विनीत नारायण। आजकल आप सब (संघ/ भाजपा वाले) जब हिंदू देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा जगाने वाले संदेश देते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। उत्सुकता है ये जानने की कि 1980 के पहले के आपके प्रकाशित साहित्य, वक्तव्यों और व्यवहार में ऐसी श्रद्धा क्यों नहीं दिखायी देती थी ?
आपके प्रेरणास्रोत गोलवारकर जी वैदिक शास्त्रों की शाश्वतता से सहमत नहीं थे, वो इनमें समय व परिस्थिति अनुकूल परिवर्तन के हामी थे। जबकि हिंदू धर्म सम्राट करपात्रि जी महाराज ने इसका कड़ा विरोध किया था।आप इन दोनों में से किसे सही मानते हैं ?
सनातन धर्म (जिसे आप हिंदू धर्म कहते हैं ) में ऋषि मुनियों, चारों पीठों के शंकराचार्यों और अधिकृत सम्प्रदायों के धर्म गुरुओं को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। धर्म के कार्य उनकी आज्ञा और निर्देश से सम्पन्न होते हैं। फिर संघ के प्रचारकों ने उनकी जगह लेना कैसे शुरू कर दिया ?
हर चुनाव के पहले अचानक संघ के प्रचारक हमें निर्देश देते हैं कि राम नाम की माला जपो या घर के द्वार पर दीपक जलाओ या ये करो और वो करो।क्या वे हमारी सनातन परम्परा के अंतर्गत अधिकृत धर्माचार्य हैं या राजनैतिक उद्देश्य के लिए धार्मिक भावनाएँ जगाने वाले दल के परोक्ष कार्यकर्ता हैं ?
मैं हिंदू राष्ट्र का सदा से प्रबल समर्थक रहा हूँ।पर मुझे आज तक ये स्पष्ट नहीं हुआ कि हिंदू राष्ट्र की आरएसएस की परिकल्पना क्या है ? जो स्वामी करपात्रि जी महाराज ने बतायी है वो या जो गुरु गोलवारकर जी ने बतायी है वो ? क्योंकि दोनों में भारी विरोधाभास है। शायद इसीलिये वैदिक रीति से संतों और दर्जनों ऋत्विकों द्वारा मथुरा के गोवर्धन पर्वत के आन्योर ग्राम में, विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठित श्री संकर्षण भगवान को गत 5 वर्षों से मल मूत्र के पोखर में खड़ा करवाने में आपकी योगी आदित्यनाथ सरकार और आप सबको कोई अपराध बोध नहीं है ?
वहीं पास में जतीपुरा ग्राम में काशी विश्वनाथ द्वारा स्थापित पौराणिक रुद्र कुंड का विनाश करने में भी कोई संकोच नहीं है। प्राण प्रतिष्ठित विग्रहों का ऐसा तिरिस्कार विधर्मी यवन करते आए हैं। किसी हिंदू शासक ने ऐसा जघन्य अपराध किया हो ऐसा कहीं सुना या पढ़ा नहीं।आपने सुना या पढ़ा है क्या ?
क्या आपकी सरकार का ये आचरण डॉक्टर मोहन भागवत जी के अनुसार “यवनों और हिंदुओं का डीएनए एक ही है” ऐसा बताने के कारण तो नहीं हुआ ?
इन सब प्रश्नों के उत्तर देने की कृपा करें ताकि हिंदू समाज में फैल रही भ्रांति का कोई स्थान न रहे । आशा है धर्म के हित में इन सरल प्रश्नों का उत्तर देने में आप संकोच या देरी नहीं करेंगे ?
विनीत नारायण,
वृंदावन