नहीं असम्भव “राम-राज्य” है
पूरी – दुनिया में सबसे – गंदे , भारत के हिंदू – नेता ;
नहीं धर्म के ,नहीं कर्म के , कुछ भी नहीं देश को देता ।
निहित स्वार्थ को आगे रखकर , शास्त्र को पीछे छोड़ दिया ;
धर्म-विरुद्ध की प्राण-प्रतिष्ठा, मंदिर का सत्यानाश कर दिया ।
बर्बर – गुंडो के चरण चूमता हिंदू की जान तो सस्ती है ;
पर बड़े-बड़े मिल गये धूल में , तेरी तो क्या हस्ती है ?
धर्म से दूर किया हिंदू को , गंदी – शिक्षा झूठा – इतिहास ;
पर अब शंकराचार्य मुखर हैं , बने हैं इसके गले की फांस ।
नेतृत्वविहीन था हिंदू अब तक , संकट था नेतृत्व का ;
किंकर्तव्यविमूढ हो भटक रहा था , भान नहीं कर्तव्य का ।
पर अब सूरज उदय हो रहा , अंधकार मिट जायेगा ;
“एकम् सनातन भारत” दल आया,ये “राम-राज्य” को लायेगा ।
नहीं असंभव “राम-राज्य” है , बस अच्छी-सरकार बनाओ ;
दृढप्रतिज्ञ हों सारे हिंदू , “एकम् सनातन भारत” लाओ ।
धर्मनिष्ठ – कर्तव्यनिष्ठ है , सत्यनिष्ठ है ये ही दल ;
हिंदू – धर्म का है रखवाला , “ एकम् सनातन भारत” दल ।
एक नहीं है , दो भी नहीं हैं , अंतहीन हैं अतिरथी ;
नेतृत्व का संकट यहां नहीं है , हर स्तर पर महारथी ।
लोकतांत्रिक ये पूरा दल है , नहीं है कोई अधिनायक ;
अब्बासी – हिंदू मार भगाये , जितने भी थे खलनायक ।
पूरी तरह की साफ-सफाई , आला-कमान है पूर्ण-सतर्क ;
भारत का उद्धार करेगा , भारत बन चुका है लगभग नर्क ।
तेजी से दल लगा हुआ है , विस्तार कर रहा सभी जगह ;
कर्म – क्षेत्र पूरा – भारत है , चुनाव लड़ेगा प्रत्येक जगह ।
अब बारी है हिंदू-जनता की , अपना कर्तव्य निभाना होगा ;
हिंदू – धर्म के जो रक्षक हैं , उनको सत्ता में लाना होगा ।
हर मोर्चे पर लड़ना होगा , “ ई वी एम “ हटाना होगा ;
निष्पक्ष-चुनाव हों पूर्ण-सुनिश्चित,अच्छी-सरकार बनाना होगा ।
केवल यही मार्ग है बाकी , और तो सारे बंद हैं ;
जब से हिंदू ! संघर्ष से भागा , सौभाग्य-द्वार सब बंद हैं ।
बिना लड़े बस यही मार्ग है, हिंदू को इसी पर चलना होगा ;
हिंदू-वादी-सरकार बनाओ , ये अपरिहार्य है करना होगा ।
धर्म नहीं तो देश नहीं है , पूरी तरह मिट जाओगे ;
केवल अच्छी-सरकार के द्वारा , “राम-राज्य” को पाओगे ।