प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के बेंगलुरू दफ्तर पर छापेमारी क्या की उसे देश में उठे सीबीआई विवाद की याद आ गई। और जब तक देश के कानून का उल्लंघन कर अपनी मनमर्जी से मोदी सरकार के खिलाफ साजिश रचने वाले एनजीओ को फंड देते रहे तब कुछ नहीं याद आया। एमनेस्टी इंटरनेशनल के काले कारनामों के बारे में देश की सुरक्षा एजेंसिया काफी दिनों से चेतावनी देती रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने ही बताया था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल देश में अपनी गतिविधियों के विस्तार करने के लिए विदेशी योगदान विनिमयन अधिनियम का उल्लंघन कर विदेशी निवेश के माध्यम से अपनी इकाइयों को काफी फंड भेजता रहा है। तभी तो ईडी ने छापेमारी कर उनकी करतूतों का खुलासा किया है।
मुख्य बिंदु
* एमनेस्टी इंडिया ने मोदी सरकार पर लगाया सामाजिक संगठनों को डराने का आरोप
* विवा किरमानी जेसी विदेशी सामाजिक कार्यकर्ता ने इंडिया एमनेस्टी को दिया करारा जवाब
* एमनेस्टी इंटरनेशनल एफसीआरए का उल्लंघन कर विदेशी निवेश के माध्यम से देश में भेजता रहा है फंड
गौरतलब है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के बेंगलुरू स्थित दफ्तर पर पर ईडी ने छापेमारी की है। इसके विरोध में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंन कहा है कि मोदी सरकार सामाजिक क्षेत्र के लिए काम करने वालों को डरा रही है। उसका कहना है कि मोदी सरकार इससे पहले भी सिविल सोसाइटी को डराने का काम किया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार पर आरोप लगाया है कि जिस प्रकार एमनेस्टी इंडिया पर ईडी ने छापेमारी की है इससे यही लगता है कि सरकार से सवाल करने वाले संगठनों को जानबूझकर परेशान करने के लिए टारगेट किया जा रहा है। इससे यह साफ होता है कि सरकार समाज के बीच कार्य करने वाले संगठनों को डराना चाहती है।
धर्मान्तरण में लिप्त Amnesty International पर मोदी सरकार की कार्रवाई!देखिये विडियो
एमनेस्टी इंटरनेशनल के इन आरोपों का करारा जवाब कोई और नहीं बल्कि भारतीय समाज के बीच में ही रहकर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता विवा करमानी ने करारा जवाव दिया है। एमनेस्टी इंडिया के ट्वीट का जवाब विवा ने भी ट्वीट से ही दिया है। विवा करमानी भारत में लोगों को धर्म और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में जुटी हैं। उन्होंने कहा कि नही एमनेस्टी इंडिया यह बिल्कुल सही नहीं है। उन्होंने कहा यदि एफसीआरए के नियम कानून मानेंगे तो आपके साथ ऐसा नहीं होगा। क्योंकि मैं स्वयं एफसीआरए से जुड़ी हुई हूं और मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ जबकि मैं जीएम क्रॉप्स को लेकर भारत सरकार के कदम से बिल्कुल असहमत हूं।
Not true – if you follow rules and regulations of FCRA this will not happen. I am associated with a registered FCRA and we ensure 100% compliance to all GOI rules – we disagree with the GOI position on GM crops but have never been silenced https://t.co/HN2gwHAECP
— viva kermani (@vivakermani) October 26, 2018
उसने अपने चार ईकाइयों के माध्यम से 36 करोड़ रुपये का फंड प्राप्त किए। एफसीआरए से बचने के लिए जिस प्रकार सबरंग ट्रस्ट ने परामर्श सेवा के रूप में फोर्ड फाउंडेशन से पैसे लिए उसी प्रकार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी पैसे लिए। फेमा का उल्लंघन कर यूके बेस्ड एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा अपनी भारतीय इकाइयों को वाणिज्य रास्ते से पैसे भेजने को लेकर ईडी की नजर पहले से कड़ी थी। ईडी ने कहा है कि वह इस मामले की जांच कुछ महीनों से कर रही थी। अपनी जांच के आधार पर उसने छापेमारी की है। ईडी ने फंडिंग को लेकर ही एमनेस्टी इंटरनेशनल बेंगलुरू दफ्तर पर छापेमारी की है। भारत विरोधी कार्यक्रम आयोजित करने के मामले में साल 2016 में एमनेस्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। यह वही एमनेस्टी इंटरनेशनल है जो मार्च महीने में कोरेगांव विवाद के समय ब्राह्मणों के खिलाफ हिंसा करने के लिए एमनेस्टी से जुड़े एक्टिविस्टों का आह्वान किया था।
ED conducts raids on Amnesty International's Bengaluru office in connection with investigation into funding.
Earlier:
1) In March 2018: Activist’ associated with Amnesty calls for violence against Brahmins.
2) In 2016: FIR registered against Amnesty over Anti India event.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) October 25, 2018
अब जब मोदी सरकार की स्वायत्त एजेंसियों ने कार्रवाई करनी शुरू की है तो इन संस्थाओं ने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया है। ईडी की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मोदी सरकार पर सामाजिक कार्य करने वालों को डराने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। यह आरोप उसने सीबीआई विवाद को देखकर लगाया है।
देश में कानून उल्लंघन से लेकर घृणा आंदोलन का समर्थन करता एमनेस्टी इंटरनेशनल
एमनेस्टी इंटरनेशल भले ही यूके का संगठन है लेकिन वह भारत में एमनेस्टी इंडिया के नाम से कई ईकाइयों को चला रहा है। यह संस्था देश में सामाजिक कार्य के नाम पर राजनीतिक हित साधती है। जो सरकार इसकी नीतियों के अनुरूप काम करती है उसे जन समर्थन जुटाने से लेकर अर्थ समर्थन तक देती है। इस संस्था का उद्देश्य भारतीय समृद्ध संस्कृति को खत्म कर क्रिश्चियनिटी और इसलामिकता को बढ़ावा देना है। तभी तो जब भीमा कोरेगांव हिंसा हुई तो उसने ब्राह्मणों के खिलाफ हिंसा करने का समर्थन किया था।
इतना ही नहीं यह उसी सामजिक संगठन को फंडिंग करती है जो उसके उद्देश्य के अनुरूप काम करे। इसलिए एमनेस्टी इंडिया के फंड से चलने वाले अधिकांश एनजीओ का झुकाव या तो क्रिश्चियनिटी या फिर इसलाम की ओर होता है। यह किसी प्रकार आदिवासियों को हिंदू से अलग कर अलग पहचाने देने के षड्यंत्र में जुटा है ताकि हिंदू को कमजोर किया जा सके। इतना ही नहीं वह देश के कानून के प्रति भी प्रतिबद्ध नहीं होती।
20 हजार एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस भी किया रद्द
मोदी सरकार के आने से पहले देश में कुकुरमुत्ते की तरह कोने-कोने में एनजीओ का मकड़जाल फैला हुआ था। एजीओ को लोगों ने धंधा बना लिया था। वैसे तो धंधा अभी भी बना हुआ है। लेकिन जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से लेकर अभी तक करीब एक लाख से भी अधिक एनजीओ का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। ये एनजीओ महज नाम के ही एनजीओ थे। ये बगैर किसी काम के फंड उगाई करने में लगे थे। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने विदेशी फंड लेने वाले एनजीओ पर भी शिकंजा कसा है। मोदी सरकार ने 33 हजार में से 20 हजार एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। एफसीआरए लाइसेंस उन्हीं एनजीओ के रद्द किए गए हैं जिन्हें कानून उल्लंघन करने का दोषी पाया गया।
URL: Enforcement Directorate raided Amnesty International’s Bangalore office
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