लाल क़िले पर तिरंगे का अपमान बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। परन्तु इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है बदलती हुई विचारधारा के अनुरूप बदलता हुआ तिरंगे का रंग।
देश के अंदर चल रही घिनौनी राजनीति ने मन ख़राब कर दिया है। सच्चाई तो यह है कि देश की राजनीति अब राजनीति नहीं बल्कि घृणानीति बन चुकी है।
इसमें किसी पार्टी या व्यक्ति का दोष नहीं है इसके लिये उभरती हुई कट्टरपंथी विचारधारा है जिसने देश को खोखला कर दिया है।
सरकार किसी भी पार्टी की हो करप्शन, दलबदली, बेईमानी, घूसख़ोरी, अवसरवाद, भुखमरी, बेरोज़गारी, घृणा, द्वेष, अराजकता, अशांति, असुरक्षा, देशद्रोह बढ़ते ही जा रहे हैं। बदलती सरकारों के साथ सिर्फ़ तरीक़े बदल जाते हैं।
आज से चंद साल पहले जिस मन की आवाज़ को सुनने के लिये बच्चों के कार्टून, ऑफिसों में काम, फ़ैक्टरियों की मशीनें, किसानों के हल, माताओं और बहनों के सीरियल स्वेच्छा से गर्व में रुकते थे आज भय से रुकते हैं। डर लगने लगा है कि क्या मुनादी ना हो जाये।
जब भी किसी सरकारी लाभकारी नीति की घोषणा होती है जनसाधारण कॉंप जाता है तथा अपना नुक़सान बचाने में जुट जाता है और वहीं हमारे तथाकथित राजनेता तथा पूँजीपति लाभ कमाने में।
अमीर गरीब होता जा रहा है और गरीब भिखारी। आज हर नागरिक सिर्फ़ लूटने, खसोटने, बेईमानी, मिलावट, घूसख़ोरी, धोखाधड़ी के तरीक़े खोज रहा है और सरकारी तंत्र इन कामों का लाइसेंस बन गया है।
तिरंगे का संछिप्त विवरण-
भारत का राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा कहते हैं, चार रंगों से बना है। केसरिया, सफ़ेद, हरा और ध्वज के बीच में नीले रंग का चक्र। चार रंगों से बने राष्ट्र ध्वज को तिरंगा क्यों कहा गया इसके बारे में हमारे ध्वज निर्माता पिंगली वैंकैया जी जो सच्चे देशभक्त के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक भी थे ही बता सकते थे।
भारत के इस ध्वज को 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था और इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकृति मिली थी। भारतीय तिरंगे को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर पहली बार फहराया था।
तिरंगे के चारों रंग न सिर्फ देश का गौरव है बल्कि ये जीवन के दर्शन से भी जुड़े हैं।
केसरिया रंग : भारतीय ध्वज के सबसे ऊपर जो केसरिया रंग है उसे साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। यह रंग राष्ट्र के प्रति हिम्मत और निस्वार्थ भावनाओं को दर्शाता है।
यह रंग सभी धर्मो के लोगों को अहंकार से मुक्ति और त्याग का संदेश देकर लोगों में एकता बनाने का प्रतीक माना जाता है। केसरिया रंग को आध्यात्म और उर्जा का प्रतीक भी माना जाता है।
सफेद रंग : भारतीय तिरंगे के बीच में स्थित है सफेद रंग जो शांति, ईमानदारी और ज्ञान का प्रतीक माना गया है, जो हमें हमेशा सच्चाई की राह पर चलना सिखाता है।
हरा रंग : तिरंगे के सबसे नीचे हरा रंग है। हरा रंग विश्वास, उर्वरता, खुशहाली, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। हरा रंग जीवन में स्वास्थ्य, सौभाग्य और तरक़्क़ी से भी जुड़ा है।
चक्र : तिरंगे में सफेद रंग के बीच में नीला धर्म चक्र है जिसे विधि का चक्र कहते हैं। इस चक्र में 24 तीलियाँ हैं जो इस बात का प्रतीत हैं कि जीवन गतिशील है और इसे हर समय 24 घंटे चलते रहना चाहिए और इसके रूकने का अर्थ मृत्यु है।
भारतीय तिरंगे के ये रंग कहॉं चले गये? तिरंगा हर भारतीय का गौरव था और जिसके नीचे एक दिन करोड़ों हिन्दुस्तानियों ने बिना जाति-पाँति का भेदभाव किये आज़ादी की सॉंस ली थी आज घुटन महसूस होती है।
प्रत्येक हिन्दुस्तानी आज भी तिरंगे का सम्मान करता है परन्तु जिस झंडे के सम्मान में करोड़ों हिन्दुस्तानियों के सिर नतमस्तक थे
उस झंडे के रंग हमारे राजनेता यह सोच कर चुरा ले गये कि ये सिर कभी नहीं उठेंगे। परन्तु अब समय आ गया है जब हमें तिरंगे में पुन: रंग भरना होगा जिसके लिये सबसे पहले देश में चल रही घटिया निक्रिष्ट राजनीति को समाप्त करना होगा।
यह परिस्थिति अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से कहीं अधिक जटिल है क्योंकि अब हमें अपनों से आज़ादी पानी है।
जय हिंद, जय भारत ।
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
हिन्दुस्तानी
बहुत सही कहा है आपने