बगैर जानकारी के कुछ बोलेंगे तो राहुल गांधी की तरह ही मुंह से झूठ ही निकलेगा। वैसे राहुल गांधी ने तो झूठ बोलने की कसम खा रखी है। उन्होंने झूठ बोलते-बोलते अपनी ऐसी छवि बना ली है कि कभी सच भी बोलेंगे तो लोगों को विश्वास नहीं होगा और वे फैक्ट चेक करने में लग जाएंगे जैसे अभी उनके झूठ का फैक्ट चेक हो रहा है। राफेल डील पर राहुल गांधी झूठ बोलने के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का मन बचा चुके हैं। इसी संदर्भ में एक और झूठ सामने आया है। उन्होंने कहा है कि राफेल डील के तहत डसॉल्ट एविएशन से अनिल अंबानी के रिलायंस डिफेंस को 30 हजार करोड़ रुपये का ऑफसेट ठेका मिला है जबकि डसॉल्ट ऑन एयर के सीईओ ट्रैपियर ने कहा है कि रिलांयस को 850 करोड़ रुपये का ऑफसेट ठेका दिया गया है। ट्रैपियर ने राहुल गांधी के झूठ का ही पर्दाफाश नहीं किया है बल्कि राफेल डील में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल खड़े करने वालों के मुंह पर भी खींच कर तमाचा मारा है। उन्होंने कहा है कि यह डील काफी साफ और पारदर्शी तरीके से हुई है, उनकी कंपनी किसी भी प्रकार की जांच के लिए तैयार है।
Where @Dassault_OnAir CEO Trappier tells me there aren't Rs 30,000 crore offsets to Reliance ( it is Rs 850 crore), the #Rafale deal is clean, company is open to any investigations. https://t.co/C3WOFJ7GLK via @economictimes
— Manu Pubby (@manupubby) October 25, 2018
मुख्य बिंदु
* डसॉल्ट एविएशन के सीईओ ट्रैपियर ने इकोनॉमिक टाइम्स के मनू एबी को दिए अपने साक्षात्कार में खोली राहुल के झूठ की पोल
* रिलायंस डिफेंस का चुनाव बगैर किसी दबाव के तथा पिछले छह साल से उसके साथ रहे संबंध के आधार पर किया गया
* डसॉल्ट एविएशन का रिलायंस डिफेंस महज अकेला साझीदार नहीं बल्कि 30 कंपनियों के साथ हुए समझौतों में से एक है
डसॉल्ट ऑन एयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ट्रैपियर ने राफेल डील को लेकर इकोनॉन्क टाइम्स के मनू पबी को दिए अपने साक्षात्कार में साफ-साफ कहा है कि जब ऑफसेट ठेका के लिए अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को चुना गया उस समय उनके ऊपर किसी भी सरकार का कोई दबाव नहीं था। उन्होंने कहा कि अनिल अंबानी की कंपनी उनके 30 पार्टनरों में से एक है। कहने का मतलब साफ है कि डसॉल्ट एविएशन के साथ
राफेल डील को लेकर ऑफसेट ठेका के तहत 30 कंपनियां साझीदार हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अनिल अंबानी की कंपनी को इसलिए चुना गया क्योंकि नागपुर के पास उनकी जमीन है।
#Network18Exclusive #BREAKING | We weren’t forced by Govt to pick Anil Ambani’s firm. We picked Reliance because it had land near Nagpur. And, Reliance was one among the 30 partners: Dassault CEO Eric Trappier | #EricTrappierOnNetwork18 #RafalePolitics pic.twitter.com/ysea8E9zcw
— News18 (@CNNnews18) October 25, 2018
डसॉल्ट के सीईओ ने यह भी कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि रिलायंस डिफेंस नई कंपनी है उसे बताना चाहता हूं कि रिलांयस डिफेंस के साथ राफेल का संबंध 2012 से है।
गौरतलब है कि राफेल डील को लेकर कांग्रेस और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष शुरू से हमलावर हैं। हालांकि इस मामले में मोदी सरकार के मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने खुलासा किया है कि आखिर राहुल गांधी इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा है कि चूंकि राहुल गांधी को इस डील में कमीशन खाने का अवसर नहीं मिला है इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं।
जो राहूल गांधी सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल)का हवाला देते हुए रिलायंस को ऑफसेट ठेका मिलने पर सवाल खड़े कर रहे हैं उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि वही एचएएल के सात अधिकारियों को सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया है। जहां तक अनुभव की बात है तो उसका आलम भी मासा अल्लाह ही है।
एचएएल वही सरकारी कंपनी है जो 50 सालों में एक भी हेलिकॉप्टर नहीं बना पाई वह आज राफेल विमान बनाने का दंभ भरती है। उसने सालों कसरत करने के बाद वायुसेना के लिए जो 17 हेलिकॉप्टर बनाए वे सब के सब खराब निकले, जो आज भी एचएएल में ही पड़े हैं। सुखोई 30 विमान बनाने में जहां 3 साल की देऱी हुई वहीं जगुआर बनाने में छह साल की देरी हुई। यह हाल उसी सरकारी कंपनी एचएएल की है जिसके कंधे पर बंदूक रखकर कांग्रेस पार्टी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में जुटी है। इतना ही नहीं एचएएल को एलसीए बनने में जहां 5 साल की देरी हुई वहीं मिराज-2000 को अपग्रेड करने में निर्धारित समय से दो साल ज्यादा का समय लगा।
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URL: liar Rahul Gandhi Dassault given 850 crore to reliance not 30 thousand crore
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