वामी ,कामी, जिम्मी, सेक्युलर, सब जेहादी के गुलाम हैं ;
इनके जरिये इस्लामी – शासन , लोकतंत्र का नाम है ।
ये भरे हुये शासन- सत्ता में , जो भी चाहे उसे करें ;
तुष्टीकरण सदा ये करते , हिंदू तो बस बेमौत मरें ।
अल्पसंख्यकवाद इन्हीं के कारण , राष्ट्रदोह की सीमा पार ;
गुंडागर्दी की खुली छूट है , पद्म – पुरस्कार पाते गद्दार ।
शाहीन बाग़ तो इन्हीं का जलवा,रोड जाम में खाते हलुआ ;
सरकारों की ताक-धिना-धिन , ऐसा है इन सब का हौआ ।
गांधी – नेहरू का एजेंडा था , गजवायेहिंद को करने का ;
वो तो वीर गोडसे आया , वरना गांधी न मरने का ।
दस पांच साल भी जी जाता, जेहादी प्लान पूरा कर जाता ;
नेहरू की औकात नहीं थी , ये काम अकेला कर पाता ।
इस साजिश में अंग्रेज भी शामिल , एडविना का चारा था ;
पर धर्म- सनातन के आगे , नेहरू एकदम नाकारा था ।
हिंदू को धर्म से दूर हटाने , इन सबने गहरी चाल चली ;
भारत का इतिहास बिगाड़ा , झूठे इतिहास की चाल चली ।
इससे हिंदू दिग्भ्रमित हुये , इस जाल में आकर फंसने लगे ;
ऐसी गंदी शिक्षा पाकर , हिंदू सब कायर बनने लगे ।
धर्म – सनातन से दूर हुये , अधर्म कर लिया अंगीकार ;
वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , बनने को हुये सब तैयार ।
आधे हिंदू ऐसे ही हैं , अवगुण भरे हैं इनमें चार ;
लालच ,स्वार्थ ,भय, भ्रष्टाचार , सबसे बड़े हैं दुश्मन चार ।
हालात अगर ऐसे ही रहते , गजवायेहिंद हो जाना तय था ;
पर सोशल मीडिया के आने से , इसका मिटना निश्चय था ।
आ रहा सामने सच-इतिहास , गांधी-नेहरू ने छिपाया था ;
पूरे नंगे हो गये ये दोनों , छंट गया अंधेरा छाया था ।
भ्रम जाल के बादल दूर हुये , सत्य – सनातन उदय हुआ ;
भटक गया था धर्म- मार्ग से , वो धर्म-मार्ग को प्राप्त हुआ ।
सारे हिंदू दृढ़ निश्चय कर लें , इस्लामी शासन को हटाना है ;
स्वराज्य हमें अब पाना है और हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
सब हिंदू – नेता होश में आयें , डीएनए मिलाना बंद करें ;
सबके विश्वास की बातें छोड़ें व डर -कायरता दूर करें ।
हिंदू- राष्ट्र तो बनके रहेगा , अच्छा है नेता सुधर जायें ;
इतिहास की धारा निर्मम होती , गंदी नाली में बह जायें ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”