर भी कुछ अलग तरीके के हैं इसीलिए खास अलमारी में है।
“हूँम” चित्रा ने कुछ सोचते हुए बोला।
मैं बाहर जाता हूं तुम ध्यान दो। इसके बाद रियाल लंबे-लंबे डग भरते प्रोफेसर के कमरे की तरफ चल पड़ा। इस नक्शे के सहारे उसे अरब देशों में जाने का मौका मिलता जहां से अफगानिस्तान मैं दुनिया भर के पुरातत्ववेत़ा इकट्ठे हो रहे थे।
अगले दिन नाश्ते की टेबल पर प्रोफेसर , रियाज और समायरा यानी चित्रांगदा तीनों अफगानिस्तान में होने वाले बड़े समारोह के बारे में बातें कर रहे थे प्रोफेसर साहब उसका निमंत्रण पत्र दिखाकर बहुत ही खुशी से बता रहे थे दुनिया भर के पुरातत्व वेता अफगानिस्तान में खड़े हो रहे हैं वहां से कुछ खास स्थान के बारे में निर्णय लेने के बाद अपने-अपने टीम नाथ श्रीलंका और कुछ मध्य एशिया के देश और कुछ पाकिस्तान और भारत के बॉर्डर पर अन्वेषण के लिए जाएंगे। प्रोफेसर साहब ने पूछा लिया क्या तुम मेरे असिस्टेंट बन कर चलना पसंद करोगे।
रियाद में नाश्ता करते हुए बोला यहां पुरानी लाइब्रेरी की धूल भरी किताबों से तो अच्छा है आपके साथ चल पड़े। कम से कम कुछ दूसरे देश तो जाएंगे और अलग अलग तरह का खाना भी मिलेगा इसी के साथ तीनों हंस पड़े। प्रोफेसर साहब ने दिया से कहा यह चाबी ले लो और मेरी खास अलमारी से वह किताब निकाल कर लाओ उस पर देखो लिखा होगा “आनंद कर” संभाल के लाना कम से कम 500 साल पुरानी किताब है समायरा ने बीच में बोला “क्या यह संस्कृति या खरोष्ठी लिपि में है ”??
प्रोफेसर साहब ने उत्साह से बोला हां यह दोनों लिपियों में है खरोष्ठी जानने ने वाले बहुत कम लोग मिलते हैं। रियाज तेज कदमों से चलते हुए उस अलमारी के समीप पहुंचा और चाबी का निशान एक साबुन पर लेते हुए उसने उसे अपने कुछ ही क्षणों में उसके हाथ में बहुत प्राचीनतम कृति थी जिसके ऊपर लिखा हुआ था “आनंद कर”।
क्रमशः