अर्चना कुमारी। नूंह को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्य पत्र पाञ्चजन्य पर बड़ा खुलासा का दावा किया गया है। पत्रिका का कहना है कि नूंह में बड़ी संख्या में रोहिंग्या घुसपैठिये रह रहे हैं। आशंका है कि जलाभिषेक यात्रा के दौरान हिंदुओं को मारने पीटने में रोहिंग्या मुसलमान भी मेवाती के साथ खड़े थे।
हैरत की बात यह है कि कि केंद्र से लेकर राज्य तक भारतीय जनता पार्टी कि सरकार है ,जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राजनीतिक संगठन है लेकिन इसके बावजूद विदेशी घुसपैठिए के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। आपने ही सरकार पर सवाल उठाते हुए पांचजन्य बताता है कि यहां पर 2013 में म्यांमार से बड़ी संख्या में आए थे और बाद में अवैध रोहिंग्या मुसलमानों ने मेवात को अपना ठिकाना स्थाई तौर पर बना लिया। पत्रिका में खुलासा किया गया है कि अवैध तरीके से और अवैध रास्ते से भारत में घुसे थे ये रोहिंग्या और वह अब तक मेवात तथा आसपास के क्षेत्रों में मौजूद है।
इतना ही नहीं इन लोगों ने लगातार अपने कुनबा का विस्तार किया है। अचरज की बात यह कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है लेकिन विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ कभी भी कोई अभियान शुरू नहीं किया गया । सूत्र बताते हैं कि रोहिंग्या मुसलमानों ने धीरे-धीरे मेवात में जमीन खरीदना और घर बनाने से लेकर फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं । गौरतलब है कि बर्मा से बांग्लादेश होते हुए रोहिंग्या मुसलमान पश्चिम बंगाल होते हुए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फैल चुके हैं और हरियाणा में भी इनकी अच्छी खासी संख्या है।
यहां पर रहने वाले मेवाती मुस्लिम लोगों को भी रोहिंग्या मुसलमानों के रहने पर कोई आपत्ति नहीं है और यही वजह है कि दोनों एक ही इस्लाम को मानते हुए एक दूसरे का दुख दर्द बांटत नजर आते हैं। जबकि भारतीय मुसलमानों में मेवाती भले ही इस्लाम को मानते हैं लेकिन उनके रीति-रिवाज और संस्कृति हिंदुओं से मेल खाती रही है।
बताया जाता है कि यहां के मुसलमानों को राजपूतों का वंशज माना जाता है, ये लोग दिवाली, दशहरा और होली जैसे कई हिंदू त्योहार कालांतर में मनाते रहे हैं लेकिन अब इन्होंने इस्लामी कट्टरपंथियों का चोला धारण कर लिया है। कुछ सालों पहले तक, मेवात के मुस्लिम हिंदुओं की तरह एक ही गोत्र में अपने बच्चों की शादी तक नहीं करते थे लेकिन यह अब बीते समय की बात हो गई है। मेवाती जिसे मेव भी कहा जाता है,ऐसा माना जाता है कि बारहवीं और सोलहवीं शताब्दी के बीच इस्लाम में परिवर्तित हो गए।