राम-मंदिर की रक्षा करना
शास्त्र-विरुद्ध जो प्राण-प्रतिष्ठा , पापी का ताबूत है ;
धर्म कभी का छोड़ चुका है , इसके कई सबूत हैं ।
रिश्वत लेना – रिश्वत देना , इसी में पूरा जोर है ;
चरित्रहीन – साधु – सन्यासी , वे ही इसकी ओर हैं ।
गंदे – पैसे का खेल खेलकर , नष्ट कर रहा हिंदू-धर्म ;
सरकारी – डॉलर – दीनारी , ऐसे सब बाबा करें कुकर्म ।
दस – साल मस्जिद में रहा जो , वो हिंदू कैसा होगा ?
कलनेमि सा धूर्त – राक्षस , अब्बासी-हिंदू ऐसा ही होगा ।
सदियों मूर्ख बना है हिंदू , ऐसे धोखेबाजों से ;
अभी भी धोखा खा ही रहा है , ऐसे जुमलेबाजों से ।
राम-मंदिर के यही हैं दुश्मन , सुप्रीम-कोर्ट में हार गये ;
पर उसमें भी अवसर ढूँढा , मंदिर में घुसपैठ कर गये ।
मंदिर का धन लूट रहे हैं और म्लेच्छों पर लुटा रहे हैं ;
शास्त्र-विरोधी पूरी हरकत , धर्म-ज्योति को बुझा रहे हैं ।
सरकारी – बाबा पाल रखे हैं , चरित्रहीनों की फौज है ;
डॉलर और दीनारी बाबा , इनकी ही पूरी मौज है ।
टुकड़े पाकर पूँछ हिलाते , शंकराचार्यों पर ये गुर्राते ;
राम-नाम पर लूट मचाते , धर्म का सत्यानाश कराते ।
हिंदू ! हरदम ठगा गया है , अब्बासी – हिंदू नेताओं से ;
छुरा पीठ पर सदा ही खाया , कालनेमि नेताओं से ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , वरना सब कुछ लुट जायेगा ;
सदियों बाद मिला जो मंदिर , वो भी न बच पायेगा ।
गौ – भक्षक भी घुसे हुये हैं , हिंदू ! तेरे मंदिर में ;
अब्बासी-हिंदू हैं जिस मंदिर में , धर्म नहीं उस मंदिर में ।
राम-मंदिर की कठिन लड़ाई , लगता है अब भी जारी है ;
सुप्रीम-कोर्ट कर चुका है निर्णय , हिंदू ! अब तेरी बारी है ।
अब्बासी-हिंदू है धर्म का दुश्मन, इसको मंदिर से दूर रखो ;
राम-मंदिर जो मिटाना चाहे , उससे दूरी को बना रखो ।
लाखों-हिंदू बलिदान हो चुके , तब जाकर मंदिर पाया ;
कालनेमि अब्बासी-हिंदू , हिन्दू-मंदिर में घुस आया ।
राम – मंदिर की रक्षा करना , धर्म की रक्षा करना है ;
इसमें हिंदू ! नहीं चूकना , वरना धर्म न बचना है ।
हिंदू-धर्म के हैं रखवाले , शंकराचार्यों का कहना मानो ;
इसमें भी हिंदू विफल रहा तो , अपना अंत समय जानो ।