राफेल डील को लेकर मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए झूठा प्रचार करने में जुटी कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। राफेल डील के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने की मांग ठुकरा दी गई। इस मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने एजी (अटॉर्नी जनरल) के के वेणुगोपाल से सिर्फ निर्णय लेने की प्रक्रिया का विवरण देने को कहा है। इसके साथ ही मुख्य न्यायधीश वाली पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को किसी प्रकार के नोटिस जारी करने से मना कर दिया है। एससी का यह निर्णय कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
कांग्रेस झटका। सुप्रिम कोर्ट ने #RafaleDeal मामले में केंद्र को नोटिस जारी करने से किया इंकार। कहा सिर्फ निर्यण लेने की प्रकिया को अदालत के सामने पेश किया जाय। किंमत या टेकनिकल जानकारी देने की जरुरत नहीं। https://t.co/DMt5xwc1cK
— Jatan Acharya (@jatanacharya) October 10, 2018
मुख्य बिंदु
एजी केके वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई के सामने याचिकाकर्ता की खोली पोल
राष्ट्रीय सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय डील होने की वजह से यह मामला जनहित याचिका के दायरे में ही नहीं आता है
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कॉल तथा जस्टिस के एफ जोसेफ वाली एक बेंच ने बुधवार को ऱाफेल डील मामले की सुनवाई के दौरान मौजूद एजी केके वेणुगोपाल से राफेल डील के निर्णय लेने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण देने को कहा है।
इससे पहले सुनावाई के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए एजी वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चूंकि यह पेटिशन राजनीति से प्रेरित है इसलिए इसका संज्ञान न लिया जाए। उन्होंने कहा कि वैसे भी राफेल डील मामले में लोकसभा में जो 40 प्रश्न पूछे गए, और जिसका उत्तर पहले ही सरकार दे चुकी है उसी प्रश्नों को संशोधित कर लघु रूप में सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया गया है। इसलिए इसे संज्ञान में लेना बिल्कुल उचित नहीं होगा।
एजी ने अपनी दलील देते हुए कहा कि राफेल डील का मामला दो देशों के बीच का मामला है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। यह कोई आम या गरीब लोगों से जुड़ा मामला है ही नहीं जिसपर जनहित याचिका दायर की जा सके। इस हिसाब से देखा जाए तो यह जनहित याचिका के खांके में ही फिट नहीं बैठता। उन्होंने कहा कि इस मामले में नोटिस जारी करने का मतलब होगा प्रधानमंत्री कोटिस जारी करना।
एजी की दलील सुनने के बाद बेंच ने पूछा कि अगर आपसे सिर्फ राफेल डील के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया को एक बंद लिफाफे में देने के बारे में कहूं तो आप की क्या प्रतिक्रिया होगी? सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होने के कारण इस मामले का विस्तृत विवरण हमें भी उपलब्ध नही कराया गया है।
गौरतलब है कि जब से कांग्रेस और राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर झूठ फैलाना शुरू किया है तभी वकील एमएल शर्मा तथा विनीत ढांडा ने इस डील को बाधित करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। उनकी मंशा इस मामले में जनहित याचिका दायर कर राजनीतिक लाभ हांसिल करने की है।
URL: Supreme Court refused to issue notice to Modi Government in rafale deal
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