डा. रजनीरमण झा । श्री विकास दिव्यकीर्ति, जो दृष्टि आई ए एस कोचिंग के संचालक हैं, उन्होंने माता सीता के बारे में भगवान् राम की एक टिप्पणी का उल्लेख किया।
अग्निपरीक्षा के समय की कि जिस प्रकार कुत्ते का चाटा हुआ घी नहीं सुहाता वैसे ही तुम मुझे नहीं सुहाती हो।
देश में बवाल मचा हुआ है इस टिप्पणी से।
श्री विकास दिव्यकीर्ति और मैं दिल्ली में बहुत अच्छे मित्र थे।
मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के मानसरोवर छात्रावास में रहता था।
वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संकल्प छात्रावास में रहते थे।
हम प्रतिदिन शाखा जाते थे।
तरह – तरह के खेल खेलते थे।
विकास दिव्यकीर्ति मुझसे बहुत प्रभावित थे
और मैं उनसे प्रभावित था।
हम दोनों भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेते थे।
कभी प्रथम द्वितीय स्थान भी प्राप्त करते थे।
उनकी हिन्दी बहुत अच्छी थी।
पर वे मेरी संस्कृतनिष्ठ हिन्दी के फैन थे
और मुझसे अक्सर कहते थे कि मैं भी ऐसा बोलना चाहता हूं।
उन्होंने मेरा नाम “गजब खोपड़ी” रखा था।
हम एक बार जबलपुर (मध्यप्रदेश) गये थे।
वहां भारत भर के विश्वविद्यालय छात्रों की प्रतियोगिताएं हुई थीं।
भाषण में वे प्रथम आये,
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में मेरे नेतृत्व में टीम प्रथम आयी।
दिल्ली विश्वविद्यालय का झंडा हमने ऊंचा लहराया।
फिर मेरी नौकरी लग गयी
और मैं राजस्थान आ गया।
विकास दिव्यकीर्ति के बारे में तीन वर्ष पहले पता चला कि वे दृष्टि आई ए एस कोचिंग संस्थान चलाते हैं।
हिन्दी माध्यम के छात्रों को प्रशासनिक सेवा में भेजने के लिए उन्होंने बड़ा काम किया है।
उनको फोन किया तो किसी आफिस स्टाफ ने कहा कि हम सर यानी विकास जी को आपके बारे में बता देंगे।
तीन चार दिन बाद पुनः फोन किया,
तो उसी स्टाफ ने कहा कि हमने सर को आपके बारे में बता दिया है।
अब सर ही बात कर सकते हैं।
मैं प्रतीक्षा करता रहा।
दिन, महीने, साल गुजर गये।
उनकी ओर से कोई सूचना नहीं आयी।
इसमें मुझे कुछ भी अचम्भा नहीं हुआ।
हमारी जिंदगी में ऐसे हादसे होते रहते हैं।
बात उस बिंदु की है, सीता माता की अग्निपरीक्षा के समय राम द्वारा कहे गये कटु वचन की।
तो इस पर उत्तर देते हुए श्री संजय दीक्षित, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, ने मेरी पुस्तक का उल्लेख किया और उसको सबके सामने स्क्रीन पर रखा।
कुमार विश्वास उससे बहुत कुछ ग्रहण करके बोल चुके हैं।
इससे मेरी पुस्तक “राम द्वारा सीता का निर्वासन एवं शम्बूक वध : सर्वथा झूठी कहानियां (ये आदिकवि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित ही नहीं हैं)”
फिर से चर्चा में आ गयी है।
आज मुझे श्री संदीप देव जी ने सम्पर्क किया। वे देश के माने हुए यूट्यूबर हैं। प्रसिद्ध लेखक हैं। वे दिनांक १५.११.२०२२ से २०.११. २०२२ तक एक धारावाहिक का निर्माण और प्रसारण करेंगे। उसमें रामायण की भ्रान्तियों का निरसन किया जाएगा।
मैं और श्री संदीप देव इसमें चर्चा करेंगे। रात को ०९.०० बजे।
मैं धन्य हूं कि मुझे इतने बड़े प्लैटफॉर्म पर इस सर्वव्यापक विषय पर बोलने का अवसर मिलेगा। तो आप सब सुनिएगा अवश्य। लिंक मैं आपको भेज दूंगा। और हां, दिनांक १५.११.२०२२ को दिन में श्रीकोलायत, जिला-बीकानेर (राजस्थान) के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में मेरा इसी विषय पर मेरा व्याख्यान होगा। यह मेरा सौवां व्याख्यान होगा। व्याख्यान के लिए उत्सुक प्रतीक्षा कर रहा हूं।
ISD Comment: दिव्य कीर्ति ने लल्लन टॉप के एक वीडियो में स्वयं कहा है कि उनका परिवार आर्यसमाजी रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में जब वह अध्ययन के लिए आए तो संघ से जुड़ गये। शाखा में जाने से लेकर संघ के संकल्प छात्रावास में रहने तक वह संघ से जुड़े थे। उन्होंने स्वयं लल्लन टॉप के एक वीडियो में कहा है कि वह संघ की छात्र इकाई ABVP से चुनाव लड़ने वाले थे,लेकिन किसी कारणवश लड़ नहीं सके।
जानकारी के अनुसार विकास दिव्य कीर्ति ने अपना PHD भी प्रो. रमेश गौतम के अधीन किया। रमेश गौतम संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। गुरू के चयन से लेकर छात्र सर्किल में दिव्य कीर्ति वैचारिक रूप से दक्षिणपंथी ही माने जाते रहे हैं। अब UPSC की कोचिंग कराने के दौरान वह वामपंथी सिलेबस पढ़ाते-पढ़ाते और आरंभ में खुद इसकी तैयारी करते-करते वह मार्क्स, मैक्स वेबर से बेहद प्रभावित हुए, जिसके लिए उन्होंने स्वीकारा है कि दुनिया को देखने का मेरा नज़रिया बदल गया।