विपुल रेगे। बॉलीवुड को ऐसा क्यों लगता है कि हिन्दी फिल्मों के लगातार पिटने की समस्या का हल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है। अभिनेता सुनील शेट्टी ने मुंबई में योगी आदित्यनाथ से निवेदन किया है कि ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ अभियान समाप्त करने में सहायता करे और प्रधानमंत्री से इस विषय में चर्चा करें। बीते दो वर्षों में दर्शक द्वारा लगातार लात खाने के बाद भी बॉलीवुड की अक्लदाढ़ अब तक नहीं उगी है। सुनील शेट्टी का बयान इंस्टाग्राम पर डाली गई किसी क्रिप्टिक पोस्ट जैसा है।
इन दिनों क्रिप्टिक पोस्ट डालने का रिवाज़ है। बात को घूमा-फिराकर कहने की कला ही क्रिप्टिक कहलाती है। कहते हैं इसमें कोई गुप्त संदेश छुपा होता है। सुनील शेट्टी का बयान ‘स्पॉन्टेनियस’ नहीं था। वह सोच समझकर दिया गया था। बयान देने के बाद इसे देश में कैसे फैलाना है, इसकी पूरी तैयारी पहले से थी। बॉलीवुड के लोग स्क्रिप्ट लिखने में बड़े तीरंदाज़ होते हैं।
पिछले दिनों शाहरुख़ खान की ‘पठान’ को लेकर जो स्क्रिप्ट लिखी गई, ग्राउंड पर ब्लॉकबस्टर रही। ‘पठान’ को कम पैसों में बड़ा प्रचार मिल गया। सुनील शेट्टी ने भरी प्रेस वार्ता को अपनी बात कहने के लिए चुना। उन्हें पता था कि न्यूज़ चैनल इसे विशेष रुप से उठाने जा रहे हैं। शेट्टी ने अपने बयान में ड्रग्स का ज़िक्र किया। इस बात से उन्होंने सीधा निशाना मुंबई में ‘ड्रग्स इन बॉलीवुड’ की ओर साधा था।
उनके बयान का आशय ये था कि बॉलीवुड को बदनाम किया जा रहा है। बॉलीवुड को प्रधानमंत्री कैसे बचा सकते हैं ? बॉलीवुड की नाव डुबाने वाले दर्शक हैं। दो वर्ष पूर्व जब सुशांत सिंह राजपूत का मामला बहुत गर्म था, तब ही ‘आईएसडी’ के मंच से कह दिया गया था कि सुशांत के हत्यारे को सजा मिले बिना ये बहिष्कार समाप्त होने वाला नहीं है।
जब बॉलीवुड का बहिष्कार शुरु किया गया तो कुछ फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं ने घमंड में कहा था कि ये बॉयकॉट चल नहीं सकेगा। आज वहीं लोग योगी आदित्यनाथ के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं। सुनील शेट्टी इस मामले में प्रधानमंत्री को बीच में लेकर आते हैं, जो कि बड़ा अशोभनीय रहा। नरेंद्र मोदी ने बॉयकॉट का नारा नहीं दिया था, तो वे इसे बंद कैसे करा सकते हैं।
आज बॉलीवुड के प्रति घृणा का स्तर इस कदर है कि प्रधानमंत्री ऐसी अपील कर दे, तब भी बॉयकॉट रुकेगा नहीं। सुशांत सिंह राजपूत केस में बॉलीवुड की जगजाहिर ‘एरोगेंसी’ उन्हें ले डूबी है। आज बड़े सितारों की फिल्मों के पहले दिन के शोज खाली रहते हैं। ये ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ का ही असर है। सिनेमा देखने वाली हिन्दी पट्टी के दर्शकों में अंदर ही अंदर एक लहर चल रही है और सोशल मीडिया इस लहर को लगातार उफान दे रहा है।
उस उफान से जन्मी सुनामी की ऊँची लहर पर बैठकर शेट्टी योगी से सुनामी रोकने की अपील करते हैं, ये हास्यापद लगता है । शेट्टी ने एक प्रोपोगेंडा वॉर छेड़ दिया है। उन्होंने अपने बयान को अपने ट्वीटर पर शेयर किया है। इस विषय पर टीवी चर्चाओं में आ रहे बॉलीवुड के प्रवक्ता अब भी ‘एरोगेंसी’ से मुक्त नहीं हुए हैं। शाम को उन्होंने टीवी पर अपना घमंड और अहंकार बदस्तूर प्रदर्शित किया।
अब बात पहले जैसी नहीं रही। आपका बयान आखिरी तक प्रवक्ताओं और इन्फुलेंसर्स द्वारा प्रोटेक्ट किया जाता है। प्रोपोगेंडा वॉर तकनीक का साथ मिलते ही और भयानक हो चला है। खाई के मुहाने पर खड़े बॉलीवुड को अहसास नहीं है कि अगले दो-तीन वर्षों की सतत असफलता उन्हें भारतीय सिनेमा के पटल से अदृश्य कर सकती है। वे लगातार फ़िल्में बना रहे हैं और अपने ही ढर्रे पर बना रहे हैं।
सुशांत सिंह राजपूत मामले का पटापेक्ष हुए बिना ऐसी कोई उम्मीद नहीं बन रही कि बॉलीवुड को क्षमा कर दिया जाए। युग परिवर्तन की इस आहट में बड़े अहंकारी शिखरों में दरकन पड़ना शुरु हो चुकी है। शेट्टी एक राष्ट्रव्यापी बवंडर रोकने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि संभव नहीं है।