संदीप देव। नव बौद्ध बार-बार भगवान विष्णु एवं अन्य हिंदू देवी-देवताओं पर आघात करते रहते हैं। बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर का कथन कि गौतम बुद्ध विष्णु अवतार नहीं थे, उसका उपयोग ये लोग करते हैं।
आंबेडकर जी ने किसी और आशय से कहा था, लेकिन हमारे शास्त्रों से भी यह प्रकट है कि सिद्धार्थ गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार नहीं थे, बल्कि वह भगवान विष्णु की शिष्य परंपरा में थे।
सिद्धार्थ गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार नहीं थे, यह पुराणों और आधुनिक शोधों से सिद्ध है। भगवान विष्णु के अवतार बुद्ध का जन्म कीकट (बिहार के गया प्रदेश) में और ब्राह्मण घर में हुआ था। जबकि सिद्धार्थ गौतम का जन्म क्षत्रिय घर में लुंबिनी (नेपाल) में हुआ था।
विष्णु पुराण, भागवत पुराण, अग्नि पुराण, आनंद रामायण, शंकर दिग्विजय आदि धर्मग्रंथों के अनुसार विष्णु अवतार भगवान बुद्ध के दो शिष्य थे:- १) माया मोह एवं २) महामोह। इन दोनों ने जैन व बुद्ध मतों का प्रवर्तन किया।
मायामोह व महामोह ने अवैदिक दैत्यों और अवैदिक असुरों को इसमें प्रशिक्षित किया। ये अवैदिक दैत्य व असुर अत्यधिक हिंसक थे, यज्ञ में भी हिंसा करने लगे थे, इसलिए उन्हें अहिंसा के मार्ग पर लाने के लिए विष्णु अवतार बुद्ध ने अपने दो शिष्यों के जरिए माया की रचना की, उसी का विस्तार दो पंथों के रूप में हुआ।
बाद में सिद्धार्थ गौतम बुद्ध को ही भूलवश भगवान विष्णु का अवतार प्रचारित कर दिया गया। सिद्धार्थ गौतम बुद्ध जहां तक मुझे याद है 22 या 24 वें बुद्ध थे। उनसे पहले भी काफी बुद्ध हो चुके थे। अपने के पहले चार बुद्ध की चर्चा तो सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के प्रवचनों में भी काफी बार आया है। बुद्ध मतलब होश, चेतना, बोध जगना; न कि कोई एक व्यक्ति।
आधुनिक समय में राम मंदिर को सुप्रीम कोर्ट में स्कंद पुराण से प्रमाणित करने वाले वकील एडवोकेट पी.एन.मिश्रा जी की पुस्तक आदि शंकराचार्य अमिट काल रेखा में प्रमाणों से बताया गया है कि सिद्धार्थ गौतम बुद्ध मूल विष्णु अवतार भगवान बुद्ध के शिष्य थे न कि स्वयं विष्णु के अवतार थे। #SandeepDeo
मिश्रा जी द्वारा सप्रमाण लिखित पुस्तक का लिंक: -👇
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